Mohanji Bhagwat On RSS Ghar Wapsi : यदि संघ ने घरवापसी का आयोजन नहीं किया होता, तो आदिवासी देशद्रोही बन गए होते !
तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी का वक्तव्य प.पू. सरसंघचालक डॉ. मोहनजी भागवत ने सार्वजनिक कार्यक्रम में उजागर किया !
तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी का वक्तव्य प.पू. सरसंघचालक डॉ. मोहनजी भागवत ने सार्वजनिक कार्यक्रम में उजागर किया !
६ वें शतक तक भारत प्रत्येक क्षेत्र में आगे था, इस पर विश्व का विश्वास है । हमने अनेक बातों का संशोधन किया है; परंतु पश्चात हम रूक गए तथा तदुपरांत अपनी अवनति को आरंभ हुआ
संत तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में कोई विशेष अंतर नहीं है । संत मंदिर में पूजा करते हैं, जबकि संघ के कार्यकर्ता बाहर रह कर उसकी सुरक्षा में लिप्त रहते हैं ।
यह हिन्दुओं के ध्यान में आना चाहिए, दुर्बल रहना अपराध है । हम दुर्बल, असंगठित हैं, इसका अर्थ है हम अत्याचार को निमंत्रित कर रहे हैं ।
बांग्लादेश के हिन्दुओं को कष्ट न हो, यह देखना एक देश के रूप में सरकार का जैसे दायित्व है, वैसे ही अपना भी है । सरकार अपना काम करेगी ही; लेकिन इसके लिए देश के नागरिकों का समर्थन आवश्यक है ।
स्वतंत्रता के उपरांत भारत की प्राचीन न्यायदान की प्रक्रिया अपनाने के स्थान पर पाश्चात्य न्यायतंत्र का ही बना रहना भारतीयों का दुर्भाग्य है !
संघ १०० वर्ष पूर्ण होने का उत्सव मनाने और कुछ गतिविधियां चलाने नहीं आया है । संघ समाज को बदलना चाहता है और मानता है कि समाज की जीत धन प्राप्ति से नहीं, बल्कि धर्म की कसौटी पर मापी जानी चाहिए।
हमारा ध्वज और हमारा राष्ट्र हमारे लिए ईश्वर है । आप तप के माध्यम से भजन द्वारा (नामजप द्वारा) लाखो लोगों की बुद्धि शुद्ध कर सकते हैं । एक भजन लाखो लोगों का उद्धार कर सकता है । आप भजन कीजिए, इंद्रियों पर विजय प्राप्त कीजिए और राष्ट्रसेवा भी कीजिए । राष्ट्र की सेवा के लिए प्राण समर्पित करें ।
हमने ‘धन विजय’ एवं ‘असुर विजय’ का अनुभव किया है । धन विजय का अर्थ है; स्थूल वस्तु से मिलने वाला आनंद किंतु उसमें हेतु योग्य नहीं ! यह आत्मकेंद्रित होने समान है ।
२४ से २६ नवंबर के कालखंड में यहां पर ‘वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस २०२३’ का आयोजन किया गया है । इस तीन दिवसीय वैचारिक संमेलन के लिए संसार के विविध क्षेत्रों में कार्यरत हिन्दुओं को आमंत्रित किया गया है ।