अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में हिन्दुत्वनिष्ठों को हुई विविध अनुभूतियां एवं उनका हिन्दू जनजागृति समिति के विषय में अपनापन !

१२ से १८ जून २०२२ को रामनाथी (गोवा) के श्री रामनाथ देवस्थान में हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से दशम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन संपन्न हुआ । इस अधिवेशन के समारोपीय सत्र में हिन्दुत्वनिष्ठों को अधिवेशन काल में हुई अनुभूतियां, हिन्दू जनजागृति समिति के प्रति विशेष अपनापन, इसके साथ ही साधना करते समय हुई विविध अनुभूतियां आदि के विषय में अपना मनोगत व्यक्त किया ।

संप्रदायवाद छोडकर हिन्दुत्ववाद और राष्ट्रवाद अपनाइए ! – पू. चंद्रकांत महाराज शुक्लजी, जिलाप्रमुख, गुरुवंदना मंच, वलसाड, गुजरात.

जिस प्रकार से कि किसानों ने अनेक महिनोंतक आंदोलन किया और उसके कारण सरकार को ३ कृषि कानून रद्द करने पडे, उसी प्रकार हिन्दुओं को सरकार पर भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने के लिए दबाव बनाना पडेगा ।

नेपाल के हिन्दुत्वनिष्ठों द्वारा संतों और धर्मप्रेमियों का सम्मान !

अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन के व्यासपीठ से नेपाल के ‘हिन्दू विश्वविद्यालय के अध्यक्ष डॉ. भोलानाथ योगी और पोखरा के ‘विश्व हिन्दू महासंघ’ के जिला अध्यक्ष श्री. शंकर खराल ने सद्गुरु, संत एवं धर्मप्रेमीयों को रुद्राक्ष की माला और नेपाली टोपी पहनाकर सम्मान किया ।

‘किलों का रूपांतरण दर्गाह में न हो’; इसके लिए हिन्दुओं को संगठित होकर कार्य करना आवश्यक ! – मनोज खाडये, समन्वयक, पश्चिम महाराष्ट्र एवं गुजरात राज्य, हिन्दू जनजागृति समिति

गढ-किलों का महत्त्व केवल ऐतिहासिक नहीं है, अपितु वो हमारी संस्कृति के धरोहर हैं । उनसे हमें धर्म और राष्ट्र का कार्य करने की प्रेरणा मिलती है; परंतु पुरातत्व विभाग की उपेक्षा के कारण षड्यंत्र रचकर किलों का इस्लामीकरण किया जा रहा है ।

‘हिन्दू राष्ट्र की स्थापना’ यह युवकों का ‘करिअर’ होना चाहिए ! – हर्षद खानविलकर, युवा संगठक, हिन्दू जनजागृति समिति

वर्तमान में युवक-युवती स्वयं के ‘करिअर’ के (भविष्य बनाने के) पीछे पडे हैं; परंतु आज राष्ट्र का ‘करिअर’ (भविष्य) संकट में है । राष्ट्र का ‘करिअर’ संकट में हो, तो हमारा ‘करिअर’ कैसे बनेगा ? छत्रपती शिवाजी महाराज, स्वातंत्र्यवीर सावरकरजी ने छोटी आयु में ही राष्ट्र और धर्म कार्य के लिए जीवन समर्पित किया ।

भारत के दूसरे विभाजन की योजना बनाई गई है ! – अधिवक्ता जॉयदीप मुखर्जी, ऑल इंडिया लीगल एड फोरम, बंगाल

भारत के अनेक राज्यों में हिन्दुओं को अल्पसंख्यक और मुसलमानों को बहुसंख्यक बनाकर आनेवाले समय में भारत के दूसरे विभाजन की योजना बनाई गई है । केंद्र सरकार संविधान से ‘धर्मनिरपेक्ष’ (सेक्यूलर) शब्द हटाए ।

१२ से १८ जून की अवधि में गोवा में होनेवाले दशम ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’ के उपलक्ष्य में …

इस्लामी अथवा ईसाई देशों की भांति हिन्दू राष्ट्र कोई संकीर्ण अवधारणा (संकल्पना) नहीं है, अपितु वह विश्वकल्याण का विचार करनेवाली, प्रत्येक नागरिक की लौकिक एवं पारलौकिक उन्नति का विचार करनेवाली एक सत्त्वप्रधान व्यवस्था है ।

हिन्दुओं का दमन रोकने के लिए हिन्दू राष्ट्र ही चाहिए !

संसार के अन्य किसी भी देश में बहुसंख्यकों के अधिकारों को ठुकराया नहीं जाता; परंतु भारत की ‘सेक्युलर’ राज्यप्रणाली के कारण हिन्दूबहुल भारत में हिन्दुओं की उपेक्षा हो रही है । वह न हो इसलिए भारत में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होना आवश्यक है ।

प्रत्येक हिन्दू अखंड हिन्दू राष्ट्र का संकल्प कर रहा है, इसका संपूर्ण श्रेय प.पू. गुरुजी को है ! – टी. राजा सिंह, विधायक, तेलंगाना

हिन्दू जनजागृति समिति के तत्त्वावधान में जिस अखंड हिन्दू राष्ट्र की स्थापना का संकल्प गुरुजी ने लिया है, वही संकल्प हम सभी लोग आगे ले जा रहे हैं । भारत का प्रत्येक हिन्दू अब अखंड हिन्दू राष्ट्र का संकल्प ले रहा है । उसका संपूर्ण श्रेय प.पू. गुरुजी को जाता है । प.पू. गुरुजी ही इसके प्रेरणास्रोत हैं ।

सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ आठवलेजी के ८० वें जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में संतों से मिली शुभकामनाएं !

महर्षि अध्यात्म विश्विद्यालय की स्थापना कर उन्होंने (परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने) हिन्दू राष्ट्र की बात को केवल राजकीय रूप न देते हुए हमारी अध्यात्म विद्या को पुनः उजागर करने का और उसके भीतर अनेक प्रयोग कर, अनेक साधकों को तैयार करने का एक महनीय कार्य किया है ।