पुलिसकर्मी यह ध्यान रखें !

‘पुलिस को ऐसा लगना चाहिए कि जनता पुत्रवत है, तभी उनकी नौकरी उचित पद्धति से होगी !’

हिन्दुओ, शत्रु सीमा लांघ रहा है; इसलिए अपनी रक्षा की तैयारी करो !

‘देवताओं द्वारा आसुरी शक्तियों पर विजय प्राप्त करने का दिन है विजयादशमी !

साधना प्रत्यक्ष सिखानेकी पद्धतियां

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉक्टरजी की सीख समझने में सरल, जीवन के छोटे-बडे उदाहरणों के माध्यम से अध्यात्म सिखानेवाली एवं कृति के स्तर पर साधना संबंधी मार्गदर्शन करती है ।

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी का ‘ब्रह्मोत्सव’ मनाने के विषय में सप्तर्षियों द्वारा पू. डॉ. ॐ उलगनाथन्जी के माध्यम से बताई गई महिमा !

‘२३.२.२०२३ को सप्तर्षि नाडीपट्टिका के वाचक पू. डॉ. ॐ उलगनाथन्जी के माध्यम से हुए नाडीवाचन क्रमांक २२२ में ‘वर्ष २०२३ में गुरुदेवजी का जन्मोत्सव किस प्रकार मनाया जाए ?’, इस विषय में सप्तर्षियों द्वारा बताई गई महिमा आगे दे रहे हैं ।

‘अनिष्ट शक्तियों के कष्टों से रक्षा हो’, इसलिए अस्पताल के रोगी, उसके सगे-संबंधी, डॉक्टर, परिचारिका आदि सभी अधिकाधिक नामजप करें !

नामजपका लाभ उपचार के लिए आए रोगियों को भी अपनेआप होगा । अस्पताल में अन्य रोगियों को भी नामजप का स्मरण करवाएं । नामस्मरण से मनोबल बढता है, मनःशांति मिलती है और जीवन आनंदी बनने में सहायता मिलती है ।

वेतन देनेवाली नौकरी एवं आनंद देनेवाली सेवा !

सनातन संस्था में नौकरी समान वेतन नहीं मिलता, तब भी ये साधक प्रतिदिन स्वयं ही नौकरी की तुलना में अधिक घंटे सेवा करते हैं ।

रामनाथी, गोवा स्थित सनातन के आश्रम में ‘सनातन प्रभात’ के कार्यालय के चैतन्यमय वास्तु में लगाए गए जानकारी फलक पर अंकित परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के छायाचित्र में हुए आश्चर्यजनक परिवर्तन !

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के कृपाशीर्वाद से इस कार्यालय का चैतन्यमय एवं पवित्र वास्तु में रूपांतरण हुआ ।

ईश्वर की कृपा प्राप्त करने के लिए क्या करें ?

‘तन, मन, धन एवं अहं का त्याग होने पर तथा ईश्वर के प्रति भाव एवं भक्ति बढने पर ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है ।’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवले

बुद्धिप्रमाणवादी एवं संत में भेद !

‘कहां स्वेच्छा से आचरण करने हेतु प्रोत्साहित कर मानव को अधोगति की ओर ले जानेवाले बुद्धिप्रमाणवादी और कहां मानव को स्वेच्छा का त्याग करना सिखाकर ईश्वरप्राप्ति करवानेवाले संत !’ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार

‘हिन्दुओ, हिन्दू राष्ट्र में दासता दर्शानेवाली तथा रज-तम प्रधान अंग्रेजी भाषा भारत में नहीं रहेगी । राज्यों की भाषा प्रशासकीय भाषा होगी । इसलिए यदि आपको ऐसा लगता है कि आगे आपके बच्चे को नौकरी मिले, तो उसे अभी से भारतीय राज्यभाषा में शिक्षा दें ।’