प्रत्येक हिन्दू अखंड हिन्दू राष्ट्र का संकल्प कर रहा है, इसका संपूर्ण श्रेय प.पू. गुरुजी को है ! – टी. राजा सिंह, विधायक, तेलंगाना

हिन्दू जनजागृति समिति के तत्त्वावधान में जिस अखंड हिन्दू राष्ट्र की स्थापना का संकल्प गुरुजी ने लिया है, वही संकल्प हम सभी लोग आगे ले जा रहे हैं । भारत का प्रत्येक हिन्दू अब अखंड हिन्दू राष्ट्र का संकल्प ले रहा है । उसका संपूर्ण श्रेय प.पू. गुरुजी को जाता है । प.पू. गुरुजी ही इसके प्रेरणास्रोत हैं ।

सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ आठवलेजी के ८० वें जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में संतों से मिली शुभकामनाएं !

महर्षि अध्यात्म विश्विद्यालय की स्थापना कर उन्होंने (परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने) हिन्दू राष्ट्र की बात को केवल राजकीय रूप न देते हुए हमारी अध्यात्म विद्या को पुनः उजागर करने का और उसके भीतर अनेक प्रयोग कर, अनेक साधकों को तैयार करने का एक महनीय कार्य किया है ।

रथोत्सव पूर्ण होने के उपरांत सप्तर्षियों की प्रीतिमय वाणी से उजागर हुई परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के अवतारी कार्य की महिमा !

श्रीमन्नारायण के अवतार परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का (गुरुदेवजी का) रथ जिस क्षण आश्रम से बाहर निकला, उस क्षण पृथ्वी के सर्व जागृत मंदिर, तीर्थक्षेत्र, ५१ शक्तिपीठ एवं १२ ज्योतिर्लिंग के चैतन्य को नवजागृति मिली ।

साधकजीवों को भक्तिरस में सराबोर करनेवाले श्रीमन्नारायण स्वरूप परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का दिव्य आनंददायी ‘रथोत्सव’ !

रथोत्सव में सम्मिलित साधकों के मुख पर भाव एवं आनंद, उन्होंने धारण की हुई सात्त्विक एवं पारंपरिक वेशभूषा, हाथ में लिया भगवा ध्वज, ध्यान आकर्षित करनेवाले फलक, श्रीराम शालीग्राम की पालकी एवं सभी के मुख में श्रीमन्नारायण का जयघोष, ऐसे भक्तिमय वातावरण में इस रथोत्सव का प्रारंभ हुआ । 

शोभायात्रा में साधक ध्वज फहराते । श्रीमन्नारायण की महिमा गाते ।।

क्या वर्णन करें उन क्षणों का ! जीवन कृतार्थ होने का भान करानेवाले श्रीमन्नारायण के दर्शन के वो क्षण ! एक ओर श्रीमन्नारायण भक्तों से मिलने हेतु आतुर होकर प्रतीक्षारत थे, तो दूसरी ओर श्रीमन्नारायण से मिलने के लिए उनके भक्त हाथ जोडकर खडे थे । यह जीव और शिव की भेंट थी !

‘प्रसंग प्रत्यक्ष हो रहा है’, इसकी अनुभूति देने हेतु सजीव हुए परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के रथोत्सव के चैतन्यमय छायाचित्र !

जो साक्षात ईश्वर से संबंधित होता है, वह माया से संलग्न न होकर शाश्वत होता है । वह चिरंतन टिकनेवाला और आत्मानंद देनेवाला होता है । इसलिए सात्त्विक घटकों में सजीवता दिखाई देती है ।

रामनाथी (गोवा) के सनातन के आश्रम में भावपूर्ण वातावरण में संपन्न हुए विभिन्न याग !

२४ मई २०२२ को जन्मोत्सव की अवधि में स्थित यज्ञों की शृंखला के अंतर्गत श्रीबगलामुखी याग संपन्न हुआ । इसमें महर्षियों द्वारा दिए गए बगलामुखी हवन मंत्र से करुंगली वृक्ष का चूर्ण और विभिन्न औषधीय मूलिकाओं के चूर्ण का हवन किया गया ।

श्रीमन्नारायण की भक्ति सिखानेवाला, चित्तवृत्ति जागृत करनेवाला दिव्य रथोत्सव !

श्रीमन्नारायण स्वरूप परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के रथोत्सव में विविध पथकों की साधक-साधिकाओं ने श्रीविष्णु का गुणसंकीर्तन कर श्रीविष्णु तत्त्व का आवाहन किया । अत्यंत अलौकिक ऐसे इस रथोत्सव में भाव, भक्ति एवं चैतन्य के वर्षाव की अनुभूति साधकों को हुई ।

सनातन संस्था के संस्थापक परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के ८० वें जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में मनोती मांगने तथा प्रार्थना उपक्रम

उपस्थित जिज्ञासुओं को गुरुदेवजी के हिन्दू राष्ट्रजागृति अभियान के बारे में श्रीमती मंजुला कपूर ने बताया । श्रीमती सुधा अरोडाजी ने हिन्दू राष्ट्र-स्थापना की दृष्टि से सामूहिक प्रार्थना ली ।

भक्तिमय वातावरण में सपंन्न श्रीविष्णु रूप में परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का चैतन्यदायी ‘रथोत्सव’ !

परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का जन्मोत्सव साधकों के लिए आनंद एवं भक्तिभाव का सुनहरा पर्व ही होता है ! ज्येष्ठ कृष्ण सप्तमी, अर्थात २२ मई २०२२ के मंगल दिन पर परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का ८० वां जन्मोत्सव मनाया गया ।