सस्ते विचारों के अहंकारी बुद्धिवादी !

‘जिस प्रकार नेत्रहीन को स्थूल जगत दिखाई नहीं देता; उस प्रकार साधना न करनेवालों को तथा बुद्धिवादियों को सूक्ष्म जगत दिखाई नहीं देता । नेत्रहीन यह स्वीकार करता है कि उसे दिखाई नहीं देता; परंतु बुद्धिवादी अहंकार से कहते हैं कि ‘सूक्ष्म जगत जैसा कुछ नहीं होता !’

अनंतकोटी ब्रह्मांड के पालन करता ईश्वर !

कहां अपने परिवार का अथवा अपनी जाति के भाइयों का हित देखनेवाले संकुचित वृत्ति के मानव, तो कहां अनंतकोटि ब्रम्हांड के प्राणियों का कल्याण करनेवाले ईश्वर !’

बुद्धिवादियों और जातिवादियों के कारण हिन्दुओं की हुई अपूर्णीय हानि !

बुद्धिवादियों के कारण हिन्दुओं की धर्म पर श्रद्धा बहुत घटी है और जातिवादियों के कारण हिन्दुओं में आपसी फूट बढ़ी है । इसलिए, भारत में बहुसंख्य होने पर भी उन्हें अन्य धर्मीय और नक्सली मारते हैं ।

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के कार्य हेतु समष्टि साधना आवश्यक !

‘व्यष्टि साधना में एक ही देवता की उपासना होती है; परंतु समष्टि साधना में अनेक देवताओं की उपासना होती है । सेना में थल सेना, टैंक, वायु सेना, नौसेना आदि अनेक विभाग होते हैं । उसी प्रकार हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के समष्टि कार्य में अनेक देवताओं की उपासना, यज्ञ-याग इत्यादि करना पडता है ।’

बाेलते समय अपशब्दों का उच्चार न करें !

‘नित्य बोलचाल और भाषणों में अपशब्दों का उपयोग करनेवालों के बोल और भाषण में तमोगुण बढ़ जाने के कारण उसका प्रभाव घट जाता है और पाप भी लगता है; वक्ता सदैव इस बात का ध्यान रखें !’

दिया तले अंधेरा !

‘नेता, बुद्धिजीवी अथवा वैज्ञानिक आदि के कारण विदेशी भारत में नहीं आते; अपितु संतों के कारण तथा अध्यात्म एवं साधना सीखने के लिए आते हैं । तब भी हिन्दुओं को संत एवं अध्यात्म का मूल्य समझ में नहीं आया है ।’

अध्यात्म का महत्त्व न जाननेवाले शासकों के कारण देश का नाश हो गया है !

‘अध्यात्म के अतिरिक्त क्या एक भी विषय ‘सात्त्विक, सज्जन, धर्मप्रेमी और राष्ट्रप्रेमी बनना सिखाता है ? वैसा न होने से अध्यात्म के अतिरिक्त अन्य सर्व विषय सिखानेवाले स्वतंत्रता के ७७ वर्ष से भारत के अभी तक के शासकों ने देश का नाश किया है ।’

सर्वधर्मसमभाववालों का सत्य स्वरूप !

‘सर्वधर्मसमभाव’ कहनेवाले अंधे, बहरे और मंदबुद्धि हैं तथा उनमें सत्य जानने की इच्छा भी नहीं है ।’