‘सात्त्विकता एवं धर्माचरण’ के बिना शाश्वत विकास असंभव ! – शॉन क्लार्क
देहली में संपन्न ‘ग्रामीण आर्थिक परिषद’ में महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की ओर से शोध कार्य का प्रस्तुतीकरण
देहली में संपन्न ‘ग्रामीण आर्थिक परिषद’ में महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की ओर से शोध कार्य का प्रस्तुतीकरण
प्रत्येक व्यक्ति को नया घर बनाने का अवसर नहीं मिलता, विशेषकर मुंबई-पुणे जैसे व्यावसायिक शहरों में अब सदनिका ही अधिक संख्या में होती हैं । ऐसी स्थिति में यहां ‘सदनिका में वास्तुशास्त्र का उपयोग कैसे करें ?’, इसकी जानकारी दे रहे हैं ।
सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी स्वयं के स्वास्थ्य-लाभ हेतु एक संत के बताए अनुसार प्रतिदिन श्रीरामरक्षास्तोत्र का पाठ करते हैं। ‘श्रीरामरक्षास्तोत्र का पाठ करने से सच्चिदानंद परब्रह्म डॉक्टरजी पर क्या परिणाम होता है ?’, इसका अध्ययन करने हेतु एक परीक्षण किया गया।
निर्माण कार्य जैसी कृति (वास्तु का निर्माण) सेवाभाव से की, तो उस निर्माण कार्य में बहुत सात्त्विकता उत्पन्न होती है !
विश्वविद्यालय के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के विषय में व्यक्त किए गौरवोद्गार !
इसरो के वरिष्ठ वैज्ञानिक (सेवानिवृत्त) डॉ. नलिनी एवं वैज्ञानिक (सेवानिवृत्त) डॉ. सतीश ने महाकुंभक्षेत्र में लगाए गए महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के कक्ष से भेंट की । प्रदर्शनी देखने के उपरांत उन्हें अत्यधिक आनंद हुआ ।
गोरखपुर से आए श्रद्धालुओं के एक समूह ने महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के कक्ष में लगाए गए सभी फलकों की जानकारी ली तथा कक्ष से वापस जाते समय स्वप्रेरणा से ‘हर हर महादेव’, ‘जय श्रीराम’ तथा ‘गंगा माता की जय’ के नारे लगाए ।
महाकुंभक्षेत्र में सेक्टर ७ में लगाए गए महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की प्रदर्शनी कक्ष को भाविकों द्वारा बहुत ही अच्छा प्रतिसाद मिल रहा हैं । अनेकों ने कक्ष देखने के उपरांत प्रेरित एवं भावविभोर हो कर मनोगत भी व्यक्त किया है । भिन्न भिन्न क्षेत्रों से पधारें मान्यवर कक्ष में आकर महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के कार्य की प्रशंसा कर रहे हैं ।
महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के प्रदर्शन कक्ष का अवलोकन करने के बाद, कक्ष में लगाए वैज्ञानिक उपकरणों द्वारा किए गए प्रयोगों की जानकारी से वे बहुत प्रभावित हुए ।