दशम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में विभिन्न प्रकार के जिहादों का प्रतिकार करने का हिन्दुओं से आवाहन !
रामनाथी १६ जून (संवाददाता) – गढ-किलों का महत्त्व केवल ऐतिहासिक नहीं है, अपितु वो हमारी संस्कृति के धरोहर हैं । उनसे हमें धर्म और राष्ट्र का कार्य करने की प्रेरणा मिलती है; परंतु पुरातत्व विभाग की उपेक्षा के कारण षड्यंत्र रचकर किलों का इस्लामीकरण किया जा रहा है । पहले तो किले पर मजार बनाई जाती है और उसके उपरांत उस पर चादर चढाई जाती है । कुछ महिने उपरांत उस स्थान पर उर्स मनाया जाता है । उर्स मनाने की परंपरा प्राचीन होने का आभास किया जाता है और तदुपरांत वहां दरगाह बनाकर धार्मिक स्थल का निर्माण किया जाता है । हिन्दवी स्वराज्य के निर्माण में जिनका नाम नहीं है, ऐसे तथाकथित फकिरों के नाम से अनेक दरगाहों का निर्माण किया जा रहा है । न्यायालय के द्वारा प्रतापगढ की तलहटी में अफजलखान की कब्र का निर्माणकार्य तोडने का आदेश दिए जाने के उपरांत भी अभीतक इस आदेश का क्रियान्वयन नहीं किया गया है । मुसलमानों ने ठाणे जिले के दुर्गाडी किले पर स्थित प्राचीन दुर्गादेवी मंदिर मस्जिद होने का दावा किया है और किले पर ईदगाह होने की बात बताकर वहां नमाज पढना आरंभ किया है । उसके कारण किले के आधे क्षेत्र में हिन्दुओं को प्रवेशबंदी की गई है । इसी प्रकार से मलंगगढ लोकगढ, कुलाबा गढ, माहिमगढ, विशालगढ, शिवडी आदि किलों पर इस्लामी अतिक्रमण किया गया है । किलों का दर्गाहों में रूपांतरण होने का दृश्य देखना न हो, तो हिन्दुओं को संगठितरूप से कार्य करना आवश्यक है, ऐसा आवाहन हिन्दू जनजागृति समिति के पश्चिम महाराष्ट्र एवं गुजरात राज्य समन्वयक श्री. मनोज खाडये ने किया ।
दशम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में १५ जून को ‘महाराष्ट्र के ऐतिहासिक गढ-किलों पर किए गए इस्लामी अतिक्रमण’ इस विषय पर वे ऐसा बोल रहे थे । इस अवसर पर व्यासपीठ पर पालघर के ‘हिन्दू गोवंश रक्षा समिति’ के श्री. दीप्तेश पाटिल, पालघर के ‘हिन्दू टास्क फोर्स’ के संस्थापक अधिवक्ता खुश खंडेलवाल और हिन्दू जनजागृति समिति के तेलंगाना समन्वयक श्री. चेतन जनार्दन उपस्थित थे ।
गोहत्याबंदी कानून का उचित अध्ययन कर गोरक्षा करना आवश्यक ! – दीप्तेश पाटिल, समन्वयक, हिन्दू गोवंश रक्षा समिति, पालघर
देसी गोवंश अधिक दूध दे सकते हैं; परंतु उस पर ‘भारत में नहीं, अपितु ब्राजील में शोध किया जाता है’, यह हमारा दुर्भाग्य है । एक समय में भारत में गाय को ‘गोमाता’ कहा जाता था; परंतु अब उसी देश में बडे स्तर पर गोवंश का संहार हो रहा है । गोमांस की बिक्री में भारत विश्व में चौथे स्थान पर है । इसलिए गोमांसबिक्रेताओं से गोवंश की रक्षा करना अनिवार्य बन गया है । महाराष्ट्र में लागू गोहत्याबंदी कानून के द्वारा गोहत्या करनेवाले, गोमांस का यातायात करनेवाले और गोमांस की खरीद अथवा बिक्री करनेवालों को दोषी प्रमाणित किया जा सकता है । गोरक्षकों को इस कानून का उचित अध्ययन कर गोरक्षण करना चाहिए ।
हिन्दू संगठित हों, तो धर्म पर हो रहे आघातों को रोकने में सफलता मिलती ही है – चेतन जनार्दन, हिन्दू जनजागृति समिति, तेलंगाना
व्यंग अभिनेता मुनव्वर फारूकी ने एक कार्यक्रम में हिन्दू देवताओं का उपहास करनेवाला वक्तव्य दिया था, उसकी हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से निंदा की गई । उसके उपरांत हिन्दू जनजागृति समिति और हिन्दुत्वनिष्ठों ने फारूखी के भाग्यनगर और पुणे में आयोजित किए गए कार्यक्रमों का विरोध कर उन्हें रद्द करने पर बाध्य किया । हिन्दू संगठित हों, तो देवता और हिन्दू धर्म पर हो रहे आघात रोकने में सफलता मिलती ही है, इसका यह उत्तम उदाहरण है ।
हिन्दू धर्म पर हो रहे आघातों को रोकने के लिए प्रत्येक हिन्दू को सतर्क रहना चाहिए ! – अधिवक्ता खुश खंडेलवाल, संस्थापक, हिन्दू टास्क फोर्स,
पालघर (महाराष्ट्र)
मीरा-भाईंदर महापालिका के प्रांगण में आयोजित सामूहिक नमाज पढने के विरोध में पुलिस में की गई शिकायत के कारण महापालिका ने धर्मांधों को नमाज पढने की अनुमति अस्वीकार की , साथ ही सामाजिक प्रसारमाध्यमों पर ज्ञानवापी मस्जिद में स्थित शिवलिंग के विषय में आपत्तिजनक लेखन प्रसारित करनेवाले धर्मांधों के विरुद्ध चलितभाष से पुलिस में की गई शिकायत के उपरांत तत्काल अपराध पंजीकृत किया गया । इस प्रकार से हिन्दू धर्म पर हो रहे आघातों को रोकने के लिए प्रत्येक हिन्दू को सतर्क रहना चाहिए । कर्नाटक में केवल ६ लडकियों द्वारा पहने गए हिजाब के कारण राष्ट्रीय आंदोलन खडा हुआ; परंतु कमलेश तिवारी, हर्षासहित अनेक हिन्दुत्वनिष्ठों की हत्याएं हुईं; परंतु तब भी भारत के हिन्दू शांत रहे ।
राष्ट्र निर्माण की नींव तो अध्यात्म पर खडी होती है । भारत आध्यात्मिक शक्ति के द्वारा निर्मित राष्ट्र होने से उसका कभी नाश नहीं हो सकता । हिन्दुत्व का कार्य एक तपस्या होने से उसके लिए साधना का बल आवश्यक है । इस कार्य में कभी विफलता भी मिली, तब भी हमें बिना डगमगाए हुए डंटे रहना चाहिए; क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण हमारे साथ होने से अंतिम यश हिन्दुओं का ही है !