अत्यंत छोटे स्थान पर बहुत ही आनंद के साथ रहकर उस स्थान को मंदिर के गर्भगृह के स्पंदन प्रदान करनेवालीं श्री महालक्ष्मीस्वरूप श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी !

‘हम पिछले ७ वर्षों से श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी के साथ चेन्नई के सेवाकेंद्र में रह रहे थे । इस सेवाकेंद्र के विषय में तथा वहां रहते समय सीखने मिले सूत्र यहां दे रहा हूं ।

तीव्र आध्यात्मिक कष्ट होते हुए भी महर्षियों की आज्ञा के अनुसार कर्नाटक के हंपी में भगवान के दर्शन की सेवा पूर्ण करनेवालीं श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी !

देह की मर्यादाएं होते हुए भी श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) गाडगीळजी अत्यंत दुर्गम स्थानों पर जाकर वहां भक्तिभाव से पूजादि अनुष्ठान करती हैं । साधकों की रक्षा हेतु सप्तर्षि जहां कहेंगे, वहां जाने के लिए वे सदैव तैयार रहती हैं ।

भक्तों पर अखंड कृपाछत्र बनाए रखनेवाले प.पू. भक्तराज महाराजजी !

सनातन के प्रेरणास्रोत प.पू. भक्तराज महाराजजी की जन्मशताब्दी के उपलक्ष्य में उनके शिष्य डॉ. जयंत आठवलेजी द्वारा समर्पित भावसुमनांजलि !

प.पू. भक्तराज महाराजजी एवं परात्पर गुरुदेवजी के चित्र बनाते समय साधक को हुई अनुभूतियां

प.पू. भक्तराज महाराजजी एवं परात्पर गुरुदेवजी के चित्र बनाते समय श्री. प्रसाद हळदणकर को हुई अनुभूतियां यहां दे रहे हैं

मन एवं बुद्धि से परे अर्थात सूक्ष्म को जानने की तीव्र क्षमता रखनेवाली श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी !

साधकों को श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी में विद्यमान दिव्यता की हुई प्रतीति !

‘श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी ईश्वर स्वरूप तथा परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी परमेश्वर स्वरूप हैं’, साधिका को हुई इसकी प्रतीति !

‘एक बार मैं एक सूत्र के संदर्भ में बात करने के लिए श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी के पास गई थी । हमारी बात समाप्त होने पर उन्होंने मुझसे कहा, ‘‘अब तुम चिंता न करो, अच्छी सेवा करो; परमेश्वर की आरती !’’ उस समय मुझे आश्चर्य होकर आनंद हुआ ।

‘सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी का ब्रह्मोत्सव’, अर्थात मन को परमानंद की अनुभूति प्रदान करनेवाला क्षण ! – पू. डॉ. शिबनारायण सेनजी, संपादक, साप्ताहिक ‘ट्रुथ’

‘इस समारोह में गुरुदेवजी का उनके सहस्रों साधक भक्तों के साथ दर्शन करना’, यह मेरे लिए आनंददायी एवं उत्साहवर्धक अनुभव था । ‘इन साधक भक्तों के पांव की धुल भी अत्यंत पवित्र है’, ऐसा मुझे लग रहा है ।

सनातन के साधक श्री. सोहम मिश्रा को १० वीं कक्षा में सफलता

मुजफ्फरपुर बिहार के साधक सोहम मिश्रा (आयु १६ वर्ष) ने CBSE के १० वीं बोर्ड की परीक्षा में ९५.२ % अंक प्राप्त किये। इसके साथ ही अपने विद्यालय (अंबिका भवानी पब्लिक स्कूल) में दूसरा स्थान भी प्राप्त किया ।

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी का तेज देखकर संत तुकाराम महाराजजी द्वारा रचित ‘राजस सुकुमार…’, इस अभंग (भक्तिगीत) की प्रतीति होती है ! – सुप्रसिद्ध बांसुरी वादक पू. पंडित डॉ. केशव गिंडेजी

‘सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के गौरवास्पद कार्य के विषय में तथा उनके सान्निध्य में पिछले ५ वर्ष में मिले आध्यात्मिक अनुभवों के विषय में पू. पंडित डॉ. केशव गिंडेजी कुछ संतवचनों के माध्यम से बता रहे हैं…

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के ब्रह्मोत्सव के रथ में विराजमान होने पर साधकों द्वारा अनुभव की गई शब्दातीत कृतज्ञता !

‘परात्पर गुरु डॉक्टरजी जब रथ में बैठे, उस समय रथ का रहा-सहा अस्तित्व भी नष्ट हो गया । वहां केवल परात्पर गुरु डॉक्टरजी का ही तत्त्व है’, ऐसा मुझे प्रतीत हो रहा था ।