पिठापुरम् (आंध्र प्रदेश) में श्री महालक्ष्मीस्वरूप श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी से मिलने के लिए साक्षात श्री दत्तगुरु का वृद्ध पुजारी के रूप में पधारना

सप्तर्षियों द्वारा जीवनाडी-पट्टिका में बताए अनुसार श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी १४.११.२०२२ को आंध्र प्रदेश में स्थित पिठापुरम् गई थीं । उस समय पिठापुरम् में हुई दैवीय लीला आगे दी है ।

चैतन्य का वर्षाव करनेवाली प.पू. भक्तराज महाराजजी की गाडी के विषय में हुई अनुभूतियां !

‘देवद आश्रम में प.पू. भक्तराज महाराज (प.पू. बाबा) द्वारा उपयोग में लाया ‘रथ’ (गाडी) है । प.पू. बाबा का रथ, देवद आश्रम के साधकों के लिए चैतन्य का वर्षाव ही है । प.पू. बाबा भले ही अब स्थूल से नहीं हैं, तब भी ‘वे रथ के माध्यम से स्थूल से भी हैं’, ऐसी अनुभूति अनेक साधकों को हो रही है ।

‘श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी ईश्वर स्वरूप तथा परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी परमेश्वर स्वरूप हैं’, इसकी साधिका को हुई प्रतीति !

मुझे सदैव ही अपना नाम ‘परमेश्वर की आरती’, ऐसा लिखने की आदत है । मुझे मन से भी ‘परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी परमेश्वर हैं तथा मैं उस परमेश्वर की हूं’, ऐसा ही लगता रहता है

सनातन के ‘रासलीला’ ग्रंथ में राधा द्वारा श्रीकृष्ण को प्रार्थना के रूप में किया आत्मनिवेदन तथा श्रीकृष्ण द्वारा उत्तर के रूप में किया उनका मार्गदर्शन ! मार्गदर्शन पढने पर ईश्वर की कृपा से साधिका को सूझे सूत्र

परात्पर गुरु डॉक्टरजी ने साधकों को ‘गुरुकृपायोग’ का साधनामार्ग बताकर ‘ईश्वरप्राप्ति’ का ध्येय दिया, जिससे साधक उनमें नहीं अटकते

पू. भगवंत कुमार मेनराय के कक्ष में रखा हुआ तुलसी का पौधा पूरी तरह फला फूला होने के पश्चात भी उसके पत्ते नीचे की ओर झुके हुए हैं

‘तुलसी के पौधे अनेक स्थानों पर पाए जाते हैं । इन पौधों की ओर देखने के पश्चात हम प्रसन्न होते है; किंतु तुलसी के पौधे से निरंतर प्राणवायु तथा विष्णुतत्त्वमय चैतन्य की लहरें प्रक्षेपित होती हैं । इस प्रकार रामनाथी सनातन आश्रम में रहनेवाले संत पू. भगवंत कुमार मेनराय के निवास कक्ष में एक गमले में यह पौधा अच्छी तरह से फला फूला दिखाई दिया ।

समष्टि साधना में व्यष्टि साधना का महत्त्व !

हनुमानजी ने व्यष्टि साधना के अर्थात रामभक्ति के बल पर रामराज्य की स्थापना करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई । यह ध्यान में रखकर हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु प्रयास करनेवालों को व्यष्टि साधना भी मन लगाकर करनी चाहिए ।’

श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी में विद्यमान तेजतत्त्व एवं वायुतत्त्व के कारण उनकी देह, वस्तुओं एवं वाहन में आए विशेष परिवर्तन !

हिन्दू राष्ट्र-स्थापना के ध्येय हेतु अखंड कार्यरत, अलौकिक कार्यक्षमता, सभी का आधारस्तंभ एवं महर्षिजी द्वारा ‘श्री महालक्ष्मी का अवतार’ कहकर गौरवान्वित श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी का मार्गशीर्ष शुक्ल १४ को ५२ वां जन्मदिवस है ।

श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी के वाहन के संदर्भ में होनेवाली विभिन्न आध्यात्मिक अनुभूतियां !

जैसे-जैसे जीव की साधना बढती है, वैसे-वैसे देह में विद्यमान पंचमहाभूतों में जागृति आती है । उपासनामार्ग के अनुसार अथवा साधना के स्तर के अनुसार संबंधित तत्त्व का स्तर बढता है । उस समय देह पर उसके दृश्य परिणाम दिखाई देते हैं ।

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के पाद्यपूजन समारोह के समय श्रीसत्शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी को प्राप्त अनुभूतियां !

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के चरणों पर ‘ॐ ऐं क्लीं श्रीं श्रीं श्रीं सच्चिदानन्द-परब्रह्मणे नमः ।’ मंत्रजप करते हुए पुष्पार्चना करते समय ‘प्रत्येक फूल में विद्यमान प्राण जागृत हुआ है’, ऐसा प्रतीत हो रहा था ।

श्री दत्तगुरु के रूप में स्थित सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी को निर्गुण की अनुभूति करानेवाली पाद्यपूजा !

नामजप के माध्यम से श्री दत्तगुरु को पुकारने के उपरांत सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी ने साधकों को श्री दत्तगुरु के रूप में दर्शन देकर कृतकृत्य किया । साधकों ने गुरुपूर्णिमा के उपलक्ष्य में प्राप्त गुरुदर्शन और उनके पाद्यपूजन को अपने मनमंदिर पर अंकित कर लिया !