१२ से १८ जून २०२२ को रामनाथी (गोवा) के श्री रामनाथ देवस्थान में हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से दशम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन संपन्न हुआ । इस अधिवेशन के समारोपीय सत्र में हिन्दुत्वनिष्ठों को अधिवेशन काल में हुई अनुभूतियां, हिन्दू जनजागृति समिति के प्रति विशेष अपनापन, इसके साथ ही साधना करते समय हुई विविध अनुभूतियां आदि के विषय में अपना मनोगत व्यक्त किया । उसके कुछ चुनिंदा सूत्र पाठकों के लिए यहां दे रहे हैं ।
१. सनातन आश्रम, हिन्दू अधिवेशन एवं हिन्दू जनजागृति समिति के कार्यकर्ताओं के स्थान पर देवी-देवताओं की अनुभूति हुई !
अ. ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में उपस्थित रहना, इसे मैं अपना गौरव समझता हूं ।
आ. ऐसा प्रतीत हुआ मानो ‘सभी देवी-देवता स्वर्ग से उतरकर सनातन के आश्रम में आए हैं ।’
इ. ‘हिन्दू जनजागृति समिति के कार्यकर्ताओं के रूप में देवी-देवता ही हिन्दू राष्ट्र स्थापना का कार्य कर रहे हैं’, ऐसा मैंने अनुभव किया ।
ई. देश के कोने-कोने से धर्मप्रेमी हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु इस अधिवेशन के लिए आए हैं । यहां उपस्थित धर्मवीरों में मुझे श्रीराम एवं श्रीकृष्ण के रूप दिखाई दे रहे हैं । यह देखकर रामराज्य के अर्थात हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के विषय में मुझे कोई भी शंका नहीं है ।
उ. अधिवेशन में आने पर जो ऊर्जा मिली, वह ऊर्जा हिन्दू राष्ट्र के विषय में जनजागृति करने के उपयोग में लाऊंगा । हिन्दू राष्ट्र संबंधी प्रेरणा हिन्दुओं में जागृत करूंगा ।
ऊ. हम जयपुर में २०० गावों में जनजागृति का कार्यक्रम कार्यान्वित करनेवाले हैं । हम इसके आगे समाज में हिन्दू राष्ट्र का विचार जागृत करने के लिए प्रधानता देंगे ।
ए. आनेवाले वर्ष में राजस्थान में सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति के मार्गदर्शन में हम इसप्रकार के अधिवेशन लेंगे ।’
– श्री. प्रल्हाद शर्मा, सचिव, मां भगवती गायत्री ट्रस्ट (गायत्री परिवार), जयपुर, राजस्थान (१८.६.२०२२)
२. राजस्थान में श्री. रामराय शर्मा को परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी, सनातन आश्रम एवं सनातन के साधक के विषय में हुई अनुभूति !
अ. ‘मैं ४ वर्षाें पूर्व सनातन संस्था के संपर्क में आया । अधिवेशनस्थल पर पहुंचने पर मुझे ऐसा लगा कि मैं अपने सगे-संबंधियों से मिल रहा हूं ।
आ. रामनाथी में आने के उपरांत मुझे ऐसा लगा कि मैं अपने ही घर में आया हूं । सनातन का आश्रम मेरी आत्मा का घर है ।
इ. मैं जब नामजप के लिए बैठता हूं, तब मुझे गुरुदेवजी का मुखमंडल दिखाई देता है ।
ई. ‘हिन्दू राष्ट्र’ यही मेरे जीवन का ध्येय है । उसके लिए मैं तन, मन एवं धन अर्पण करने के लिए तैयार हूं ।’
– श्री. रामराय शर्मा, समन्वयक, मां भगवती गायत्री ट्रस्ट (गायत्री परिवार), जयपुर, राजस्थान (गायत्री परिवार) (१८.६.२०२२)
३. असम राज्य के हिन्दुत्वनिष्ठ श्री. बिस्वज्योती नाथ को हुई विविध अनुभूतियां !
३ अ. अधिवेशन में संत एवं साधक की उपस्थिति में ईश्वर के अस्तित्व की अनुभूति होना : ‘भगवान पर मेरी श्रद्धा है; परंतु भगवान के अस्तित्व का प्रत्यक्ष अनुभव नहीं था । जब मैं अष्टम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में आया, तब संत एवं साधकों की उपस्थिति में मुझे भगवान के अस्त्वित्व की अनुभूति हुई ।
३ आ. सनातन के मार्गदर्शन में श्री दत्तगुरु का नामजप करने के उपरांत आर्थिक स्थिति में सुधार : ‘हमारी आर्थिक स्थिति बिकट थी । उस समय सनातन के साधकों ने श्री दत्तगुरु का नामजप करने के लिए कहा । नामजप से २० दिनों में हमारी आर्थिक स्थिति में सुधार आ गया । इसलिए मैं अपने मित्रों को भी नामजप करने के लिए कहता हूं ।’
– श्री. बिस्वज्योती नाथ, सैनिक, महाकाल सेवा, होजाई, असम (१८.६.२०२२)
४. ६१ प्रतिशत आध्यात्मिक स्तर प्राप्त केरल के श्री. राजू पी.टी. को परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के विषय में हुई विविध अनुभूतियां !
४ अ. भोजन करते समय परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी साथ होने की इच्छा होने पर स्वप्न में वैसा दृश्य दिखाई देना : ‘हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में भोजनगृह में एकत्र बैठकर हिन्दुत्वनिष्ठों को भोजन करते देख आनंद हुआ । यहां सभी संतों के साथ भोजन करते हुए लगा कि गुरुदेवजी (परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी) भी यहां होने चाहिए थे । ऐसी मेरी इच्छा हुई । उसी रात मैंने स्वप्न में देखा कि मेरी कुलदेवी के मंदिर में भोजन प्रसाद के समय गुरुदेव मेरे समीप आकर बैठ गए ।
४ आ. हिन्दी भाषा समझ में न आने पर भी परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का हिन्दी भाषा में मार्गदर्शन पूर्ण समझना : वर्ष २०१४ में प्रथम मैंने गुरुदेवजी के दर्शन लिए, उस समय मुझे हिन्दी भाषा नहीं आती थी, तब भी गुरुदेवजी का मार्गदर्शन मुझे समझ में आया ।’
– श्री. राजू पी.टी., हिन्दुत्वनिष्ठ, थ्रिसूर, केरल. (१८.६.२०२२)
५. दशम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में हुई विविध अनुभूतियां !
अ. ‘अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में आने के उपरांत साधना, श्रवण सेवा, राष्ट्र-धर्म एवं परमभक्ति का ज्ञान हुआ । भारत के सभी संत यहां आते हैं । इसलिए यहां भक्तों का संगम है ।
आ. एक अपघात के उपरांत मैं अपना एक हाथ ऊपर नहीं उठा पा रहा था; परंतु यहां आने के पश्चात मैं अपना हाथ सीधा ऊपर कर पा रहा हूं ।
इ. यहां आने के पश्चात वक्ताओं के सर्व ओर आभामंडल दिखाई दे रहा था ।
ई. सनातन के ग्रंथों में बताए अनुसार दिनचर्या आरंभ करने से मुझे आनंद मिला ।
उ. मैंने स्वभावदोष निर्मूलन प्रक्रिया की । इसलिए ईश्वर ने मेरी चूकें ध्यान में लाकर दीं ।
– श्री. बाळकृष्ण बाईत, हिन्दुत्वनिष्ठ, रत्नागिरी. (१८.६.२०२२)
६. अधिवेशनस्थल पर नामजप करने से ५ मिनटों में ही ‘सिर पर किसी ने हाथ रखा है’, इसकी अनुभूति हुई ! : ‘हिन्दू जनजागृति समिति के धर्मप्रचारक पू. नीलेश सिंगबाळ से मिलने के पश्चात उन्होंने मुझे नामजप करने के लिए कहा । आरंभ में मैं नामजप नहीं करता था । काम की व्यस्तता के कारण उनके द्वारा बताई गई बातों को अनदेखा करता था । कोरोना महामारी के काल में मुझे लगा कि मुझे कुछ तो करना चाहिए । तदुपरांत मैंने धर्मसेवा एवं नामजप करना प्रारंभ किया । तदुपरांत यहां मुझे सद्गुरु के दर्शन हुए । अधिवेशन के काल में मुझे रात को नींद नहीं आती थी । तब मैंने नामजप किया और मिनटों में ही अनुभूति हुई कि किसी ने मेरे सिर पर हाथ रखा है । ऐसा अनुभव होना, मेरे लिए बडे सौभाग्य की बात है ।’ – अधिवक्ता नीरज तिवारी, प्रतापगड, उत्तरप्रदेश. (१८.६.२०२२)
७. सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति के संपर्क में आने के उपरांत नामजप की शक्ति अनुभव की ! : ‘पहले मैं ध्यानमार्ग से साधना करता था । उस समय मुझे पता नहीं था कि नामजप कैसे करना चाहिए । सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति के संपर्क में आने के उपरांत मैंने दत्त का नामजप आरंभ किया । मैंने शिव का २ करोड १५ लाख जप किया । उस समय मुझे अनेक अनुभव एवं अनुभूतियां हुईं । नामजप में शक्ति होती है । इसलिए कोरोना के काल में मुझे कोरोना नहीं हुआ । आश्रम में जैसा भाव रखकर सेवा की जाती है, वैसे घर में प्रयत्न करता हूं ।’
– आधुनिक वैद्य नीलेश लोणकर, स्वातंत्र्यवीर सावरकर युवा विचार मंच, पुणे. (१८.६.२०२२)