‘हिंदु राष्ट्र की स्थापना’ करना हम सभी का दायित्व है । सरकार भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने के लिए तैयार है; परंतु हम मांग ही नहीं करते, यह हमारी चूक है । जिस प्रकार से कि किसानों ने अनेक महिनोंतक आंदोलन किया और उसके कारण सरकार को ३ कृषि कानून रद्द करने पडे, उसी प्रकार हिन्दुओं को सरकार पर भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने के लिए दबाव बनाना पडेगा । सडक पर उतरना पडेगा । संप्रदाय, जाति आदि भेदों को बाजू में रखना पडेगा । समय रहते ही एक हो जाइए, अन्यथा हमारी अगली पीढी हमें क्षमा नहीं करेगी । संप्रदायवाद छोडकर हिन्दुत्ववाद और राष्ट्रवाद अपनाइए !, ऐसा प्रतिपादन गुजरात के वलसाड के गुरुवंदना मंच के जिलाप्रमुख पू. चंद्रकांत महाराज शुक्ल ने किया । अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन के ७ वें दिन के पहले सत्र में ‘धर्मांतरण रोकना और घरवापसी की योजना’ इस विषय पर ऐसा बोल रहे थे ।
‘धर्मांतरण रोकने के लिए क्रियाशीलता से किए जा रहे प्रयास’ इस विषय पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि हिन्दुओं के धर्मांतरण संबंध में ‘लालच’, ‘प्रेम’, ‘राजनेता’ (पॉलिटिशियंस),, ‘अभिभावक’ (पेरंट्स) और ‘पंडित’ ये ‘फाइव पीज’ महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ।
१. लालच : ईसाई मिशनरी गुजरात के आदिवासियों की असहायता का लाभ उठकार उन्हें कपडों, अनाज और औषधियों की आपूर्ति कर उनका धर्मांतरण कराते हैं । इसे उत्तर के रूप में हमारी संस्था आदिवासी हिन्दुओं में कपडों, औषधियों आदि का वितरण करती है, साथ ही हम ‘नेत्रोपचार शिविर’ लगाकर आंखों के शस्त्रकर्म करते हैं । साथ ही हम अनाथ आदिवासी लडकियों का हिन्दू लडकों के साथ वेदशास्त्रसम्मत पद्धति से विवाह कराते हैं । इस माध्यम से उनका धर्मांतरण न हो, इस पर ध्यान देते हैं । इसके साथ ही हम धर्मांतरित आदिवासियों को समझाकर उनकी ‘घरवापसी’ कराते हैं ।
२. प्रेम : हिन्दुओं को आपसी भेदभाव छोडना पडेगा । उन्हें अप्रसन्न नहीं किया जाए । आदिवासियों को प्रेम देकर उन्हें अपना बनाना पडेगा । हमने उनके साथ प्रेमपूर्वक व्यवहार किया, तो वे दूसरे धर्म में नहीं जाएंगे । उस दिशा में प्रयास करने पर एक दलित व्यक्ति ने मंदिर का निर्माण किया, जहां दलित लोग भजन-पूजन करते हैं ।
३. राजनेता: सूरत में एक इमारत में एक ब्राह्मण व्यक्ति रहने के लिए आया, वहां आने से उसे रोका गया । इससे पूर्व कोई ब्राह्मण अपने परिसर में रहने के लिए आता था, तब वहां के लोग आनंदित हो जाते थे; परंतु आज हमारी संस्कृति किस दिशा में जा रही है ?, इस पर हमें विचार करना पडेगा । हमें जातिवाद छोडना पडेगा । उसके लिए राजनीतिक स्तर पर प्रयास होने चाहिएं ।
४. पालक : अभिभावकों को हमारे बच्चे कहां जाते हैं ? और क्या करते हैं ?; यह ज्ञात होना चाहिए । बच्चों को तिलक लगाकर ही घर से बाहर निकलने की सीख देनी पडेगी ।
५. पंडित (कथावाचक, संत, शंकराचार्य) : पंडितों को अभिभावकों को यह बताना चाहिए कि ‘आप धार्मिक कार्यक्रमों में अकेले न आकर अपने बच्चों को भी साथ ले आइए !’ कथावाचकों को युवावर्ग का प्रधानता से उद्बोधन करना आवश्यक है । लव जिहाद के विषय में उनका उद्बोधन कीजिए ! कथावाचन सप्ताहभर प्रवचन करते समय न्यूनतम ५ मिनट तो लव जिहाद जैसे हिन्दुओं पर हो रहे आघातों के विषय में जानकारी देकर धर्मजागृति करनी चाहिए ।
हिन्दुओं का ‘हिन्दू हितरक्षा बोर्ड’ गठित करना आवश्यक ! – पू. चंद्रकांत शुक्लजीपू. चंद्रकांत शुक्लजी ने आगे कहा कि जिस प्रकार से ‘मुस्लिम वक्फ बोर्ड’ है, साथ ही अन्य धर्म के भी बोर्ड हैं, वैसे ‘हिन्दू हितरक्षा बोर्ड’ का भी गठन होना चाहिए । इस बोर्ड का कार्य पीडित हिन्दुओं के साथ रहने का होगा । |
हिन्दूव्यवस्था खडी कर सामर्थ्यशाली हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करेंगे ! – मुन्नाकुमार शर्मा, राष्ट्रीय अध्यक्ष, अखिल भारतीय हिन्दू महासभा, नई देहली
‘हिन्दू महासभा’ भारत का सबसे पुराना राजनीतिक दल है । हमारे दल ने आरंभ से लेकर ही घरवापसी के लिए प्रयास किए । भाई परमानंद एवं स्वामी श्रद्धानंद इन महासभा के नेताओं ने घरवापसी का घरवापसी का जोरदार कार्य आरंभ किया था । उसके कारण ही स्वामी श्रद्धानंद की हत्या की गई । आज भी किसी जिले में किसी की घरवापसी करानी हो, तो हमारे कार्यकर्ता उसके संबंध में महासभा के केंद्रीय कार्यालय को सूचित करते हैं । उसके उपरांत हम ‘घरवापसी’ करवाने की संपूर्ण व्यवस्था करते हैं । हमें जातिव्यवस्था को दूर कर हिन्दूव्यवस्था स्थापित कर हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करने का प्रयास करना होगा । हमें अपने महापुरुषों के अधुरे सपनों को पूर्ण करना होगा । आगे जाकर इराण, इराक, अफगाणिस्तान, पाकिस्तान, नेपाल, भूतान, बांग्लादेश एवं म्यानमार इन देशों को एकत्रित कर अखंड राष्ट्र भी बनाना है । हमें प्राचीन भारतवर्ष का गौरव पुनः प्राप्त करना है, ऐसा प्रतिपादन अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुन्नाकुमार शर्मा ने ‘घरवापसी के कार्य में हिन्दू महासभा का योगदान’ इस विषय पर बोलते हुए किया ।
‘हिन्दू राष्ट्र की स्थापना’ के कार्य में हिन्दू जनजागृति समिति और सनातन संस्था भारत के अग्रणी संगठन !श्री. मुन्नाकुमार शर्मा ने कहा, ‘‘हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के कार्य में हिन्दू जनजागृति समिति और सनातन संस्था ये भारत के अग्रणी संगठन हैं । केवल संख्याबल का उपयोग नहीं होता । हिन्दू जनजागृति समिति और सनातन संस्था का कार्य वंदनीय-प्रशंसनीय कार्य है । आप हमें जो भी सेवा देंगे, महासभा उसका स्वीकार करेगी । हम हृदय से आपके साथ चलेंगे और अखंड हिन्दू राष्ट्र के कार्य में सदैव संगठित रहेंगे !’’ |
गीता, गोमाता और गंगामाता के इस देश में कहीं से आयात किए गए धर्म की आवश्यकता नहीं है ! – प्रबल प्रताप सिंह जुदेव, प्रदेशमंत्री, भाजपा, छत्तीसगढ
‘जब हिन्दुओं की संख्या न्यून होती है, तब देश के टुकडे होते हैं ।’, इसका इतिहास साक्षी है । छत्तीसगढ में भी बडे स्तर पर धर्मांतरण हो रहा है । यहां सेवा के नाम पर ‘सौदा’ चल रहा है । आदिवासियों के साथ धोखाधडी कर उनका धर्मांतरण किया जाता है । ‘धर्मांतरण का अर्थ राष्ट्रांतरण है’; इसलिए यह विषय अत्यंत गंभीर है । धर्मांतरण रोकने के लिए सभी को एकत्रित होकर कार्य करना आवश्यक है । धर्मांतरण न हुआ होा, तो पाकिस्तान और बांग्ला देश अलग न होते । छत्तीसगढ के जिन क्षेत्रों में धर्मांतरण हुआ है, वहां नक्सली गतिविधियां बढी हैं । जहां धर्मांतरण होता है, उस क्षेत्र में भारतमाता के प्रति की आत्मियता नष्ट हो जाती है । धर्मांतरण रोकने के लएि घरवापसी का महाअभियान चलाना आवश्यक है । ईसाई मिशनरी समाज के अंतिम घटकतक पहुंचते हैं, उसी कारण वे धर्मांतरण कर सकते हैं । इसलिए हिन्दुओं को भी समाज के अंतिम घटकतक हिन्दू संस्कृति और भारत का तेजस्वी इतिहास पहुंचाना चाहिए । हमने छत्तीसगढ के प्रत्येक गांव में ‘धर्मरक्षा समिति’ की स्थापना की है । गोहत्या और धर्मांतरण रोकने के लिए यह समिति कार्य करती है । जिस देश में गीता, गोमाता और गंगामाता है, उस देश में कहीं से आयात किए हुए धर्म की आवश्यकता नहीं है ।
अंतिम धर्मांतरित व्यक्ति की घरवापसी (शुद्धिकरण) होनेतक संघर्ष करते रहेंगे !
भारत की संस्कृति जान लेने के लिए स्वामी विवेकानंदजी के विचारों का अध्ययन करना होगा । हमने कुछ राज्यों और नक्सली क्षेत्रों में १५ सहस्र से भी हिन्दुओं की घरवापसी (शुद्धिकरण) करवाई है । यह कार्य करते समय हमारे कार्यकर्ताओं पर आक्रमण होते हैं और उन्हें धमकियां मिलती हैं; परंतु तब भी हमने यह कार्य जारी रखा है । ‘हिन्दू बनाना और हिन्दुओं को बचाना’ पवित्र कार्य है । ‘हिन्दू’ राष्ट्रीयता का प्रतीक है । ‘जबतक अंतिम धर्मांतरित हिन्दू की घरवापसी (शुद्धिकरण) नहीं होता, तबतक हम संघर्ष करते रहेंगे, ऐसा निश्चय प्रताप सिंह जुदेव ने व्यक्त किया ।
धर्मकार्य करते समय होनेवाली विरोध की अनदेखी कर धर्मरक्षा करनी चाहिए ! – विजय जंगम, राष्ट्रीय कार्याध्यक्ष तथा प्रवक्ता, अखिल भारतीय वीरशैव लिंगायत महासंघ, मुंबई
देश में अनेक वर्षाें से जातियों में संघर्ष चल रहा है । बाह्य शक्तियां वीरशैव लिंगायत समुदायसहित अन्य जातियों को विभाजित करने का, साथ ही उन्हें हिन्दुत्व से तोडने का प्रयास कर रहे हैं । वीरशैव लिंगायत समुदाय के धर्मगुरुओं पर टीका-टिप्पणी किए जाने के उपरांत हमने इस विरोध में लडाई की । लिंगायत समुदाय के कुछ लोग हिन्दू धर्म को नहीं मानते । उन्हें स्वयं के स्वार्थ के लिए आरक्षण और शिक्षा चाहिए; परंतु हिन्दू धर्म से हटकर अलग मांगें करना अनुचित है । आज हिन्दुत्व की छत्रछायातले हमने कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, देहली, पंजाब, नेपाल और बांग्लादेश के वीरशैव लिंगायत समुदाय के लोगों को संगठित किया है । हम हिन्दू धर्मी और सनातनी हैं । इस उद्देाय से देश के लिंगायत समुदाय के संप्रदायों को संगठित करना होगा । काशीपीठ, चंद्रशेखर शिवाचार्य महास्वामीजी और भीमाशंकर शिवाचार्य महास्वामीजी से ‘लिंगायत कोई अलग धर्म नहीं है, अपितु वह हिन्दू धर्म ही है । हम हिन्दू हैं’, ऐसा आप लोगों को बताइए । कुछ हिन्दू लोगों का आचरण ऐसा दिकाई देता है कि ‘हिन्दू संस्कृति से मेरा कोई लेना-देना नहीं है ।’ वे ब्रिटिशों की विचारधारा की भांति आचरण करते हैं । यह अनुचित है । हिन्दुओं का व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन बदल सकता है; परंतु धार्मिक जीवन बदल नहीं सकता । कुछ लोग लिंगायत समुदाय की परंपरा अलग है’, ऐसा बोलकर अनुचित विचार फैलाने का काम कर रहे हैं । कर्नाटक में लिंगायत समुदाय ने स्वतंत्र धर्म का प्रस्ताव दिया था; परंतु हमने उस प्रस्ताव को तोड डाला । हमने कर्नाटक और केंद्र सरकार को ज्ञापन भेजकर ‘सर्वप्रथम सभी लिंगायत हिन्दू हैं और लिंगायत हिन्दू धर्म का घटक है’, इस विषय में भूमिक स्पष्ट कीजिए’, यह मांग की । तब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शहा को कर्नाटक आकर इस विषय में हमारे धर्मगुरुओं से चर्चा करनी पडी । इसलिए हम धर्म का कार्य करते समय कौन आलोचना और विरोध करता है, इसकी ओर ध्यान न देकर धर्म की रक्षा करना आवश्यक है ।
श्री. विजय जंगम ने कृतज्ञतापूर्वक कहा, ‘‘हिन्दू जनजागृति समिति के कार्यकर्ता और सनातन संस्था के साधक मुझे धर्मरक्षा के उपक्रमों के लिए सदैव बुलाते हैं, इसके लिए मैं उनका धन्यवाद करता हूं ।’’ |