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…और कुछ न मांगू भगवन् ।
इन सभी से मुक्त करा दो ॥ धृ ॥
पल पल ‘मैं’ उलझा हूं..।
हे सारथी, रथ मेरा, ‘द्वैत’ से पार करा दो ॥ १ ॥
माया-मोह के रोग से ग्रसित ।
हे वैद्य, मुझे ‘राम’बाण औषधि दिला दो ॥ २ ॥
तीव्र वेग से आ रही आंधी से दूर ।
हे नाविक, मुझे भवसागर पार करा दो ।
…और कुछ न मांगू भगवन् ।
इन सभी से मुक्त करा दो ॥ ३ ॥
– तेरा सुदामा,
कु. रेणुका कुलकर्णी, सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा. (९.१२.२०१९)