स्वयं के द्वारा हिन्दू धर्म का आचरण करने से ही हिन्दुओं को जागृति लाना संभव ! – दयाल हरजानी, व्यवसायी, हाँगकाँग

मंदिरों में दानपेटी होती है; परंतु ज्ञानपेटी नहीं होती । मंदिरों में धर्म का ज्ञान मिलना आवश्यक है । दुर्भाग्यवश मंदिरों की ओर से ज्ञान नहीं दिया जाता । इसलिए हमें मंदिरों में भी परिवर्तन लाना पडेगा । धर्म का ज्ञान लेकर मन में मंदिर तैयार नहीं हुआ, तो वह किसी उपयोग का नहीं है ।

‘सादगीपूर्ण जीवनशैली और उच्च विचारधारा की प्रतीति : परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी !

किसी कागद की छायांकित प्रति निकालने पर उसमें यदि २-४ सें.मी. का निचला भाग कोरा हो, तो वे उतना कागद लेखन के लिए निकाल लेते हैं, साथ ही टिकट, डाक के पत्र का कोरा भाग काटकर उसपर भी लेखन करते हैं ।

पाठ्यपुस्तक में भारत के तेजस्वी इतिहास का समावेश करने का ठराव हिन्दू राष्ट्र संसद में एकमत से संमत !

मुगलों ने हिन्दुओं पर जो अत्याचार किए, उसका इतिहास विद्यालयीन पाठ्यक्रम में सिखाया जाना चाहिए । छत्रपति शिवाजी महाराज ने किस प्रकार से अफजल खान का वध किया और शाहिस्ते खान की उंगलियां काट दीं, यह हिन्दुओं के पराक्रम का इतिहास युवा पीढी को सिखाया जाना चाहिए ।

पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन ‘दावत-ए-इस्लामी’ के साथ २५ राज्यों के ३०० लोगों का संपर्क !

हिन्दुओं को जड से उखाड फेंकने की मानसिकता रखनेवाले इस जिहादी आतंकवाद को नष्ट करने के लिए अब ‘हिन्दू राष्ट्र’ ही एकमात्र विकल्प रह गया है, यह समझ लें !

बिहार विधानसभा में ‘वन्दे मातरम्’ के समय विधायक सऊद आलम ने खडे रहने से मना किया !

भारत के अधिकांश मुसलमान ‘वन्दे मातरम्’ के विरोधी हैं, यह विश्वविदित है । इसलिए सऊद आलम ने खडे रहने से मना किया, यह ध्यान में आता है । ऐसे लोगों को उनके धर्म के ५७ देशों में चले जाने को यदि कोई कहे, तो इसमें क्या आश्चर्य ?

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए प्रधानता लेकर कार्य कीजिए !

आज जहां सर्वत्र वैचारिक स्तर पर ध्रुवीकरण होने के समय आप सभी हिन्दू राष्ट्र-स्थापना का प्रभावशाली पद्धति से प्रस्तुतिकरण करनेवाले अध्येता वक्ता बनिए, साथ ही लेखन, सामाजिक माध्यमों आदि के माध्यम से वैचारिक कार्य कीजिए, ऐसा आवाहन सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने किया ।

प्राचीन धर्मशास्त्रों के आधार पर भारतीय संविधान तैयार किया जाए !

‘संविधान बनाते समय शंकराचार्य, धर्माचार्य जैसे धर्म के जानकारों का मत लिया जाए ।’, ‘भारतीय संविधान में ‘पंथ’ एवं ‘धर्म’, साथ ही ‘रिलीजन’ आदि की परिभाषाएं स्पष्ट की जाएं ।’

वह दिन दूर नहीं है जब हिन्दू एकत्रित आकर काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा करेंगे ! – अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन, सर्वाेच्च न्यायालय

ज्ञानवापी मस्जिद के वजूखाना का (नमाज के पहले हाथ-पैर धोने का स्थान) पानी लगातार तीन दिन तक निकालने पर वहां भव्य शिवलिंग मिला । जिस समय मुझे उस भव्य शिवलिंग के दर्शन हुए, उस समय मैंने निश्चय किया कि, आगे से हिन्दुओं के आराध्य देवताओं का अनादर नहीं होने दूंगा ।

हिन्दू धर्म के विरोध में लिखनेवाले प्रसिद्धि माध्यमों को न्यायालय में उत्तर देना होगा ! – अधिवक्ता नागेश जोशी, सचिव, हिन्दू विधिज्ञ परिषद, गोवा

‘प्रसिद्धि और पैसे मिलेंगे, इसलिए हिन्दू धर्म और धर्माभिमानियों की निंदा करो’ ऐसे षड्यंत्र आजकल बडी संख्या में बढ गए हैं । ‘माध्यमों के द्वारा होनेवाली अपकीर्ति को अनदेखा करना’, ऐसी भूमिका कुछ संगठनों की है । इसलिए ऐसे प्रसारमाध्यम अधिक फलते हैं; परंतु सनातन संस्था ने प्रारंभ से ही ऐसे माध्यमों के विरोध में कानूनी लडाई लडने की भूमिका निभाई है ।

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना होने के पश्चात ही विश्व का कल्याण करने में भारत सक्षम बनेगा ! – प.पू. स्वामी गोविंद देवगिरी महाराज, कोषाध्यक्ष, श्रीरामजन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास, अयोध्या

भारत में अनादि काल से हिन्दू संस्कृति है । यह संस्कृति प्रगल्भ विचारधारा लेकर आई है । संसार की अन्य संस्कृतियों का लय हो चुका है, तब भी हिन्दू संस्कृति आज भी टिकी हुई है; क्योंकि यह संस्कृति वैदिक विचारधारा पर आधारित है ।