मोहनदास गांधी की हत्या के पीछे कौन है ? – रणजीत सावरकर, कार्याध्यक्ष, वीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक
श्री. रणजीत सावरकर द्वारा लिखित ‘मेक शुअर गांधी इज डेड’ पुस्तक का लोकार्पण
इस विषय में केंद्र सरकार आयोग गठन कर दबे हुए प्रमाणों को बाहर निकाले !
श्री. रणजीत सावरकर द्वारा लिखित ‘मेक शुअर गांधी इज डेड’ पुस्तक का लोकार्पण
इस विषय में केंद्र सरकार आयोग गठन कर दबे हुए प्रमाणों को बाहर निकाले !
वामपंथियों ने संपूर्ण विश्व में जो हत्याएं कीं, उनका आंकडा १० करोड से भी अधिक है । नक्सलियों ने ही भारत में १४ सहस्र से अधिक लोगों की हत्याएं की हैं । नक्सलियों ने जिनकी हत्याएं की हैं, उनमें आदिवासी, विधायक एवं मंत्री अंतर्भूत हैं; परंतु यह हमें दिखाया नहीं जाता ।
हिन्दू विधिज्ञ परिषद के संस्थापक सदस्य पू. (अधिवक्ता) सुरेश कुलकर्णीजी के करकमलों से इस पुस्तक का लोकार्पण हुआ । इस अवसर पर व्यासपीठ पर इस पुस्तक के लेखक डॉ. अमित थडानी, हिन्दू विधिज्ञ परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर एवं अधिवक्ता पी. कृष्णमूर्ती उपस्थित थे ।
एक ही प्रकार का अपराध होते हुए भी अपराधियों को भिन्न दंड क्यों दिया जाता है ? उसके पीछे क्या कर्मफलसिद्धांत है ? जब एकाध द्वारा बलात्कार के समान अपराध होता है, तब उसके पीछे ‘काम’ एवं ‘क्रोध’ ये षड्रिपुओं के दोष समाहित होते हैं । क्या उसका अध्ययन नहीं होना चाहिए ?
हिन्दू विधिज्ञ परिषद के अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर ने ट्वीट द्वारा विषय किया स्पष्ट !
जिस सरकार के शासनकाल में यह दंगा हुआ, उस सरकार के समय कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पक्षों के साथ संबंध रखने वालों पर तत्काल कार्रवाई न करने वालों को आजीवन कारावास का दंड दिया जाना चाहिए !
विजयदुर्ग केंद्रीय पुरातत्व विभाग के नियंत्रण में है । नौसेना के इतिहास में उसका बडा महत्त्व है । ब्रिटिशों के आक्रमणों को यहीं से निरस्त किया गया; परंतु आज इस गढ की स्थिति जर्जर हो चुकी है । क्या यहां भी भ्रष्टाचार हुआ है ?, इस पर संदेह है ।
२९ जनवरी २०२३ को प्रकाशित लेख में हमने ‘अधिकारों का वितरण तथा संसद के द्वारा न्यायालय के अधिकारों पर लगाई गई मर्यादाएं, संविधान में कितने परिवर्तन संभव हैं ?
‘हे न्यायदेवता, मैं आपको पुनः पत्र लिख रहा हूं । उसे देखकर आप क्षुब्ध नहीं होंगे, ऐसी यदि मैंने अपेक्षा रखी, तब भी पत्र पढकर आप कुछ करेंगे नहीं, ऐसा मुझे लगने न दें; क्योंकि देखा जाए, तो विषय थोडा गंभीर है और कहा जाए, तो व्यंगात्मक भी ! किसी ने पहले ही कह डाला था कि इतिहास की पुनरावृत्ति होती है । पहले वह शोकांतिका होती है तथा उसके पश्चात वह व्यंग होता है ।
कामकाज को जालस्थल पर प्रकाशित करने के लिए अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर का महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को पत्र !