११ वर्षों के उपरांत भी दंगों के हानि की भरपाई नहीं की गई  !

जिस सरकार के शासनकाल में यह दंगा हुआ, उस सरकार के समय कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पक्षों के साथ संबंध रखने वालों पर तत्काल कार्रवाई न करने वालों को आजीवन कारावास का दंड  दिया जाना चाहिए !

गढ-किलों के संवर्धन के लिए हिन्दू विधिज्ञ परिषद द्वारा लडी जा रही लडाई !

विजयदुर्ग केंद्रीय पुरातत्व विभाग के नियंत्रण में है । नौसेना के इतिहास में उसका बडा महत्त्व है । ब्रिटिशों के आक्रमणों को यहीं से निरस्त किया गया; परंतु आज इस गढ की स्थिति जर्जर हो चुकी है । क्या यहां भी भ्रष्टाचार हुआ है ?, इस पर संदेह है ।

न्यायपालिका एवं विधिपालिका के बीच की अहंकार की लडाईयां ?

२९ जनवरी २०२३ को प्रकाशित लेख में हमने ‘अधिकारों का वितरण तथा संसद के द्वारा न्यायालय के अधिकारों पर लगाई गई मर्यादाएं, संविधान में कितने परिवर्तन संभव हैं ?

न्यायपालिका एवं विधिपालिका के बीच की अहंकार की लडाइयां ?

‘हे न्यायदेवता, मैं आपको पुनः पत्र लिख रहा हूं । उसे देखकर आप क्षुब्ध नहीं होंगे, ऐसी यदि मैंने अपेक्षा रखी, तब भी पत्र पढकर आप कुछ करेंगे नहीं, ऐसा मुझे लगने न दें; क्योंकि देखा जाए, तो विषय थोडा गंभीर है और कहा जाए, तो व्यंगात्मक भी ! किसी ने पहले ही कह डाला था कि इतिहास की पुनरावृत्ति होती है । पहले वह शोकांतिका होती है तथा उसके पश्चात वह व्यंग होता है ।

७७ सहस्र एकड से अधिक भूमि के स्वामित्ववाले वक्फ बोर्ड का कार्य पारदर्शी नहीं है !

कामकाज को जालस्थल पर प्रकाशित करने के लिए अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर का महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को पत्र !

हिन्दू राष्ट्र संसद में सहभागी सदस्यों और विशेषज्ञ समिति के सदस्यों द्वारा रखे गए सूत्र !

हिन्दुत्वनिष्ठ कार्यकर्ता को कारागृह में डाले जाने पर उसके परिवार को अनेक संघर्षाें का सामना करना पडता है । उनके बच्चों के भविष्य का विचार नहीं किया जाता, उसके कारण उसके परिवार को आवश्यक सहायता नहीं मिलती ।

हिन्दू धर्म के विरोध में लिखनेवाले प्रसिद्धि माध्यमों को न्यायालय में उत्तर देना होगा ! – अधिवक्ता नागेश जोशी, सचिव, हिन्दू विधिज्ञ परिषद, गोवा

‘प्रसिद्धि और पैसे मिलेंगे, इसलिए हिन्दू धर्म और धर्माभिमानियों की निंदा करो’ ऐसे षड्यंत्र आजकल बडी संख्या में बढ गए हैं । ‘माध्यमों के द्वारा होनेवाली अपकीर्ति को अनदेखा करना’, ऐसी भूमिका कुछ संगठनों की है । इसलिए ऐसे प्रसारमाध्यम अधिक फलते हैं; परंतु सनातन संस्था ने प्रारंभ से ही ऐसे माध्यमों के विरोध में कानूनी लडाई लडने की भूमिका निभाई है ।

विकास के नाम पर तीर्थस्थलों को पर्यटनस्थल मत बनाइए !

प्राचीन काल में अंकोर वाट, हम्पी, आदि भव्य मंदिरों का निर्माण करनेवाले राजा-महाराजाओं ने उनका उत्तम व्यवस्थापन किया था । इन मंदिरों के माध्यम से गोशालाओं, अन्नछत्रों, धर्मशालाओं, शिक्षाकेंद्रों आदि चलाकर समाज की अमूल्य सहायता की जाती थी ।

‘लव जिहाद’ में फंसी हिन्दू महिलाओ, क्या आपको इस्लामी कानूनों के विषय में यह ज्ञात है ?

कई बार ऐसा दिखाई देता है कि मुसलमान से प्रेम करनेवाली हिन्दू महिला पहले अपना धर्म बदलती है । किसी मौलवी के पास ले जाकर उसका धर्मांतरण किया जाता है । उससे कोई सत्य प्रतिज्ञापत्र लिया जाता है, जिस पर लिखा होता है, ‘मैं अपनी इच्छा से धर्म बदल रही हूं और मेरे माता-पिता के पास जाने की मेरी इच्छा नहीं है ।

रोगियों के अनावश्यक परीक्षण कर पैसा कमानेवाले (कट प्रैक्टिस) डॉक्टर और सरकार की बेकार नीति !

देश में संगठित अपराधों के विरोध में कठोर कानून हैं; परंतु चिकित्सा क्षेत्र में स्थित संगठित लूटमार के विरोध में कोई कानून नहीं है । आज की स्थिति यह है कि ‘कट प्रैक्टिस’ करनेवालों के लिए कोई दंड नहीं है ।