बीबीसी ने ४० करोड रुपए का राजस्व (टैक्स ) चुकाने की स्वीकृति दी !

पहले राजस्व (टैक्स) चुकाने की बात अस्वीकार कर ऊपर से छल किए जाने का बहाना करनेवाली बीबीसी पर अब नियमानुसार कडी कार्यवाही करना आवश्यक है । तभी ऐसे ब्रिटिश प्रतिष्ठानों को भय प्रतीत होगा !

भारत में नियमों का पालन करना पड़ेगा अन्यथा कारागार जाना पड़ेगा ! – ट्विटर के इलॉन मस्क  

भारत में सामाजिक प्रचार माध्यमों पर कठोर कानूनी निर्बंध हैं । इसलिए, हमारे सूचनाजाल तंत्र को अमेरिका अथवा इतर पाश्‍चात्त्य देशों में ट्विटर के उपभोक्ताओं को जितनी स्वतंत्रता दी जाती है, उतनी स्वतंत्रता भारतीय ट्विटर के उपभोक्ताओं को नहीं दी जा सकती ।

आई.ए.एस. अधिकारी रोहिणी और आई.पी.एस. अधिकारी रूपा का अंतत: स्थानांतर !

व्यक्तिगत छायाचित्र सामाजिक माध्यम से प्रसारित किए जाने का प्रकरण

भारत-चीन सीमा पर भारत द्वारा सबसे बडे सैन्यबल की नियुक्ति ऐतिहासिक कदम है !

भारत के चुनावों में रुकावट लाने हेतु पश्चिमी राष्ट्रों ने अभी से कमर कसना आरंभ कर दिया है’, डॉ. जयशंकर ने इस वक्तव्य के माध्यम से ऐसा कहा है, यह ध्यान में लें !

(और इनकी सुनिए…) ‘हम निष्पक्ष समाचार देते रहेंगे ! – बीबीसी का दावा

बीबीसी द्वारा निष्पक्ष समाचार देने के दावे पर कोई भी धर्मनिष्ठ हिन्दू एवं राष्ट्रप्रेमी नागरिक विश्वास नहीं करेगा, यही वास्तविकता है !

‘लव जिहाद’ में सहभागी हैं मुसलमान पुरुष !

इंडिया टुडे जैसे प्रसार माध्यम द्वारा कराए गए सर्वेक्षण पर अब तथाकथित सेक्युलरवादी पुरो (अधो)गामी अपना मुंह खोलेंगे एवं ‘लव जिहाद’ के अस्तित्व को स्वीकार करेंगे, ऐसी अपेक्षा !

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ए.के. एंटनी के पुत्र अनिल एंटनी ने कांग्रेस का त्याग किया !

प्रधानमंत्री मोदी पर बनी ‘ बीबीसी न्यूज’ के वृत्तचित्र (डॉक्युमेंट्री ) का विरोध !

‘बीबीसी न्यूज’ द्वारा हिन्दू विरोधी डॉक्यूमेंट्री दिखाए जाने पर जे.एन.यू. में विवाद !

ऐसी हिन्दू विरोधी और कानून विरोधी कम्युनिस्ट छात्र संगठन पर सरकार को प्रतिबंध लगाना चाहिए !

भारत के बुद्धिवादी ही देश के विरुद्ध हैं ! – ऑस्ट्रेलिया के प्रा. सॅल्वाटोर बेबोनेस

हिंदुत्वनिष्ठों ने नहीं, अपितु एक विदेशी प्राध्यापक द्वारा ऐसा कहना, क्या भारत के बुद्धिवादी स्वीकार करेंगे ? धर्मप्रेमी हिन्दुओं को वैचारिक रूप से भारत की राष्ट्र-हत्या एवं धर्म-हत्या करने वाले बुद्धिजीवियों का विरोध करते रहना चाहिए !

मुख्य संपादक पर सीधा आरोप न होने पर उन्हें उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता ! – उच्चतम न्यायालय

इस पर हुई सुनवाई में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि, आरोप मजबूत और सीधा होगा, तो मुख्य संपादक को कोई भी छूट नहीं दे सकते । उसी प्रकार संपादकों पर सीधा आरोप न होने पर उन्हें उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता ।