दशम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में हिन्दू जागृति के विविध माध्यमों के विषय में जागृति
रामनाथी (गोवा) – हमें मूलतः आंतरिक यात्रा कर ही अर्थात साधना कर ही धर्मकार्य के लिए तैयार होना होगा । स्वयं के द्वारा हिन्दू धर्म का आचरण करने से ही हिन्दुओं में जागृति लाना संभव है, ऐसा प्रतिपादन हाँगकाँग के व्यायवसायी श्री. दयाल हरजानी ने किया । रामनाथी में आयोजित दशम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में वे ऐसा बोल रहे थे ।
श्री. हरजानी ने आगे कहा, ‘‘मंदिरों में दानपेटी होती है; परंतु ज्ञानपेटी नहीं होती । मंदिरों में धर्म का ज्ञान मिलना आवश्यक है । दुर्भाग्यवश मंदिरों की ओर से ज्ञान नहीं दिया जाता । इसलिए हमें मंदिरों में भी परिवर्तन लाना पडेगा । धर्म का ज्ञान लेकर मन में मंदिर तैयार नहीं हुआ, तो वह किसी उपयोग का नहीं है । इसके लिए गुरुकुल परंपरा का पुनर्जीवन होना आवश्यक है । हमें हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार रोकने के साथ हिन्दुओं की रक्षा करना भी आवश्यक है ।’’
हिन्दू धर्म के मूल्यों का शास्त्रीय परिभाषा में ‘यू ट्यूब चैनल’ द्वारा प्रसार करनेवाले हाँगकाँग के व्ययसायी दयाल हरजानी !श्री. दयाल हरजानी ने कहा कि हिन्दू धर्म के मूल्यों का शास्त्रीय परिभाषा में प्रसार करने के लिए हम प्रत्येक महिने के दूसरे सोमवार के दिन ऑनलाइन कार्यक्रम लेते हैं । अब हमारे ‘यूट्यूब चैनल’ के ९० सहस्र सदस्य हैं, जो बढ रहे हैं । यह एक बडी शक्ति है । मुझे हिन्दू जनजागृति समिति के साथ सदैव संगठन रखना है । मैं इस धर्मकार्य के लिए स्वयं को समर्पित करता हूं । |
ऋषि-मुनियों द्वारा दिया गया ज्ञान युवा पीढी तक पहुंचाने के लिए ‘जंबू टॉक्स’ पर धार्मिक कार्यक्रम लिए ! – निधीश गोयल, संचालक, ‘जंबू टॉक्स’, जयपुर, राजस्थान
यू ट्यूब पर ‘जंबू टॉक्स’ कार्यक्रम के द्वारा राष्ट्र एवं धर्म के विषय में चर्चा आयोजित कर मैने आध्यात्मिक अनुभव लिया है । देश के ऋषि-मुनियों द्वारा हमें दिया गया ज्ञान नई पीढीतक पहुंचाने के लिए हमने ‘जंबू टॉक्स’ के द्वारा रामायण, महाभारत और इतिहास के दृष्टिकोण से विभिन्न विषयों पर ५०० से अधिक कार्यक्रम लिए, जिसका युवकों ने बहुत अच्छा प्रत्युत्तर किया । इस कार्यक्रम में प्रश्नोत्तरी के कार्यक्रम लेने से युवकों की बौद्धिक क्षमता बढी । इससे हमने समाज के सामने ‘लव जिहाद’, ‘हलाल मांस’ जैसे इस्लाम से संबंधित विकृतियों की जानकारी विश्व के सामने उजागर की । मोहनदास गांधी के भारत आने से लेकर का इतिहास और भारत का वैभवशाली प्राचीन इतिहास की जानकारी दी । यह सब करते समय ईश्वर ने मुझे एक सेवक के रूप में चुना है, इसका भान हुआ । ‘जंबू टॉक्स’ आरंभ करने से लेकर १ ही वर्ष में हम सभी बाधाओं पर विजय प्राप्त कर आगे बढ रहे हैं, इसका भान हुआ ।
ऐहिक एवं आध्यात्मिक उन्नति होने के लिए उद्यमी धर्मकार्य के लिए अर्पण दें ! – रवींद्र प्रभुदेसाई, संचालक, पितांबरी उद्योगसमूह, ठाणे
मैं पहली बार जब परात्पर गुरु परशराम पांडे महाराजजी से मिला, तब उन्होंने मुझे ‘उद्यमी’ शब्द का सही अर्थ समझाया । इसमें ‘उद्’ का अर्थ है ‘आनंद’ और ‘यमि’ का अर्थ है अर्जित करना ! अतः जो प्रत्येक व्यक्ति की आध्यात्मिक प्रगति करवा लेता है वह सच्चा उद्यमी ! उसी परिप्रेक्ष्य में देखा जाए, तो विश्व के सबसे बडे उद्यमी परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी ही हैं । वे सभी को आनंद मिले; इसके लिए कार्यरत हैं । मुझे मिलनेवाले धन का कुछ अंश मैंने धर्मकार्य करनेवाली सनातन संस्था और हिन्दू जनजागृति समिति को अर्पण देना आरंभ किया, तब से मेरे आनंद में और अधिक वृद्धि हुई; इसलिए ऐहिक और आध्यात्मिक उन्नति होने के लिए उद्यमियों को धर्मकार्य हेतु अधिकाधिक अर्पण देना चाहिए ।
हिन्दू राष्ट्र-स्थापना के कार्य में प्रसारमाध्यमों का बडा योगदान ! – अभिषेक जोशी, अध्यक्ष, ओडिशा सुराख्य सेना, कटक, ओडिशा
लोगों का संघर्ष और उनकी समस्याओं को सरकार तक पहुंचाने का काम प्रसारमाध्यम करते हैं । यह उनका कर्तव्य है । मैंने वर्ष २०१६ से प्रसारमाध्यम का कार्य आरंभ किया । उस माध्यम से मैंने जनता की आवाज को सरकार तक पहुंचाने का प्रयास किया । कुछ लोगों को ऐसा लगता है कि सरकार की सहायता के बिना हम प्रसारमाध्यम का काम नहीं कर सकेंगे; परंतु यह उनका भ्रम है । आरंभ में मैंने एक पत्रिका आरंभ की । उसमें मैने मनोरंजन का विषय नहीं रखा और केवल धर्म और संस्कृति की जानकारी देना आरंभ किया । भगवद्गीता का अर्थ सहित श्लोक देना आरंभ किया । ऐसा करते समय भगवान श्री जगन्नाथ और श्रीकृष्ण के आशीर्वाद के कारण मुझे कोई समस्या नहीं आई । प्रसारमाध्यमों के माध्यम से हमें वामपंथियों का हिन्दू विरोधी चेहरा जनता के सामने लाना होगा । वामपंथ का निश्चित स्वरूप क्या है ?, उस विषय में हिन्दुओं की निश्चित भूमिका क्या है ? आदि के विषय में प्रसारमाध्यमों में जानकारी प्रकाशित होना आवश्यक है । वामपंथियों और आधुनिकतावादियों का महिमामंडन करनेवाले प्रसारमाध्यमों का बहिष्कार किया जाए, साथ ही उन्हें विज्ञापन नहीं देने चाहिए । उनकी संपूर्ण अनदेखी की जाए । हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के कार्य में प्रसारमाध्यमों का बडा योगदान रहनेवाला है । धर्म का पालन करना पत्रकारों और संपादकों का कर्तव्य है ।
सामाजिक माध्यमों का प्रभावी पद्धति से उपयोग कर हिन्दू राष्ट्र का प्रसार किया जा रहा है ! – विश्वनाथ कुलकर्णी, हिन्दू जनजागृति समिति, राज्य समन्वयक, पूर्व उत्तर प्रदेश एवं बिहार
हिन्दुओं को धर्मशिक्षा मिले और हिन्दुओं पर हो रहे आघात सभी के सामने आएं; इसके लिए हिन्दू जनजागृति समिति के माध्यम से वर्ष २०१६ में हमने ‘सामाजिक माध्यमों’ के द्वारा स्वतंत्र पद्धति से प्रसार आरंभ किया । प्रतिमाह १ लाख २० सहस्र लोग समिति का जालस्थल www.hindujagruti.org पढते हैं । आज तक ऑनलाइन परिचर्चा ‘चर्चा हिन्दू राष्ट्र की’ ६ लाख से अधिक लोगों ने देखा है । ‘ऑनलाइन पिटीशन’, ‘ट्विटर ट्रेंड’, ‘ऑनलाइन आंदोलन’ कर हिन्दुओं में जागृति लाई गई । इस प्रकार से सामाजिक माध्यमों का प्रभावी उपयोग कर हिन्दू राष्ट्र का प्रसार किया जा रहा है ।