दशम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में हिन्दू राष्ट्र संसद में महत्त्वपूर्ण प्रस्ताव पारित !
रामनाथी (गोवा) – ईसाईबहुल देशों में ‘बाइबिल’ और इस्लामी देशों में ‘कुरान-हदीस’ के आधार पर संविधान बनाए गए, उसी प्रकार भारतीय संविधान भी प्राचीन धर्मशास्त्रों के आधार पर तैयार की जाए, यह महत्त्वपूर्ण प्रस्ताव यहां के दशम अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन की द्वितीय ‘हिन्दू राष्ट्र संसद में पारित किया गया । इस संसद के सभापतिपद पर सर्वाेच्च न्यायालय के अधिवक्ता उमेश शर्मा, उपसभापति हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे, तथा सचिव पद पर सनातन संस्था के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. चेतन राजहंस विराजमान थे ।
‘संविधान बनाते समय शंकराचार्य, धर्माचार्य जैसे धर्म के जानकारों का मत लिया जाए ।’, ‘भारतीय संविधान में ‘पंथ’ एवं ‘धर्म’, साथ ही ‘रिलीजन’ आदि की परिभाषाएं स्पष्ट की जाएं ।’ ‘चुनाव के समय में की जानेवाली घोषणाएं कितने दिनों में पूर्ण किए जाएंगे ?’, इसके लिए राजनीतिक दल समयावधि सुनिश्चित करें आदि विविध प्रस्ताव इस हिन्दू राष्ट्र संसद में रखे गए । विभिन्न जयघोषों के उत्स्फूर्त प्रत्युत्तर के द्वारा उपस्थित सदस्यों ने इन प्रस्तावों का अनुमोदन किया ।
क्या है हिन्दू राष्ट्र संसद ?
जिस प्रकार जनहित और राष्ट्रहित से संबंधित विभिन्न विषयों पर चर्चा करने के लिए जनप्रतिनिधियों की संसद का अस्तित्व है, उसी प्रकार से धर्महित के विषय पर चर्चा करने के लिए धर्मप्रतिनिधियों की यह हिन्दू राष्ट्र संसद है । इस संसद में पारित होनेवाले प्रस्ताव जनप्रतिनिधियों को भेजे जाएंगे । उस आधार पर संसद में इस विषय पर चर्चा हो सकेगी । तात्पर्य यह कि यह संसद केवल प्रतिकात्मक है । इस संसद के द्वारा सुझाए गए प्रस्तावों पर भविष्य में भारतीय संसद में चर्चा हो सकेगी ।
१. सभापति मंडल का स्वरूप : सभापति मंडल में सभापति, उपसभापति और सचिव का समावेश होगा ।
२. विशेष संसदीय समिती : विशेष संसदीय समिति (पार्लमेंटरी एक्स्पर्ट कमिटी) माननीय सदस्यों द्वारा उठाए गए सूत्रों पर आवश्यकता के अनुसार उनमें सुधार अथवा उनका खंडन करेगी । उसके लिए इस समिति के सदस्य अपने स्थान से उठकर सभापति की अनुमति से विषय रखेंगे । अन्य सदस्य इस प्रकार से अनुमति नहीं मांग सकेंगे । अन्य सदस्यों को अपने सूत्रों को लिखकर देना अनिवार्य रहेगा ।
हिन्दू राष्ट्र संसद में पारित प्रस्तावों के विषय में कानून में प्रावधान है ?, इसका अध्ययन हो !
– अधिवक्ता उमेश शर्मा, सभापति
‘हिन्दू राष्ट्र संसद में जो प्रस्ताव पारित किए गए, उन्हें पारित करने के लिए वर्तमान कानूनों में क्या कोई प्रावधान हैं ?’, इसका अध्ययन किया जाना चाहिए । जिन विषयों में कानून नहीं है, उन विषयों में न्यायालयीन निर्देश हैं क्या ?, इसे देखा जाए । शासन के अनुचित निर्णयों में राज्य सरकार तुरंत संशोधन करे । संशोधन न होते हो, तो उसके विरोध में चरणबद्ध पद्धति से शिकायत की जाए, ऐसा प्रतिपादन हिन्दू राष्ट्र संसद के सभापती अधिवक्ता उमेश शर्मा ने किया ।
उपसभापति श्री. रमेश शिंदे द्वारा सभापति मंडल की ओर से प्रस्तावों पर रखी गई भूमिका !
भारत प्राचीन संस्कृति धारण किया हुआ राष्ट्र है । भारत किसी व्यक्ति की विचारधारा पर चलनेवाला नहीं है; इसलिए संविधान में विद्यमान ‘धर्मनिरपेक्षता’ और ‘समाजवाद’, इन शब्दों को हटाया जाए ।
पारसी लोगों के मंदिर में अन्य धर्मियों को प्रवेश नहीं दिया जाता । संविधान इस प्रथा का सम्मान करता है, तो शबरीमला मंदिर में ५० वर्ष आयुसमूह तक की महिलाओं को प्रवेश न देने की प्रथा का भी सम्मान होना चाहिए ।
विश्व में हिन्दू अल्पसंख्यक हैं; उसके कारण किसी को अल्पसंख्यक की श्रेणी न देकर वह वैश्विक स्तर के आधार पर देनी चाहिए । ‘भारत की दृष्टि से किसी को अल्पसंख्यक क्यों प्रमाणित करना चाहिए ?’, इस विषय पर विस्तार से विचारमंथन होना चाहिए । ‘अल्पसंख्यक’ इस संकल्पना की परिभाषा सुनिश्चित की जाए ।
लव जिहाद की घटनाओं का विस्तार से अध्ययन होना चाहिए । महिला आयोग को ऐसे प्रकरणों का अध्ययन करना चाहिए । हिन्दू युवती ने यदि अन्य धर्मी से विवाह किया हो, तो आयोग को विवाह के एक वर्ष उपरांत उसकी साक्ष लेनी चाहिए । ‘क्या विवाहित युवती पर धर्मपरिवर्तन के लिए जबरदस्ती की जा रही है ?’, इसे देखना चाहिए ।
लव जिहाद को अस्तित्व न होने का ब्योरा देनेवाले राष्ट्रीय अन्वेषण विभाग को केरल में घटित लव जिहाद की घटनाओं के तथ्यों की पडताल कर इस विषय में पुनः जांच कर सर्वाेच्च न्यायालय को उस विषय में जानकारी देनी चाहिए ।
ईशनिंदा के विरोध में कानून बनाते समय उसमें कौनसे प्रावधान होने चाहिए, यह सुनिश्चित करने के लिए यह प्रस्ताव संशोधन समिति को भेजना चाहिए ।
आरक्षण के सर्वंकष अध्ययन के लिए सरकार समिति का गठन
करे । आर्थिक आरक्षण के विषय पर विस्तार से चर्चा ली जाए ।