हस्तरेखा विशेषज्ञ सुनीता शुक्ला द्वारा हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी की हस्तरेखाओं का किया गया विश्लेषण !

ऋषिकेश (उत्तराखंड) की हस्तरेखा विशेषज्ञ सुनीता शुक्ला के द्वारा हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी की हस्तरेखाओं का किया गया विश्लेषण यहां दे रहे हैं

कोटि-कोटि प्रणाम !

५ अगस्त को हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु चारुदत्त पिंगळेजी का ५७ वां जन्मदिन

हिन्दू राष्ट्र हेतु संगठन : हिन्दू कार्यकर्ताओं के लिए आधारस्तंभ !

लोकमान्य टिळक, सरदार वल्लभभाई पटेल, वीर सावरकर, लाला लाजपत राय, न्यायाधीश रानडे, देशबंधु चित्तरंजन दास जैसे अनेक अधिवक्ताओं ने उस काल में स्वतंत्र भारत की लडाई हेतु प्रयास किए तथा भारत को स्वतंत्रता दिलाई ।

वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव : बीजवक्तव्य

इस वर्ष का महोत्सव मुख्य रूप से सनातन धर्म की वैचारिक सुरक्षा, हिन्दू समाज की सुरक्षा के उपाय, हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए संवैधानिक प्रयास, मंदिर सुरक्षा के प्रयास, वैश्विक स्तर पर हिन्दुत्व की सुरक्षा पर केंद्रित होगा । ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ एक प्रकार का लोकमंथन है!  यहां एकत्र हुई हिन्दू शक्ति हिन्दू राष्ट्र निर्माण के विश्वकल्याणकारी कार्य में शामिल होगी ।

हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने की कुलगुरु डॉ. प्रकाश महानवर से सद्भावना भेंट !

सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने उन्हे ‘तनावमुक्ति हेतु उपाय’, ‘ग्रह-तारों का सकारात्मक तथा नकारात्मक परिणाम कैसे होता है ?, इस संबंध में शोधकार्य, साथ ही ‘मंदिर में बैठने से होनेवाले सकारात्मक परिणाम’, इन विषयों की जानकारी दी ।

स्वबोध, मित्रबोध एवं शत्रुबोध

धर्मशिक्षा लेनेवाला तथा धर्माचरण करनेवाला हिन्दू व्यक्ति जब स्वबोध कर लेगा, उस समय रामराज्य की (हिन्दू राष्ट्र की) स्थापना करना सहजता से होगा संभव !

औपनिवेशिकता (colonialism) से भारतीय मानसिकता की मुक्ति

मानसिक दासता का सूत्र हमें हमारे दर्शनशास्त्र से लेकर, मानसिक, बौद्धिक, आध्यात्मिक, ऐतिहासिक, ऐसे अनेक स्तरों पर चिंतन करना आवश्यक है । यहां प्रधानता से आध्यात्मिक तथा ऐतिहासिक स्तर का चिंतन देखेंगे ।

धर्मकेंद्रित जीवन रचना (भाग २)

धर्मकेंद्रित जीवन पद्धति ही भारतीय परंपरा तथा सनातन धर्मपरंपरा को जीवित रखकर मनुष्य को अपने मनुष्य जीवन के ध्येय को प्राप्त कराती है ।

धर्मकेंद्रित जीवन रचना (भाग १)

‘धर्मकेंद्रित जीवन’ के विषय में विचारमंथन करते समय धर्मकेंद्रित तथा अर्थकेंद्रित जीवन में क्या भेद है ?, उसका तुलनात्मक अध्ययन करेंगे ।

धर्मकार्य की लगन तथा हिन्दू जनजागृति समिति एवं सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के कार्य के प्रति अपार आदर रखनेवाले देहली के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन !

अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन जी अधिवेशन अथवा अन्य सामाजिक कार्यक्रमों में भगवान श्रीकृष्ण तथा सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी को प्रणाम कर ही अपना भाषण आरंभ करते हैं । उनकी गुणविशेषताएं यहां दी हैं ।