कोपरगाव (अहिल्यानगर) के महाविद्यालय में प्राचार्यों द्वारा छात्रों को नमाजपठन करने के लिए बाध्य किया गया !
सामान्यतः यदि किसी विद्यालय द्वारा भगवद्गीता, योगासन आदि सीखाने का निर्णय लिया जाए, तो पुरो(अधो)गामी ‘शिक्षा का भगवाकरण’ होने का हो-हल्ला करते हैं । परंतु अब इनमें से कोई भी एक शब्द तक मुंह से नहीं निकालेगा, यह समझें !