वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव तृतीय दिन (२६ जून) : भारतीय शिक्षा प्रणाली !
‘कर्ता भगवान है !’, श्रीकृष्ण का यह वचन ध्यान में रखकर धर्मकार्य करें ! – रस आचार्य डॉ. धर्मयश, संस्थापक, धर्म स्थापनम् फाउंडेशन, इंडोनेशिया
‘कर्ता भगवान है !’, श्रीकृष्ण का यह वचन ध्यान में रखकर धर्मकार्य करें ! – रस आचार्य डॉ. धर्मयश, संस्थापक, धर्म स्थापनम् फाउंडेशन, इंडोनेशिया
‘हिन्दू राष्ट्र के कथानकों के विरुद्ध संघर्ष करने हेतु बौद्धिक योगदान दें !’
आज समूचा विश्व हिन्दू धर्म और संस्कृति को नष्ट करने का प्रयत्न कर रहा है । इसलिए, हमें संगठित होकर इसका सामना करना पडेगा । हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए धार्मिकता और आध्यात्मिकता से युक्त एक बडा जनांदोलन खडा करना आवश्यक है ।
यहां के सुप्रसिद्ध हिन्दू संगठन ‘धर्मरक्षक’ ने ४ अगस्त को बैरागढ़, भोपाल में ७ वें ‘हिन्दू राष्ट्र विचार मंथन’ कार्यक्रम का आयोजन किया है ।
हिन्दू राष्ट्र के लिए प्रत्यक्ष लडाई में हमारे जैसे सामान्य कार्यकर्ता सहभागी होंगे; परंतु आज विरोधकों ने वैचारिक युद्ध आरंभ किया है । उसे जीतने के लिए वैचारिक योद्धाओं की आवश्यकता है । ये वैचारिक योद्धा भारतीय कानून संबंधी जानकारी और संविधान के अंतर्गत व्यवस्थाओं का उचित अर्थ बताकर हिन्दुओं का पक्ष कानूनीदृष्टि से सक्षम बनानेवाले होंगे ।
स्वतंत्रताप्राप्ति के पश्चात भारत की कुछ हिन्दू स्त्रियां स्वेच्छा से अधर्मियों के साथ जा रही हैं । फिल्म जगत को इस्लामी देशों से हो रही आर्थिक आपूर्ति के परिणामस्वरूप ‘लव जिहाद’ का बीजारोपण किया जा रहा है ।
आक्रामकों ने कश्मीर को हिन्दुओं से छीन लिया है । वामन भगवान विष्णु ने पहले चरण में बलीराजा से भूमि ले ली । उसीप्रकार हिन्दू राष्ट्र के लिए पहला कदम कश्मीर में रखना चाहिए । हिन्दू राष्ट्र की स्थापना कश्मीर से हो । पंद्रहवीं शताब्दी से कश्मीर से कश्मीरी हिन्दुओं का विस्थापन शुरू है ।
भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए हिन्दुओं को त्याग करने की आवश्यकता है । साधना के बल पर ही भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित कर सकते हैं ।
अमेरिका में इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड साइंसेज में कार्यरत डॉ. नीलेश ओक ने कहा कि ‘‘पश्चिमी लोगों ने भारत के समृद्ध ग्रंथों का अनुवाद करके ही विज्ञान के क्षेत्र में प्रगति की है ।’’ वे ‘विश्वगुरु भारत की बलस्थान : सनातन हिन्दू धर्म’ विषय पर बोल रहे थे ।
अध्यात्मप्रसार के कार्य की व्यापकता बढने के उपरांत परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी ने २३.३.१९९९ को सनातन संस्था की स्थापना की । सनातन संस्था का उद्देश्य है वैज्ञानिक परिभाषा में हिन्दू धर्म के अध्यात्मशास्त्र का प्रसार कर धर्मशिक्षा देना