Prayagraj Kumbh Parva 2025 – HINDU RASHTRA ADHIVESHAN : महाकुंभपर्व में साधु-संतों का धर्माधिष्ठित हिन्दू राष्ट्र की स्थापना का निश्चय !

प्रयागराज कुंभपर्व २०२५

  • संत, महंत, महामंडलेश्वरोंसहित धर्मप्रेमियों का उत्स्फूर्त सहभाग !

  • हिन्दू पाक्षिक‘सनातन प्रभात’की २५ वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में प्रकाशित विशेषांक का लोकार्पण

बाएं से श्री योगीजी राजकुमार, परम पूज्य भागीरथीजी महाराज, संत सुखदेवजी महाराज, प.पू. रामज्ञानीदासजी महाराज, श्री भरतानंद महाराजजी, ब्रह्मचारी शंकर चैतन्य महाराजजी, सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी एवं सद्गुरु डाॅ. चारुदत्त पिंगलेजी; पिछली पंक्ति में युवाचार्य अभयदासजी महाराज, साथ ही पीछे खड़े हैं श्री. सुनील घनवट, डॉ. मुरलीधर दास, परिमल कुमार राय एवं डाॅ. गंगासागर परमहंस; उनकी पिछली पंक्ति में : श्री. जुगल किशोर तिवारी

प्रयागराज, ३१ जनवरी (संवाददाता) : प्रयागराज में चल रहे महाकुंभपर्व के आरंभ से ही अनेक संत-महंतों तथा महामंडलेश्वरों में हिन्दू राष्ट्र का उद्घोष किया है । अब उसके आगे कदम बढाकर हिन्दू राष्ट्र की इस संकल्पना को साकार करने के लिए अनेक संत-महंत तथा महामंडलेश्वर इस अधिवेशन में एकत्रित हुए । धर्माधिष्ठित हिन्दू राष्ट्र की स्थापना का निश्चय करते हुए एकत्रित संतों ने हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए योगदान देने का संकल्प लिया । इस धर्मकार्य में संतों का धर्मतेज एवं क्षात्रतेज प्राप्त होने के लिए अधिवेशन में उपस्थित धर्मप्रेमियों ने प्रार्थना की तथा हिन्दू राष्ट्र के लिए कमर कसकर कार्य करने का निश्चय किया ।

३० नवंबर को ‘अखिल भारतीय धर्मसंघ’ एवं ‘हिन्दू जनजागृति समिति’ के संयुक्त आयोजन में सेक्टर १९ के मोरी-संगम लोअर मार्ग पर स्थित अखिल भारतीय धर्मसंघ के शिविर में दोपहर २.३० से ५.३० बजे तक की अवधि में इस हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन का आयोजन किया गया था । अधिवेशन स्थल पर ‘हम भारत भव्य बनाएंगे, हम हिन्दू राष्ट्र बनायेंगे’, ‘जय श्रीराम’, ‘हर हर महादेव’ के उद्घोष में संत-महंतों तथा अन्य मान्यवरों का स्वागत किया गया । विभिन्न अखाडों के संत-महंत, महामंडलेश्वर तथा आध्यात्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधि इन सभी में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के प्रति बडा उत्साह था । यह उत्साह सभी के मार्गदर्शन में व्यक्त होता हुआ दिखाई दिया । विभिन्न संगठनों का कार्य भले ही भिन्न-भिन्न हो, तब भी ‘हिन्दू राष्ट्र की स्थापना’ ही सभी का एजेंडा (कार्यसूची) है । उसके कारण वक्ताओं ने अपने मार्गदर्शन में इस उद्देश्य से संगठित कार्य करने का आवाहन किया ।

हिन्दी पाक्षिक ‘सनातन प्रभात’ का प्रकाशन करते समय ब्रह्मचारी शंकर चैतन्य महाराजजी, सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी, सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी एवं अन्य संत

ऐसे संपन्न हुआ अधिवेशन !

१. शंखनाद से अधिवेशन का आरंभ हुआ । पुरोहित श्री. उज्ज्वल तिवारीजी ने शंखनाद किया । श्री स्वामी करपात्रीजी वेदशास्त्र अनुसंधान केंद्र अखिल भारतीय धर्मसंघ के वेद अध्यापक श्री. आशुतोष झाजी एवं श्री. अनुपकुमार द्विवेदीजी ने वेदपाठ किया ।

२. इसके पश्चात दैनिक ‘सनातन प्रभात’के उपसंपादक श्री. नीलेश कुलकर्णी ने हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के कार्य में ‘सनातन प्रभात’के योगदान की जानकारी दी ।

३. हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी एवं धर्मप्रचारक सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी ने मंच पर उपस्थित सभी संतों को पुष्पमाला तथा रुद्राक्ष की माला पहनाकर तथा शॉल प्रदान कर सम्मानित किया । इसके उपरांत संतों ने उनका आशीर्वचनों से एवं क्षात्रतेज से युक्त मार्गदर्शन किया ।

इन विषयों पर संगठितरूप से कार्य करने का निश्चय !

बांग्लादेश एवं पाकिस्तान के हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार, बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए उत्पन्न संकट, काशी एवं मथुरासहित अन्य मंदिरों की मुक्ति के लिए कानूनी लडाई; हिन्दू समाज, संगठनों तथा संतों को एकत्रित कर हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए प्रयास करने जैसे विषयों पर विभिन्न अखाडों के संत, महंत, हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के प्रतिनिधियों तथा विचारकों ने अपने विचार व्यक्त किए । समय की मांग को ध्यान में लेकर उक्त सूत्रों के विषयों पर एकत्रित कार्य करने का सभी ने सुनिश्चित किया ।

महाकुंभपर्व के हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में संत-महंतों द्वारा रखे गए उद्बोधक विचार

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करने से हमें कोई भी नहीं रोक सकता ! – ब्रह्मचारी शंकर चैतन्य महाराज, धर्मसंघ पीठाधीश्वर, दुर्गाकुंड, वाराणसी

ब्रह्मचारी शंकर चैतन्यजी महाराज

प्रयागराज का महाकुंभक्षेत्र अनादि काल से हिन्दुओं की भूमि है । कुंभपर्व की अवधि में देवी-देवताएं, संत एवं महात्मा साधना के लिए यहां आते हैं, ऐसे में कुछ लोग इस देवभूमि को वक्फ की संपत्ति बोलने का साहस कैसे दिखाते हैं ? ऐसा बोलनेवालों को भारत में रहने का अधिकार नहीं है । वे भारत छोडकर चले जाएं । भारत हिन्दुओं का देश है । यहां हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करने से हमें कोई रोक नहीं सकता ।

इस अवसर पर ब्रह्मचारी शंकर चैतन्य महाराजजी ने कहा,

१. धर्मसंघ पीठाधीश्वर, दुर्गाकुंड एवं वाराणसी में जिस गोमाता में ३३ करोड देवताओं का वास है, वहां गोमाता की हत्या की जा रही है ।

२. गोमाता की रक्षा हेतु प्रत्येक हिन्दुओं को गोमाता का पालन करना चाहिए । यदि संभव हो, तो १० हिन्दू मिलकर गोपालन करें ।

३. गोहत्या रोकने हेतु हिन्दू शीघ्रातिशीघ्र ठोस नीति अपनाएं । गोहत्या सनातन धर्म पर हो रहा आघात है । हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए सभी को एकत्र आना चाहिए ।

ब्रह्मचारी शंकर चैतन्य महाराजजी, धर्मसंघ पीठाधीश्वर, दुर्गाकुंड, वाराणसी ने हिन्दू जनजागृति समिति के कार्य की प्रशंसा की ! 

हिन्दू जनजागृति समिति के अनेक कार्यकर्ता डॉक्टर, अभियंता आदि उच्चशिक्षित हैं । ये सभी समर्पित होकर धर्मकार्य कर रहे हैं । उनके त्याग को ध्यान में लेकर प्रत्येक हिन्दू अपना थोडासा समय तो धर्मकार्य के लिए दें, इस प्रकार ब्रह्मचारी शंकर चैतन्य महाराजजी ने समिति के कार्य की प्रशंसा की ।

हिन्दू जब तक धर्म के प्रति संवेदनशील नहीं होंगे, तब तक हिन्दुत्व संकट में ! – आनंददास भैय्याजी महाराज

आनंददास भैय्याजी महाराज

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए हिन्दुओं को पहले स्वयं की व्यवस्था बनानी पडेगी । धर्म की रक्षा के लिए हिन्दुओं को पहले धर्म को धारण करना होगा । जब तक हिन्दू धर्म के प्रति संवेदनशील नहीं होंगे, तब तक हिन्दू बंटते जाएंगे । हिन्दुओं की हत्याएं नहीं रुकेंगी । हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए हिन्दुओं को संगठित होने की आवश्यता है ।

भारत को संवैधानिक दृष्टि से हिन्दू राष्ट्र घोषित करना आवश्यक ! – श्रीमद जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी राजेश्वरमाऊली सरकारजी, पीठाधीश्वर, श्री रुक्मिणी विदर्भ पीठ

श्रीमद जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी राजेश्वरमाऊली सरकारजी

भारत संविधान से चल रहा है; इसलिए भारत को संवैधानिक दृष्टि से हिन्दू राष्ट्र घोषित किया जाना चाहिए । इस देश में आज भी अनेक लोग पाकिस्तान के पक्षधर हैं । क्रिकेट में पाकिस्तान के जीतने पर जो लोग पटाखे जलाते हैं तथा जो लोग हिन्दू राष्ट्र को संविधान विरोधी बोलते हैं, उन्हें यह ध्यान में लेना चाहिए कि भारत का संविधान हिन्दुओं के कारण ही सुरक्षित है । ‘बटेंगे तो कटेंगे’ की घोषणा हिन्दुओं के लिए ही है । वर्तमान स्थिति में असंख्य हिन्दू पाश्चात्त्यों का अनुकरण कर रहे हैं । हिन्दुओं को धर्म को समझना चाहिए और उसके अनुसार आचरण करना होगा । चीटियां भले ही छोटी हों, तब भी वे एकत्रित होकर बडे अजगर को भी मार सकती हैं । हिन्दू बंट जाने से ही संकट में पडे हैं । धर्म की रक्षा के लिए हिन्दुओं को संगठित होने की आवश्यकता है ।

हमें धर्माधिष्ठीत राजतंत्रसहित हिन्दू राष्ट्र चाहिए ! – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिति

राजधर्म हिन्दू राष्ट्र का एक अंग है । हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए धर्मपरायण एवं चरित्रसंपन्न समाज की निर्मिति भी आवश्यक है । सनातन परंपरा में हिन्दू राज्य एवं राष्ट्र एकत्रित होते हैं । जहां राजा होता है, वहां राजगुरु, राजदंड एवं धर्मदंड होता है । परंपरा के अनुसार जब हम भारत को हिन्दू राष्ट्र बोलते हैं, उस समय उसका इसके अनुसार होना अपेक्षित है । अंग्रेजों ने भारत पर राज करने हेतु ईसाई एवं यूरोपीय पद्धति के अनुसार राज्य एवं राष्ट्र इस संकल्पना को अलग किया । अंग्रेजों ने राजतंत्र से धर्म को अलग किया । हम भले ही पारंपरिक दृष्टि से हिन्दू राष्ट्र हैं, तब भी संविधान के अनुसार तथा धर्माधिष्ठित राजतंत्रसहित हमें हिन्दू राष्ट्र चाहिए । संविधान से ‘सेक्यूलर’ शब्द को हटाकर भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित किया जाना चाहिए, साथ ही जनसंख्या नियंत्रण, धर्मांतरणबंदी, गोहत्याबंदी कानून लागू किए जाएं तथा संविधान के द्वारा अल्पसंख्यकों के लिए लागू किए गए विशेष प्रावधानों को निरस्त किया जाए, यह हमारी केंद्र सरकार से अपेक्षा है ।

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु हमें दृढ निश्चय करना पडेगा ! – सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी, उत्तर पूर्व भारत के मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिति

सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी

शताब्दियों से हमारी तेजस्वी हिन्दू संस्कृति पर आक्रमण हुए हैं, जिसके कारण हिन्दू समाज त्रस्त है । हमारे धर्म पर आए संकटों का निवारण हमें ही करना पडेगा । उत्तरप्रदेश के संभल में हिन्दुओं के मंदिर नष्ट किए गए । इस प्रकार से यदि हमारी सांस्कृतिक परंपराएं नष्ट की गईं, तो हमारा अस्तित्व ही शेष नहीं रहेगा । गोहत्या, लव जिहाद, लैंड जिहाद, वक्फ बोर्ड आदि धर्म पर मंडरा रहे संकटों का निवारण हिन्दुओं को ही करना पडेगा । हम हिन्दू युवतियों तथा हिन्दू मंदिरों को अपमानित नहीं होने देंगे । इसके लिए ही हिन्दू राष्ट्र आवश्यक है । हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु हमें दृढ निश्चय करना पडेगा । हिन्दू राष्ट्र की स्थापना में ही हिन्दुओं का भविष्य सुरक्षित है । जहां हिन्दुओं की परंपराओं का सम्मान किया जाएगा, ऐसे हिन्दू राष्ट्र की हमें स्थापना करनी है । हिन्दू धर्म के पुनरुज्जीवन के लिए भारत में संवैधानिक हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करना आवश्यक है । इसके लिए हमारे संयुक्त प्रयास तथा हमारी अटूट वचनबद्धता आवश्यक है । संवैधानिक हिन्दू राष्ट्र की स्थापना करना हमारा अंतिम लक्ष्य है । संवैधानि संशोधन के माध्यम से भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने की मांग करना वैचारिक आंदोलन है । हिन्दू राष्ट्र के कारण संपूर्ण मानवजाति का हित संजोया जाएगा ।

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु ‘फेक नैरेटिव’ पर लगाम लगाना आवश्यक ! – सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिति

किसी भी प्रत्यक्ष युद्ध से पूर्व बौद्धिक युद्ध की आवश्यकता होती है । महाभारत के युद्ध के समय अर्जुन को शस्त्रों का त्याग करने का जो भ्रम उत्पन्न हुआ, उसी को ‘फेक नैरेटिव’(झूठी कहानी) कहते हैं । अर्जुन को इस ‘फेक नैरेटिव’ से बाहर निकालने हेतु भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें गीता का उपदेश दिया । वर्तमान समय में भी हिन्दू राष्ट्रविरोधी ‘फेक नैरेटिव’ फैलाकर हिन्दुओं को भ्रमित किया जा रहा है । इसलिए हमने हिन्दू राष्ट्र की स्थापना का महत्त्व समझ लिया, तभी हिन्दू राष्ट्र की स्थापना की जा सकेगी ।

नेपाल को हिन्दू राष्ट्र बनाने हेतु भारत सहायता करे ! – शंकर खराल, विश्व हिन्दू महासंघ, नेपाल

शंकर खराल

अमेरिका के हस्तक्षेप के कारण बांग्लादेश में सत्तापरिवर्तन हुआ । भारत के नागालैंड, बंगाल जैसे राज्यों में हिन्दुओं का बडे स्तर पर धर्मांतरण हो रहा है । नेपाल में भी यही स्थिति है । नेपाल बांग्लादेशी तथा रोहिंग्याओं की घुसपैठ से ग्रस्त है । इसलिए नेपाल को हिन्दू राष्ट्र बनाना आवश्यक है तथा उसके लिए भारत की सहायता आवश्यक है ।

भारत में गुरुकुलों की स्थापना हो ! – डॉ. मुरलीधर दास, इस्कॉन

डॉ. मुरलीधर दास

हमारा आहार सात्त्विक होना चाहिए, तभी हमारे विचार सात्त्विक बनेंगे । इसके साथ ही भारत में गुरुकुलों की स्थापना हो, जिससे हिन्दुओं को धर्म की शिक्षा मिलेगी तथा उससे हिन्दू राष्ट्र की स्थापना का मार्ग प्रशस्त होगा ।

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए भारत की सांस्कृतिक धरोहर को संजोना आवश्यक ! – श्री. जुगलकिशोर तिवारी, संस्थापक, ब्राह्मण एकता परिषद

श्री. जुगलकिशोर तिवारी

सनातन धर्म कभी भी नष्ट नहीं होगा, यह भ्रम फैलाया जा रहा है; परंतु हिन्दू नष्ट हो रहे हैं, यह वास्तविकता है । हिन्दू धर्म की पुनर्स्थापना ईश्वरीय कार्य है तथा वह संपन्न होने ही वाला है; परंतु उसके लिए हिन्दुओं का शेष रहना आवश्यक है । हिन्दू स्वयं की पहचान छिपा रहे हैं । हिन्दुओं ने स्वयं के धर्म की उपेक्षा की, तो विश्व की हिन्दुओं की उपेक्षा करेगा । केवल गंगास्नान कर हिन्दू धर्म की रक्षा नहीं होगी, अपितु गंगामाता की अर्थात भारत की सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा की, तभी हिन्दू राष्ट्र की स्थापना संभव है ।

बांग्लादेश के हिन्दुओं को भारत की सहायता की आवश्यकता ! श्री. परिमलकुमार राय, बांगलादेश

श्री. परिमलकुमार राय

१ वर्ष पूर्व बांग्लादेश में हिन्दुओं के १ लाख घर जलाए गए तथा अल्पायु लडकियों पर अत्याचार किए गए । बांग्लादेश के हिन्दुओं पर अमानवीय अत्याचार किए गए । वर्तमान स्थिति में बांग्लादेश के हिन्दुओं को भारत की सहायता की आवश्यकता है ।

हिन्दू जातियों में न बंटकर हिन्दू के रूप में संगठित हों ! – श्रीमहंत वासुदेवानंदगिरीजी महाराज

श्रीमहंत वासुदेवानंदगिरीजी महाराज

वर्तमान में हिन्दू समाज जातिवाद, प्रांतवाद, भाषावाद, वंशवाद आदि में संलिप्त हैं । उसके कारण वे बंट गए हैं । इसे टालने के लिए हिन्दू हिन्दू के रूप में संगठित हों । ‘संघे शक्ति कलौयुगे’ (कलियुग में संगठित रहने में ही उनका हित है), यह हिन्दू ध्यान में रखें ।

महाकुंभपर्व में हिन्दू राष्ट्र के फलक हटाए जाना दुर्भाग्यपूर्ण ! – प.पू. भगीरथी महाराज, विश्व हिन्दू परिषद

प.पू. भगीरथी महाराज, विश्व हिन्दू परिषद

महाकुंभपर्व में प्रशासन ने हिन्दू जनजागृति समिति के फलक हटाए । यह कृति अनुचित है । यह श्रीराम एवं श्रीकृष्ण की भूमि है । उसके कारण भारत हिन्दू राष्ट्र बननेवाला है, यह निर्विवाद है । सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति को कोई कष्ट न दें; क्योंकि इन संस्थाओं को संतों के आशीर्वाद प्राप्त हैं तथा संतों के आशीर्वाद से उनका कार्य चल रहा है ।

हिन्दू सम्मेलन में सम्मिलीत धार्मिक श्रद्धालु