कोटि कोटि प्रणाम !

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी की ‘एक आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी’ श्री चित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी का १४ दिसंबर को ५४ वां जन्मदिन ! इस निमित्त उनके चरणों में कृतज्ञतापूर्वक नमस्कार !

श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ‘गुरुदेवजी का मनोरथ जानकर’ तथा इस चरण से भी आगे जाकर ‘सप्तर्षि तथा ईश्वर के मनोरथ’ को समझकर दैवी कार्य कर रही हैं !

श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) गाडगीळजी ने अनेक वर्षों तक सूक्ष्म परीक्षण करना, सूक्ष्म से ज्ञान प्राप्त करना, सूक्ष्म के प्रयोग करना जैसी सूक्ष्म स्तर की सेवाएं की हैं । वर्तमान में वे सूक्ष्म के उस ज्ञान का हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के कार्य में उपयोग कर उस कार्य को गति प्रदान कर रही हैं ।

त्याग और चैतन्य की प्रतीक हाथ में कमंडलु लिए दत्त की त्रिमुखी मूर्ति  !

‘भगवान की निर्गुण तरंगों को स्वयं में समा लेनेवाला तथा अनिष्ट शक्तियों को दूर करने के लिए एक ही पल में पूरे त्रिलोक को एक ही मंडल में खींचने की क्षमता से युक्त जल जिस कुंड में है, वह कुंड है भगवान दत्तात्रेय के हाथ में पकडा कमंडलु ।

श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी की आध्यात्मिक विशेषताओं का ज्योतिषशास्त्रीय विश्लेषण !

श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने गुरुकृपायोग के अनुसार साधना कर तीव्र गति से अपनी आध्यात्मिक उन्नति साध्य की । इस लेख में उनकी जन्मकुंडली में विद्यमान आध्यात्मिक विशेषताओं का ज्योतिषशास्त्रीय विश्लेषण किया गया है ।

श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी तो देवीतत्त्व की अनुभूति देनेवालीं तथा ईश्वर की चैतन्यशक्ति के रूप में पृथ्वी पर अवतरित कमलपुष्प ही हैं !

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी की एक आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी का जन्मदिवस तो धर्मसंस्थापना हेतु अवतरित ईश्वर की चैतन्यशक्ति का प्रकट दिवस ही है !

चैतन्यमय वाणी तथा प्रीति, इन गुणों के कारण अपरिचित व्यक्ति को साधना बताकर उन्हें अपना बनानेवालीं श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी !

इस प्रसंग से मुझे सीखने के लिए मिला कि ‘गुरु किसी भी जीव का पद, उसकी नौकरी आदि नहीं देखते, अपितु वे केवल उस जीव में विद्यमान चैतन्य की ओर देखते हैं तथा अन्यों को भी प्रत्येक व्यक्ति में स्थित चैतन्य की ओर देखना सिखाते हैं ।’

अत्यंत छोटे स्थान पर बहुत ही आनंद के साथ रहकर उस स्थान को मंदिर के गर्भगृह के स्पंदन प्रदान करनेवालीं श्री महालक्ष्मीस्वरूप श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी !

‘हम पिछले ७ वर्षों से श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी के साथ चेन्नई के सेवाकेंद्र में रह रहे थे । इस सेवाकेंद्र के विषय में तथा वहां रहते समय सीखने मिले सूत्र यहां दे रहा हूं ।

तीव्र आध्यात्मिक कष्ट होते हुए भी महर्षियों की आज्ञा के अनुसार कर्नाटक के हंपी में भगवान के दर्शन की सेवा पूर्ण करनेवालीं श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी !

देह की मर्यादाएं होते हुए भी श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) गाडगीळजी अत्यंत दुर्गम स्थानों पर जाकर वहां भक्तिभाव से पूजादि अनुष्ठान करती हैं । साधकों की रक्षा हेतु सप्तर्षि जहां कहेंगे, वहां जाने के लिए वे सदैव तैयार रहती हैं ।

साधक में विद्यमान भाव कैसे कार्य करता है ?

श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी द्वारा बताए अमृत वचन

सनातन एवं सप्तर्षि !

‘प्रत्येक युग में ‘धर्मसंस्थापना’ करना’ श्रीविष्णु का कार्य है । सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ आठवलेजी कलियुग के श्रीविष्णु के अवतार हैं ! उचित समय एवं उचित स्थिति आते ही श्रीविष्णु के अवतार सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी पृथ्वी पर ‘धर्मसंस्थापना’ करेंगे’, इसमें कोई संदेह नहीं है ।’ – सप्तर्षि