सवा दो लाख रुद्राक्ष धारण किए हुए महंत गीतानंद गिरि महाराज का उद्घोष !

प्रयागराज, १४ फरवरी (समाचार) – श्री पंचदशनाम आवाहन अखाडे के महंत स्वामी गीतानंद गिरिजी महाराज ने यहां वक्तव्य देते हुए कहा ‘भगवान को प्रसन्न करना, वरदान प्राप्त करना तथा वरदान का उपयोग सनातनियों के लिए, राष्ट्र एवं धर्म के हित के लिए करना, यह साधुओं का कर्तव्य है । भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने हेतु सभी संतों को एकत्रित होना चाहिए । गुरु एवं संतों के मार्गदर्शन में भारत ‘हिन्दू राष्ट्र’ होने हेतु कार्य करेगा ।’ ‘सनातन प्रभात’ द्वारा महाकुंभपर्व में महंत स्वामी गीतानंद गिरिजी महाराज से भेंट की गई । इस समय उन्होंने उपरोक्त प्रतिक्रिया व्यक्त की ।
महंत गीतानंद गिरि महाराज २ वर्ष आयु के थे, जब अभिभावकों ने उन्हें पंजाब में संतों के श्रीचरणों में समर्पित किया । महंत गीतानंद गिरिजी ने रुद्राक्ष धारण करने का संकल्प किया था । पिछले ६ वर्षों से उन्होंने सवा दो लाख रुद्राक्ष धारण किए हैं । उनके द्वारा धारण किए रुद्राक्षों का कुल वजन ४५ किलो है ।
महाकुंभ मेले में श्री पंचदशनाम आवाहन अखाडे के शिविर में ‘सनातन प्रभात’ द्वारा उनसे भेंट की गई । तथा उनकी विशेषतापूर्ण साधना के संदर्भ में समझ लेने का प्रयास किया गया । इस समय महंत गीतानंद गिरिजी महाराज ने कहा ‘‘सनातन धर्म के लिए, सनातन धर्म का पालन करनेवालों के लिए एवं राष्ट्रहित हेतु साधुओं को तपस्या करनी पडती है । तपस्या, हठयोग आदि मार्गों से भगवान को प्रसन्न कर लेना, यह संतों का कार्य है । नागा साधु जंगल, पर्वत, मठ, मंदिरों में रहकर राष्ट्र एवं धर्म हित हेतु तपस्या करते हैं ।’’