साधकों की शंकाओं का समाधान कर उन्हें साधना के लिए प्रोत्साहित करनेवाले परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी का अमूल्य मार्गदर्शन !
इस लेख में परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी द्वारा विभिन्न स्थानों पर किए गए मार्गदर्शन में समाहित कुछ चयनित सूत्र यहां दिए गए हैं ।
इस लेख में परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी द्वारा विभिन्न स्थानों पर किए गए मार्गदर्शन में समाहित कुछ चयनित सूत्र यहां दिए गए हैं ।
ईश्वर स्वयं एक ही समय सूक्ष्मातिसूक्ष्म एवं सर्वव्यापी भी होने के कारण, साधक की व्यष्टि अथवा समष्टि साधना मार्गाें के अनुसार वे उसे वैसी अनुभूति प्रदान करते हैं । ईश्वर से एकरूप होने के इच्छुक साधक को भी यदि ये दोनों अनुभूतियां हों, तो वह ईश्वर से शीघ्र एकरूप होता है ।
भारत सरकार वैसा कदम क्यों नहीं उठा रही जैसा कि संतों ने देखा और खुलकर इस पर आपत्ति उठायी ?
साधक की मृत्यु होने पर उसे साधना का पुनः एक बार अवसर मिले; इसके लिए ईश्वर उसे अच्छे वंश में जन्म दिलाते हैं; परंतु जीव साधना करनेवाला न हो, तो उसे मनुष्यजन्म लेने में अनेक वर्षाें का काल लग सकता है
प्रयागराज में चल रहे महाकुंभपर्व के आरंभ से ही अनेक अनेक संत-महंतों तथा महामंडलेश्वरों में हिन्दू राष्ट्र का उद्घोष किया है । अब उसके आगे कदम बढाकर हिन्दू राष्ट्र की इस संकल्पना को साकार करने के लिए अनेक संत-महंत तथा महामंडलेश्वर इस अधिवेशन में एकत्रित हुए ।
पिछले तीन साल से कह रहा हूं कि भारत को हिन्दू राष्ट्र बनना चाहिए।’ पुरी पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि मैं भगवान और ऋषिमुनि से जो संदेश प्राप्त करता हूं,उसे प्रसारित कर रहा हूं।
सवा दो लाख रुद्राक्ष धारण किए हुए महंत गीतानंद गिरि महाराज का उद्घोष !
श्रीमहंत डॉ. महेश दास ने आगे कहा कि हिन्दू राष्ट्र के लिए सभी अखाडे कृतिशील हैं । हिन्दू राष्ट्र होना ही चाहिए । सनातन धर्म के लिए यह मांग करना आवश्यक है ।
मौनी अमावास्या के दिन हुई दुर्घटना में संतों ने जो धैर्य दिखाया, उससे सनातन धर्म विरोधियों की पराजय हुई, ऐसा विधान उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथजी ने यहां किया ।
२९ जनवरी को दूसरे अमृतस्नान के दिन मची भगदड की पृष्ठभूमि पर वसंत पंचमी के मुहूर्त पर अर्थात ही ३ फरवरी को साधु-संतों का तीसरा तथा अंतिम अमृतस्नान होनेवाला है ।