परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी द्वारा किया गया हिन्दुत्वनिष्ठों का मार्गदर्शन
परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की प्रेरणा से ही वर्ष २००२ में ‘हिन्दू जनजागृति समिति’ की स्थापना हुई । यहां हम उनके द्वारा हिन्दुत्वनिष्ठों का किया गया मार्गदर्शन दे रहे हैं ।
परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी की प्रेरणा से ही वर्ष २००२ में ‘हिन्दू जनजागृति समिति’ की स्थापना हुई । यहां हम उनके द्वारा हिन्दुत्वनिष्ठों का किया गया मार्गदर्शन दे रहे हैं ।
एक समय था जब किसी व्यक्ति को पुरस्कार देने के मानदंड अतार्किक थे । समय में परिवर्तन हुआ है । आज सभी नागरिक पुरस्कार वस्तुनिष्ठ मानदंडों पर आधारित हैं ।
जो गाय को नहीं मानता, वह सनातनी हिन्दू नहीं है, ऐसा वक्तव्य ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंदजी ने यहां दिया । यहां के माघ मेले के सेक्टर ३ में उनके शिविर में गो संसद का आयोजन किया गया था, उसमें शंकराचार्यजी ऐसा बोल रहे थे ।
हिन्दुओं में महाराणा प्रताप जैसा शौर्य, राजा विक्रमादित्य समान साहस तथा हिन्दुत्व की भावना जगाने का कार्य ‘सनातन प्रभात’ कर रहा है । सनातन प्रभात सभी को संस्कार देने का कार्य कर रहा है, ऐसे प्रशंसा भरे उद़्गार किन्निगोली स्थित श्री शक्तिदर्शन योगाश्रम के परम पूज्य देव बाबा ने व्यक्त किए ।
स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने आगे कहा कि रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा शास्त्रानुसार ही हो रही है । श्रीराम मंदिर का गर्भगृह बन गया है, वह अधूरा नहीं है ।
पेजावर मठ के विश्वप्रसन्नतीर्थ स्वामीजी का स्पष्ट वक्तव्य !
उन्होंने आगे कहा, ‘ऐसा मत समझना कि अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण किया, अर्थात हमारा काम हो गया । अब हम पर नया दायित्व है । यदि आनेवाले अनेक शतक श्रीराम मंदिर बनाए रखना हो, तो देश के हिन्दुओं को ‘हिन्दू’ के रूप में ही रहना होगा ।
हमारा ध्वज और हमारा राष्ट्र हमारे लिए ईश्वर है । आप तप के माध्यम से भजन द्वारा (नामजप द्वारा) लाखो लोगों की बुद्धि शुद्ध कर सकते हैं । एक भजन लाखो लोगों का उद्धार कर सकता है । आप भजन कीजिए, इंद्रियों पर विजय प्राप्त कीजिए और राष्ट्रसेवा भी कीजिए । राष्ट्र की सेवा के लिए प्राण समर्पित करें ।
‘सनातन धर्म की सीख तथा अध्यात्म एक ही है । सनातन धर्म में केवल मनुष्य के ही नहीं, अपितु प्रत्येक कण-कण के उद्धार का विचार किया गया है ।
महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के सद्गुरु डॉ. मुकुल गाडगीळजी इन्होंने साधकों की व्यष्टि एवं समष्टि साधना की समस्याओं को समझा तथा उनका मार्गदर्शन किया । इस मार्गदर्शन के सूत्र यहां दिए हैं ।