क्रियमाण कर्म हे गुणातीत ध्येयाशी एकरूप करणारे असो, ही प्रार्थना।

हिंदु जनजागृती समितीचे राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे यांनी ‘क्रियमाण कर्म’ याविषयी केलेली काव्यमय प्रार्थना येथे देत आहोत.

सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे

क्रियमाण कर्म हे।
स्वेच्छारहित असो, ही प्रार्थना।। १।।

क्रियमाण कर्म हे।
स्वार्थरहित असो, ही प्रार्थना।। २।।

क्रियमाण कर्म हे।
मनाचा लय करणारे असो, ही प्रार्थना।। ३।।

क्रियमाण कर्म हे।
रज-तमात्मक वृत्तीचा लय करणारे असो, ही प्रार्थना।। ४।।

क्रियमाण कर्म हे।
बुद्धीचा लय करणारे असो, ही प्रार्थना।। ५।।

क्रियमाण कर्म हे।
धर्मशास्त्र संमत असो, ही प्रार्थना।। ६।।

क्रियमाण कर्म हे।
गुरुइच्छासंमत असो, ही प्रार्थना।। ७।।

क्रियमाण कर्म हे।
ईश्वरेच्छासंमत असो, ही प्रार्थना।। ८।।

क्रियमाण कर्म हे।
कालसंमत असो, ही प्रार्थना।। ९।।

क्रियमाण कर्म हे।
गुणातीत ध्येयाशी (टीप १) एकरूप करणारे असो, ही प्रार्थना।। १०।।

टीप १- (निर्गुण) ईश्वरप्राप्तीच्या ध्येयाशी

– सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळे, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिंदु जनजागृती समिती (१६.१२.२०२३)