इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार ने छात्रों से वास्तविक इतिहास छुपाया ! – डॉ. एस.एल. भैरप्पा, ज्येष्ठ साहित्यकार

पाठ्यक्रम से भारत का विकृत इतिहास सिखाकर कांग्रेस ने युवा पीढी की अपरिमित हानि की है । उसकी भरपाई करने के लिए भाजपा सरकार, भारत के बुद्धीजीवी एवं विचारवानों को बडे स्तर पर प्रयास करना आवश्यक !

ग्रंथमाला : हिन्दू राष्ट्र-स्थापना

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना में सम्मिलित हों !

‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ के अंतर्गत ‘हस्त एवं पाद समुद्रशास्त्र’ के संदर्भ के शोध कार्य में सम्मिलित होकर साधना के स्वर्णिम अवसर का लाभ लें !

व्यक्ति की हथेलियों एवं तलवों की रेखाएं, उनका एक-दूसरे से संयोग, चिन्ह, उभार एवं आकार से व्यक्ति का स्वभाव, गुण-दोष, आयुर्दाय (दीर्घायु), भाग्य, प्रारब्ध इत्यादि ज्ञात कर सकते हैं ।

तीखा न खाने पर भी कुछ लोगों को पित्त का कष्ट क्यों होता है ?

‘हमारे जठर में पाचक स्राव का रिसाव होता रहता है । इस पाचक स्राव के अन्ननलिका में आने पर, पित्त का कष्ट होता है । खट्टा, नमकीन, तीखा और तैलीय पदार्थ खाने से पित्त बढता है; परंतु ऐसा कुछ न खाते हुए भी कुछ लोगों को गले में और छाती में जलन होती है, अर्थात पित्त का कष्ट होता है ।

आंतरिक आनंद, संतुष्टि एवं ‘श्रीकृष्ण की सेवा’ भाव से नृत्य करनेवालीं देहली की प्रसिद्ध भरतनाट्यम् नृत्यांगना तथा नृत्यगुरु पद्मश्री श्रीमती गीता चन्द्रन् !

देहली की प्रसिद्ध भरतनाट्यम् नृत्यांगना एवं कर्नाटक शैली की गायिका पद्मश्री श्रीमती गीता चन्द्रन् से भेंट की । इस भेंट में श्रीमती गीता चन्द्रन् द्वारा वर्णित उनकी नृत्यसाधना की यात्रा यहां दी गई है ।

नवजात शिशु का नाम धर्मशास्त्र के अनुसार रखें !

‘हिन्दू धर्म में बताए गए प्रमुख १६ संस्कारों में से ‘नामकरण’ ५ वां संस्कार है । नवजात शिशु के जन्म के १२ वें अथवा १३ वें दिन उसका नामकरण संस्कार किया जाता है ।

क्या हम वास्तव में ‘लोकतांत्रिक’ हैं ?

आज भारत का ७२ वां गणतंत्र दिवस ! इस उपलक्ष्य में हमें कुछ मूलभूत बातों की समीक्षा करनी चाहिए, जिससे क्या हम सचमुच लोकतांत्रिक भारत में रह रहे हैं ?, इसका हमें उत्तर मिलेगा ।

भारतवर्ष

‘किसी भी राष्ट्र के व्यक्ति के जन्म से ही उसके ‘धर्म अथवा पंथ’ की पहचान अपनेआप ही चिपक जाती है । व्यक्तियों को मिलाकर राष्ट्र बनने से स्वाभाविक ही राष्ट्र के बहुसंख्यक धर्मियों के कारण वह राष्ट्र भी ‘उन धर्मियों के राष्ट्र’ के रूप में ही जाना जाता है ।

राष्ट्रप्रेमियो, राष्ट्रकर्तव्य का निर्वहन करने के लिए ये अवश्य करें !

गणतंत्र की संकल्पना वेदों में है । ‘महाभारत के सभापर्व में अर्जुन अनेक गणराज्य जीत लेते हैं’, ऐसा उल्लेख है । राजसूय यज्ञ के समय में वे ये गणराज्य जीतते हैं ।

राष्ट्रप्रेम जागृत करने हेतु एवं आदर्श गणतांत्रिक राज्य लाने हेतु आवश्यक कुछ मांगें

गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में हम एक छात्र के रूप में कुछ मांगें करेंगे । आज के राज्यकर्ताओं ने यदि हमारी ये मांगें स्वीकार कीं, तो उससे प्रत्येक व्यक्ति में राष्ट्रप्रेम जागृत होगा तथा बहुत शीघ्र आदर्श गणतांत्रिक राज्य आएगा ।