मंत्रोच्चारण, अग्निहोत्र, यज्ञ एवं साधना के द्वारा ही पर्यावरण का वास्तविक संतुलन बनाया रखा जा सकता है ! – शॉन क्लार्क

प्राचीन भारतीय शास्त्रों के अनुसार कालचक्र के अनुसार विश्व ऊपर-नीचे होता रहता है । रज-तमोगुण की प्रबलता बढने के कारण उसका नकारात्मक प्रभाव पृथ्वी, आप, तेज, वायु एवं आकाश इन पंचमहाभूतों पर पडता है । उसके फलस्वरूप पृथ्वी पर प्राकृतिक आपदाएं बढती हैं ।

श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ‘गुरुदेवजी का मनोरथ जानकर’ तथा इस चरण से भी आगे जाकर ‘सप्तर्षि तथा ईश्वर के मनोरथ’ को समझकर दैवी कार्य कर रही हैं !

श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) गाडगीळजी ने अनेक वर्षों तक सूक्ष्म परीक्षण करना, सूक्ष्म से ज्ञान प्राप्त करना, सूक्ष्म के प्रयोग करना जैसी सूक्ष्म स्तर की सेवाएं की हैं । वर्तमान में वे सूक्ष्म के उस ज्ञान का हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के कार्य में उपयोग कर उस कार्य को गति प्रदान कर रही हैं ।

श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी की आध्यात्मिक विशेषताओं का ज्योतिषशास्त्रीय विश्लेषण !

श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने गुरुकृपायोग के अनुसार साधना कर तीव्र गति से अपनी आध्यात्मिक उन्नति साध्य की । इस लेख में उनकी जन्मकुंडली में विद्यमान आध्यात्मिक विशेषताओं का ज्योतिषशास्त्रीय विश्लेषण किया गया है ।

श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी तो देवीतत्त्व की अनुभूति देनेवालीं तथा ईश्वर की चैतन्यशक्ति के रूप में पृथ्वी पर अवतरित कमलपुष्प ही हैं !

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी की एक आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणी श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी का जन्मदिवस तो धर्मसंस्थापना हेतु अवतरित ईश्वर की चैतन्यशक्ति का प्रकट दिवस ही है !

चैतन्यमय वाणी तथा प्रीति, इन गुणों के कारण अपरिचित व्यक्ति को साधना बताकर उन्हें अपना बनानेवालीं श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी !

इस प्रसंग से मुझे सीखने के लिए मिला कि ‘गुरु किसी भी जीव का पद, उसकी नौकरी आदि नहीं देखते, अपितु वे केवल उस जीव में विद्यमान चैतन्य की ओर देखते हैं तथा अन्यों को भी प्रत्येक व्यक्ति में स्थित चैतन्य की ओर देखना सिखाते हैं ।’

तीव्र आध्यात्मिक कष्ट होते हुए भी महर्षियों की आज्ञा के अनुसार कर्नाटक के हंपी में भगवान के दर्शन की सेवा पूर्ण करनेवालीं श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी !

देह की मर्यादाएं होते हुए भी श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) गाडगीळजी अत्यंत दुर्गम स्थानों पर जाकर वहां भक्तिभाव से पूजादि अनुष्ठान करती हैं । साधकों की रक्षा हेतु सप्तर्षि जहां कहेंगे, वहां जाने के लिए वे सदैव तैयार रहती हैं ।

प्रयागराज में कुंभपर्व के समय की साधना का मिलता है १ सहस्र गुना फल ! इस अवधि में धर्मप्रसार की सेवा (समष्टि साधना) में सम्मिलित हों !

कुंभपर्व के स्थान और काल में की गई साधना का फल अन्य स्थान-काल की तुलना में १ सहस्र गुना मिलता है । इस पर्व के समय प्रयागराज में कुंभक्षेत्र पर धर्मप्रसार एवं हिन्दू राष्ट्र-जागृति अभियान व्यापक स्तर पर किया जाएगा ।

हस्तरेखा विशेषज्ञ सुनीता शुक्ला द्वारा सद्गुरु डॉ. मुकुल गाडगीळजी की हस्तरेखाओं का विश्लेषण !

ऋषिकेश, उत्तराखंड की हस्तरेखा विशेषज्ञ सुनीता शुक्ला द्वारा सद्गुरु डॉ. मुकुल गाडगीळजी की हस्तरेखाओं का किया विश्लेषण यहां दे रहे हैं

भक्तों पर अखंड कृपाछत्र बनाए रखनेवाले प.पू. भक्तराज महाराजजी !

सनातन के प्रेरणास्रोत प.पू. भक्तराज महाराजजी की जन्मशताब्दी के उपलक्ष्य में उनके शिष्य डॉ. जयंत आठवलेजी द्वारा समर्पित भावसुमनांजलि !

साधक में विद्यमान भाव कैसे कार्य करता है ?

श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी द्वारा बताए अमृत वचन