‘फेडेक्स कॉलर’ अथवा अन्य प्रकार के चल-दूरभाष संपर्क से आर्थिक धोखाधडी टालने हेतु सावधान कैसे रहें ?

वर्तमान में अनेक लोगों को असामाजिक तत्त्वों से चल-दूरभाष (मोबाइल) पर ऐसा कहते हुए कि ‘मैं सीमा शुल्क (कस्टम) अधिकारी बोल रहा हूं’ और पूछताछ के नाम पर धमकाकर मानसिक दमन कर लाखों रुपए लूटे जाते हैं । हमारे  साथ धोखाधडी न हो इसलिए क्या सावधानी रखें इस विषय में आगे दिया है ।

यदि कोई आधार कार्ड क्रमांक, ‘ए.टी.एम. का पिन’ अथवा ‘ओ.टी.पी.’ जैसी गोपनीय जानकारी मांगे, तो स्वयं को धोखाधडी से बचाने के लिए उसकी अनदेखी करें !

चल-दूरभाष (मोबाइल) के आधार पर संपर्क कर अथवा लघुसंदेश (एस.एम.एस.) भेजकर नागरिकों को ठगने की मात्रा दिनदहाडे बढती ही जा रही है । तत्कालीन सामाजिक समस्या, नागरिकों की लाचारी, अज्ञानता, भोलापन आदि कारणों से समाज की अनेक दुष्प्रवृत्तियां हमसे धोखाधडी करती है ।

साधको, अनुभूतियां तथा सीखने मिले सूत्रों को लिखकर देने के लाभ समझ लो व तत्परता से लिखकर दो !

‘सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी साधकों को उन्हें प्राप्त अनुभूतियां तथा सीखने मिले सूत्र लिखकर देने के लिए कहते हैं । ऐसे सूत्र लिखकर देने से साधकों को होनेवाले लाभ यहां दिए हैं ।

साधको, ‘मैं भोजन कर आता हूं’, ऐसा न कहकर ‘मैं महाप्रसाद लेकर आता हूं’, ऐसा कहें !

अन्न पूर्णब्रह्म होता है । ‘मैं महाप्रसाद लेकर आता हूं’, ऐसा कहने से हमारे मन में अन्न के प्रति भाव उत्पन्न होकर आध्यात्मिक स्तर पर हमें उसका लाभ होता है ।

वाहन की दुर्घटना रोकने के लिए साधकों द्वारा बरती जानेवाली सावधानी एवं यात्रा में दुर्घटना टालने हेतु उपयोग किया जानेवाला ‘दुर्घटना निवारण यंत्र’ !

वर्तमान में आपातकाल की तीव्रता तथा अनिष्ट शक्तियों के आक्रमण बढते ही जा रहे हैं । इसलिए साधक दोपहिया तथा चारपहिया वाहन चलाते समय निम्नानुसार आवश्यक सावधानी बरतें

ऑनलाइन नौकरी देने का कारण बताकर होनेवाली आर्थिक धोखाधडी से सतर्क रहें !

वर्तमान समय में ऑनलाइन आर्थिक धोखाधडी की घटनाओं में प्रतिदिन वृद्धि हो रही है । इसमें घर-बैठे नौकरी देने का लालच दिखाकर आर्थिक धोखाधडी की घटनाएं बहुत बढ गई हैं ।

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु ‘आपातकाल से पूर्व ग्रंथों के माध्यम से अधिकाधिक धर्मप्रसार’ होने के उद्देश्य से सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी का संकल्प कार्यरत हो गया है । अतः उनकी अपार कृपा प्राप्त करने के लिए इस कार्य में पूर्ण लगन से सम्मिलित हों !

धर्मप्रसार का कार्य होने में ज्ञानशक्ति, इच्छाशक्ति एवं क्रियाशक्ति, इनमें से ज्ञानशक्ति का योगदान सर्वाधिक है । ज्ञानशक्ति के माध्यम से कार्य होने हेतु सबसे प्रभावी माध्यम हैं ‘ग्रंथ’ !

छात्र-साधको, गर्मियों की छुट्टियों में चैतन्यदायक आश्रम जीवन का अनुभव करें तथा अंतर्मन में साधना का बीज बोकर हिन्दू राष्ट्र के लिए पात्र बनें !

साधक-अभिभावको, हमारे बच्चे तो हिन्दू राष्ट्र की भावी पीढी हैं ! इस पीढी को सुसंस्कृत करना तथा उनके मन में साधना का बीज बोना आवश्यक है । अगली पीढी को अभी से तैयार किया गया, तो ये बच्चे हिन्दू राष्ट्र के आदर्श नागरिक बनेंगे !

किसी भी अनजान व्यक्ति को व्यक्तिगत जानकारी देना टालें !

‘एक राज्य के एक शहर में एक साधिका के घर घरेलू गैस पाइप का काम करने के लिए एक व्यक्ति आया था । उस व्यक्ति ने अपना काम करते हुए साधिका से होशियारी से संवाद करते हुए अनेक प्रश्न पूछे । इसके द्वारा संबंधित साधिका की सिलसिलेवार जानकारी ली गई ।

उच्च लोकों से पृथ्वी पर जन्मे दैवीय बालक, साथ ही कुमार एवं किशोर आयु के साधकों में आनेवाले परिवर्तन तथा उनकी गुणविशेषताओं को प्रतिवर्ष लिखित स्वरूप में ‘जिला समन्वयकों’ को भेजें !

‘हिन्दू राष्ट्र’ को आगे चलाने हतेु ईश्वर ने ‘दैवीय बालकों’ का प्रयोजन किया है । ये दैवीय जीव उच्च स्वर्गलोक से लेकर महर्लाेक जैसे उच्च लोकों से पृथ्वी पर जन्मे हैं, जबकि कुछ जीव जनलोक से इस भूतल पर जन्मे हैं ।