अर्पणदाताओं, गुरुपूर्णिमा के उपलक्ष्य में धर्मकार्य हेतु धन अर्पित कर गुरुतत्त्व का लाभ उठाओ !

गुरुपूर्णिमा के दिन गुरु का कृपाशीर्वाद तथा उनसे प्रक्षेपित शब्दातीत ज्ञान सामान्य की अपेक्षा सहस्र गुना कार्यरत होता है । अतः गुरुपूर्णिमा के उपलक्ष्य में गुरुसेवा एवं धन का त्याग करनेवाले व्यक्ति को गुरुतत्त्व का सहस्र गुना लाभ होता है ।

गुरुपूर्णिमा महोत्सव २०२४ के उपलक्ष्य में निमंत्रण

गुरुपूर्णिमा के दिन १००० गुना सक्रिय रहनेवाले गुरुतत्त्व का लाभ सभी को हो, इस हेतु सनातन संस्था एवं हिन्दू जनजागृति समिति गुरुपूर्णिमा महोत्सव का आयोजन कर रहे हैं । इस महोत्सव में सम्मिलित होने हेतु गुरुपूर्णिमा स्थल के पते एवं संपर्क क्रमांक आगे देखें ।

‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ हेतु धनस्वरूप में अर्पण देकर हिन्दू राष्ट्र के कार्य में सम्मिलित हों !

इस वर्ष २४ से ३० जून २०२४ की समयावधि में रामनाथी, गोवा में ‘वैश्विक हिन्दू राष्ट्र महोत्सव’ (बारहवां अखिल भारतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन’) का आयोजन किया गया है । गोवा में हो रहे महोत्सव में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए कार्यरत हिन्दुत्वनिष्ठ संगठनों के पदाधिकारी, अधिवक्ता, उद्योगपति, लेखक आदि सहभागी होंगे ।

युवको, सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के चैतन्यदायी ग्रंथकार्य की ध्वजा फहराते रखने हेतु ग्रंथनिर्मिति की सेवा में सम्मिलित हों !

जिन्हें समाज में जाकर समष्टि साधना करना संभव नहीं है, वे घर पर रहकर संकलन एवं भाषांतर की सेवाएं भी कर सकते हैं । ग्रंथों से संबंधित सेवा करना भी परिणामकारी समष्टि साधना है ।

अक्षय तृतीया के पर्व पर ‘सत्पात्र दान’ देकर ‘अक्षय दान’ का फल प्राप्त करें !

‘अक्षय तृतीया’ हिन्दू धर्म के साढेतीन शुभमुहूर्ताें में से एक मुहूर्त है । इस दिन की कोई भी घटिका शुभमुहूर्त ही होती है । इस दिन किया जानेवाला दान और हवन का क्षय नहीं होता; जिसका अर्थ उनका फल मिलता ही है । इसलिए कई लोग इस दिन बडी मात्रा में दानधर्म करते हैं ।

‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ के अंतर्गत हाथ-पैरों के तलुवों पर स्थित रेखाओं से संबंधित शोधकार्य में सम्मिलित होकर साधना के स्वर्णिम अवसर का लाभ उठाएं ! 

साधक, पाठक, शुभचिंतक एवं धर्मप्रेमियों का हस्त-पाद सामुद्रिक शास्त्र के विषय में अध्ययन हो, तो वे इस कार्य में सम्मिलित हो सकते हैं ।

हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु ‘आपातकाल से पूर्व ग्रंथों के माध्यम से अधिकाधिक धर्मप्रसार’ होने के उद्देश्य से सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी का संकल्प कार्यरत हो गया है । अतः उनकी अपार कृपा प्राप्त करने के लिए इस कार्य में पूर्ण लगन से सम्मिलित हों !

धर्मप्रसार का कार्य होने में ज्ञानशक्ति, इच्छाशक्ति एवं क्रियाशक्ति, इनमें से ज्ञानशक्ति का योगदान सर्वाधिक है । ज्ञानशक्ति के माध्यम से कार्य होने हेतु सबसे प्रभावी माध्यम हैं ‘ग्रंथ’ !

युवको, सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के चैतन्यदायक ग्रंथकार्य की ध्वजा फहराते रहने हेतु ग्रंथ-निर्मिति की सेवा में सम्मिलित हों !

ग्रंथसेवा के अंतर्गत संकलन, अनुवाद, संरचना, मुखपृष्ठ-निर्मिति, ग्रंथों की छपाई से संबंधित सेवाएं आदि विभिन्न सेवाओं में सम्मिलित होने हेतु इच्छुक युवक अपनी जानकारी सनातन के जिलासेवकों के माध्यम से भेजें ।

युवको, सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के चैतन्यदायी ग्रंथकार्य का ध्वज ऊंचा रखने हेतु ग्रंथ-निर्मिति के कार्य में सम्मिलित हों !

ग्रंथसेवा के अंतर्गत संकलन, भाषांतर, संरचना, मुखपृष्ठ-निर्मिति इत्यादि विभिन्न सेवाओं में सम्मिलित होने के इच्छुक युवक अपनी जानकारी सनातन के जिलासेवकों के माध्यम से भेजें ।

हिन्दी पाक्षिक ‘सनातन प्रभात’ का द्वितीय रंगीन विशेषांक

प्रभु श्रीराम मंदिर इस विशेषांक में पढें अयोध्या की महिमा , संत संदेश एवं कारसेवकों के अनुभव !