जन्मपत्रिका बनाने का महत्त्व समझें !

हिन्दू समाज में शिशु का जन्म होने पर ज्योतिष से शिशु की जन्मपत्रिका बनवाई जाती है । अनेक लोगों को उत्सुकता होगी कि इस पत्रिका में क्या जानकारी होती है । इस लेख द्वारा ‘जन्मपत्रिका क्या है तथा पत्रिका में कौन-सी जानकारी अंतर्भूत होती है’, इसकी जानकारी लेंगे ।

मंगलदोष – धारणाएं एवं गलतधारणाएं

‘विवाह निश्चित करते समय वर-वधू की जन्मकुंडलियों में मंगलदोष का विचार किया जाता है । अनेक बार व्यक्ति का विवाह केवल ‘मंगलदोष है’ इसलिए सहजता से मिलान नहीं होता ।

विवाह निश्चित करते समय वर-वधू की जन्मकुंडली मिलाने का महत्त्व

‘हिन्दू धर्म में बताए अनुसार सोलह संस्कारों में से ‘विवाह संस्कार’ महत्त्वपूर्ण संस्कार है । विवाह निश्चित करते समय वर-वधू की जन्मकुंडलियों के मिलान की पद्धति भारत में पहले से ही प्रचलित है ।

अशुभ काल में जन्मे शिशु की ‘जननशांति’ करना क्यों आवश्यक है ?

‘जनन अर्थात जन्म होना । नवजात (हाल ही में जन्मे) शिशु के संदर्भ में दोष-निवारण के लिए की जानेवाली विधि को ‘जननशांति’ कहते हैं । नवजात शिशु का अशुभ काल में जन्म होने से या विशिष्ट परिस्थिति में जन्म होने से दोष लगता है ।

नवजात शिशु का नाम धर्मशास्त्र के अनुसार रखें !

‘हिन्दू धर्म में बताए गए प्रमुख १६ संस्कारों में से ‘नामकरण’ ५ वां संस्कार है । नवजात शिशु के जन्म के १२ वें अथवा १३ वें दिन उसका नामकरण संस्कार किया जाता है ।

जन्मपत्रिका बनाने का महत्त्व समझ लें !

‘हिन्दू समाज में शिशु का जन्म होने पर ज्योतिष से शिशु की जन्मपत्रिका बनवा ली जाती है । अनेक लोगों को उत्सुकता होगी कि इस पत्रिका में क्या जानकारी होती है । इस लेख द्वारा ‘जन्मपत्रिका क्या है और पत्रिका में कौन-सी जानकारी अंतर्भूत होती है’,