अयोध्या में श्री रामलला की प्राणप्रतिष्ठा के कारण भारत राममराज्य की ओर गति से अग्रसर होगा !

अयोध्या में श्री रामलला (बालक-रूप की श्रीराम की मूर्ति) की प्राणप्रतिष्ठा का समारोह भारत के, साथ ही संपूर्ण विश्व के हिन्दुओं के लिए यह अत्यंत आनंद का क्षण होगा । २२.१.२०२४ को दोपहर १२.३० बजे आकाश में स्थित ग्रहीय स्थिति का ज्योतिषशास्त्रीय विश्लेषण आगे दिया गया है

अगले ढाई वर्ष तक श्री रामलला की प्राणप्रतिष्ठा हेतु शुभ मुहूर्त नहीं है !

अयोध्या में होनेवाली श्री रामलला की प्राणप्रतिष्ठा की तिथि पर विभिन्न लोग आपत्ति जता रहे हैं । इस संदर्भ में वाराणसी के गणेश्वर शास्त्री द्रविडजी ने इसका गणित बताकर प्राणप्रतिष्ठा हेतु २२ जनवरी २०२४ का दिन ही कैसे उचित है, यह बताया है ।

श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी की आध्यात्मिक विशेषताओं का ज्योतिषशास्त्रीय विश्लेषण !

श्रीचित्शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी ने गुरुकृपायोग के अनुसार साधना कर तीव्र गति से आध्यात्मिक उन्नति साध्य की । इस लेख में उनकी जन्मकुंडली में समाहित आध्यात्मिक विशेषताओं का ज्योतिषशास्त्रीय विश्लेषण किया गया है ।

व्यक्तिगत एवं सामाजिक स्तर पर ज्योतिषशास्त्र की उपयुक्तता

कालवर्णन के अंतर्गत काल का स्वरूप जानने के लिए आवश्यक घटकों की जानकारी होती है । कालवर्णन के दृष्टिकोण से ज्योतिषशास्त्र की व्यक्तिगत एवं सामाजिक स्तर पर उपयुक्तता इस लेख द्वारा समझ लेंगे ।

ज्योतिषशास्त्र : काल की अनुकूलता एवं प्रतिकूलता बतानेवाला शास्त्र !

‘ज्योतिषशास्त्र,‘भविष्य बतानेवाला शास्त्र है’ ऐसा अनेक लोगों को लगता है और इसलिए उन्हें लगता है कि ज्योतिषी हमारा भविष्य विस्तार से बताए । क्या वास्तव में ज्योतिष भविष्य बतानेवाला शास्त्र है, यह इस लेख से हम समझ लेंगे । इससे पूर्व ज्योतिषशास्त्र का प्रयोजन समझ लेंगे ।

आश्विन पूर्णिमा (कोजागरी पूर्णिमा) को खंडग्रास चंद्रग्रहण, ग्रहण में किए जानेवाले कर्म और ग्रहण की राशिनुसार मिलनेवाला फल !

‘आश्विन पूर्णिमा, २८ एवं २९.१०.२०२३ को होनेवाला चंद्रग्रहण भारत सहित सर्वत्र खंडग्रास दिखाई देनेवाला है ।

फल-ज्योतिषशास्त्र के मूलभूत घटक : ग्रह, राशि एवं कुंडली के स्थान

फल-ज्योतिषशास्त्र ग्रह, राशि एवं कुंडली के स्थान, इन ३ मूलभूत घटकों पर आधारित है । इन ३ घटकों से भविष्य का निर्धारण करना संभव होता है । इन ३ घटकों को संक्षेप में इस लेख द्वारा समझ लेते हैं ।     

चंद्रोदय कब होता है ?

‘सामान्यतः बोल-चाल की भाषा में हम ऐसा कहते हैं, ‘सूर्य का सवेरे एवं चंद्रमा का रात में उदय होता है ।’ सूर्य के संदर्भ में यह योग्य है, परंतु चंद्रमा के संदर्भ में ऐसा नहीं होता । चंद्रोदय प्रतिदिन भिन्न समय होता है । इसकी जानकारी इस लेख द्वारा समझ लेते हैं ।

‘ज्योतिषशास्त्र को अन्य भारतीय शास्त्रों से जोडना’ इस शोध में सहभागी होने के लिए ज्योतिषशास्त्र के अध्ययनर्ताओं के लिए स्वर्णिम अवसर !

‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ की ओर से ज्योतिषशास्त्र में शोधकार्य आरंभ है । उसके अंतर्गत ज्योतिषशास्त्र को अन्य भारतीय शास्त्रों से (वास्तुशास्त्र, आयुर्वेद, संगीत, मंत्रशास्त्र इत्यादि से) जोडनेवाला शोधपरक अध्ययन करना है |

चंद्रोदय कब होता है ?

‘सामान्यतः बोली भाषा में हम ऐसा कहते हैं ‘सूर्य का उदय सवेरे एवं चंद्र का रात में होता है ।’ सूर्य के संदर्भ में यह योग्य हो, तब भी  चंद्र के संदर्भ में ऐसा नहीं हाेता है । चंद्रोदय प्रतिदिन भिन्न-भिन्न समय होता है । उस विषय की जानकारी इस लेख द्वारा समझ लेते हैं ।