अच्छे स्वास्थ्य के लिए विरुद्ध आहार लेना टालें !

‘विरुद्ध आहार’ एक भिन्न संकल्पना है । बहुत ही संक्षेप में कहना हो, तो ऐसे पदार्थ, जिन्हें एक-दूसरे के साथ खाया गया, तो वे स्वास्थ्य के लिए घातक होते हैं । ‘केले का दूध में बनाया गया सिखरन’ आयुर्वेद के अनुसार विरुद्ध आहार ही है !

शारीरिक कष्ट बढने के विविध कारण

जब आप अन्न, हवा एवं पानी इन मूल बातों पर निर्भर होते हैं तथा वही यदि मिलावट आ जाती है, तो बीमारी से कोई अछूता नहीं रह सकता ! चिकित्सकीय क्षेत्र के लोग भी ! इसीलिए हमारी दादी जिस प्रकार स्वस्थ रही, उस प्रकार स्वस्थ रहने के लिए हमारी पीढी को बहुत अधिक प्रयास करने पडेंगे, यह निश्चित है !

पेट साफ न होने के कारण होनेवाली स्थिति तथा उसका उपाय !

आयुर्वेद में बताया गया है कि पेट ठीक हो, तो जठराग्नि सुचारू रहने की संभावना अनेक गुना बढ जाती है । अग्नि के बिगडने के अनेक कारण हैं । ‘अग्नि ठीक होने पर स्वस्थ जीवन मिलता है तथा वह ठीक न हो, तो सभी बीमारियों की संभावना होती है ।’

‘पतंजलि योगपीठ’ एवं ‘इंडियन मेडिकल एसोसिएशन’ (आई.एम.ए.) के आपसी विवाद में आयुर्वेद की हानि न होने दें !

वर्तमान समय में सर्वत्र ‘पतंजलि योगपीठ’ द्वारा बनाई गई औषधियों पर प्रतिबंध लगाने के संदर्भ में ‘इंडियन मेडिकल एसोसिएशन’ अर्थात ‘आई.एम.ए.’ के द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में प्रविष्ट याचिका तथा न्यायालय के द्वारा उस पर निर्णय देते समय दिए गए वक्तव्यों के विषय में प्रसारमाध्यमों में उल्टी-सीधी चर्चा चल रही है ।

विद्यालयों में आयुर्वेद सिखाएं ! युद्धकाल में आयुर्वेद की औषधियां ही उपलब्ध होंगी !

भावी पीढी स्वस्थ हो, इस हेतु केंद्रीय ‘आयुष’ मंत्रालय की ‘होमिओपैथी फॉर स्कूल’, यह ३ वर्ष की योजना गोवा के विद्यालयों में लागू कर दी गई है ।

आयुर्वेद में विशद दिनचर्या सहस्रों वर्षाें के उपरांत भी स्वास्थ्य के लिए लाभदायक !

अपनी नौकरी, व्यवसाय का स्वरूप कैसा है, उसके अनुसार स्वयं का नियोजन कर दिनचर्या में विशद किए गए जो-जो कृत्य करना संभव है, वे करने का आरंभ करें । इससे स्वास्थ्य बनाए रखने में सहायता होगी ।

खुलकर बात करना एक महान औषधि है !

यदि मन में किसी भी प्रकार के विचार संगठित हुए, तो उसका परिणाम देह पर होता है तथा विभिन्न शारीरिक कष्ट आरंभ होते हैं । खुलकर बात करने से मन में इकट्ठा हुई भावनाओं को मार्ग मिलता है तथा मन हल्का होता है ।

निरोगी जीवन हेतु आयुर्वेद

हवा (वायु) है; इसीलिए जीवन संभव है । हमने यदि ‘हम केवल ५ मिनट वायु के बिना रहेंगे’, ऐसा कहा, तो क्या वह संभव होगा ?

ज्वर आने पर क्या खाएं ?

पेज पीने से शीघ्र ही स्फूर्ति आती है । १ – २ समय ‘पेज’ पीने से थकान दूर हो जाती है तथा ज्वर शीघ्र ठीक होने में सहायता होती है ।

निरोगी एवं दीर्घायु जीवन के लिए ‘आयुर्वेद’ !

‘रोग अथवा विकार से बचने के लिए दैनिक जीवन का आहार-विहार (क्रिया) इत्यादि कैसा हो’, यह प्रत्येक मानव को ज्ञात होना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है । इसीके साथ विकार होने पर ‘खाने-पीने से सबंधित पथ्य-अपथ्य’ अर्थात ‘क्या खाएं और क्या न खाएं ?’ यह भी ज्ञात होना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है ।