डॉक्टर, मुझे पंचकर्म करना है !
पंचकर्म चिकित्सा लेने पर दोष बाहर निकलने के कारण आनेवाली अशक्तता उचित है । उसका कुछ समय के लिए आना तथा उसके उपरांत शरीर में हल्कापन, बीमारी का नाश तथा स्वास्थ्यलाभ अपेक्षित है ।
पंचकर्म चिकित्सा लेने पर दोष बाहर निकलने के कारण आनेवाली अशक्तता उचित है । उसका कुछ समय के लिए आना तथा उसके उपरांत शरीर में हल्कापन, बीमारी का नाश तथा स्वास्थ्यलाभ अपेक्षित है ।
इस लेख में हम ‘बुढापे में आनेवाली समस्याएं’, ‘एल्जाइमर्स डिसीज’ क्या है ? तथा उसके उत्पन्न होने के कारणों के विषय में समझ लेंगे ।
मानवीय जीवन का सर्वांगीण विचार करनेवाला तथा सफल, पुण्यमय, दीर्घ एवं स्वास्थ्यमय जीवन कैसे व्यतीत करना चाहिए ?, इसका मार्गदर्शन करनेवाला शास्त्र है आयुर्वेद ! अपना स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए सभी को आयुर्वेद में दिए स्वास्थ्य संबंधी नियम, दिनचर्या एवं ऋतुचर्या को समझ लेना आवश्यक है ।
आयुर्वेद तो सहस्रों वर्ष से चला आ रहा है; परंतु उसके सिद्धांत आज भी अचूकता से लागू होते हैं; इसीलिए आयुर्वेद चिरंतन है । इस लेख में हम समझ लेंगे कि ‘हमारी दिनचर्या आयुर्वेद के अनुसार कैसी होनी चाहिए ? तथा वह वैसे क्यों होनी चाहिए ?’
व्यायाम के कारण नींद की गुणवत्ता में आनेवाला सुधार प्राकृतिक तथा औषधि रहित पद्धति है, जो संपूर्ण स्वास्थ्य लाभ हेतु उपयुक्त सिद्ध होती है । निरंतर हलचल अच्छी नींद की आदत को गति प्रदान करती है ।
‘विरुद्ध आहार’ एक भिन्न संकल्पना है । बहुत ही संक्षेप में कहना हो, तो ऐसे पदार्थ, जिन्हें एक-दूसरे के साथ खाया गया, तो वे स्वास्थ्य के लिए घातक होते हैं । ‘केले का दूध में बनाया गया सिखरन’ आयुर्वेद के अनुसार विरुद्ध आहार ही है !
जब आप अन्न, हवा एवं पानी इन मूल बातों पर निर्भर होते हैं तथा वही यदि मिलावट आ जाती है, तो बीमारी से कोई अछूता नहीं रह सकता ! चिकित्सकीय क्षेत्र के लोग भी ! इसीलिए हमारी दादी जिस प्रकार स्वस्थ रही, उस प्रकार स्वस्थ रहने के लिए हमारी पीढी को बहुत अधिक प्रयास करने पडेंगे, यह निश्चित है !
आयुर्वेद में बताया गया है कि पेट ठीक हो, तो जठराग्नि सुचारू रहने की संभावना अनेक गुना बढ जाती है । अग्नि के बिगडने के अनेक कारण हैं । ‘अग्नि ठीक होने पर स्वस्थ जीवन मिलता है तथा वह ठीक न हो, तो सभी बीमारियों की संभावना होती है ।’
‘आजकल गर्मी का मौसम चल रहा है । इस काल में ‘शरीर का तापमान बढ जाना, पसीना छूटना, शक्ति न्यून होना, थकान होना’ इत्यादि कष्ट होते हैं । तापमान बढने से व्यक्ति मूर्च्छित होकर (लू लग जाने से) मृत्यु होने के भी कुछ उदाहरण हैं । गर्मियों में होनेवाली विभिन्न बीमारियों से दूर रहने हेतु सभी को निम्न बातों का ध्यान रखना आवश्यक है –
भावी पीढी स्वस्थ हो, इस हेतु केंद्रीय ‘आयुष’ मंत्रालय की ‘होमिओपैथी फॉर स्कूल’, यह ३ वर्ष की योजना गोवा के विद्यालयों में लागू कर दी गई है ।