नववर्षारंभ दिन का संदेश
हिन्दुओ, चैत्र प्रतिपदा इस ‘युगादि तिथि’ को नववर्ष के प्रारंभ के रूप में मान्यता मिलने के लिए शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक और राजनैतिक प्रयासों की पराकाष्ठा कीजिए और भारत में ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित कीजिए !
हिन्दुओ, चैत्र प्रतिपदा इस ‘युगादि तिथि’ को नववर्ष के प्रारंभ के रूप में मान्यता मिलने के लिए शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक और राजनैतिक प्रयासों की पराकाष्ठा कीजिए और भारत में ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित कीजिए !
बुद्धिप्रमाणवादियों को यह अहंकार होता है, ‘मानव ने विभिन्न यंत्रों का आविष्कार किया ।’ उन्हें यह ध्यान में नहीं आता कि ईश्वर ने जीवाणु, पशु, पक्षी ७० से ८० वर्ष चलनेवाला एक यंत्र अर्थात मानव शरीर जैसी अरबों वस्तुएं बनाई हैं । क्या उनमें से एक भी वैज्ञानिक बना पाए हैं ?
क्या अभी तक असम के किसी मुख्यमंत्री ने इतनी कठोरता से मुसलमानों को सुनाया था ? असम के हिन्दुओं की रक्षा करने के लिए सरमा कठोर कदम उठाएं, यही हिन्दुओं की भावना है !
केवल हाथ जोडकर क्षमा मांगने से कुछ नहीं होगा और कश्मीरी मुसलमान ऐसी क्षमा मांगेंगे, इसकी भी संभावना नहीं है । इसलिए अब केंद्र सरकार को ही अब प्रधानता लेकर इन अत्याचारों में संलिप्त मुसलमानों को दंड मिलने हेतु प्रयास करने चाहिए, तभी जाकर वास्तव में कश्मीरी हिन्दुओं को न्याय मिलेगा !
३२ वर्ष पूर्व भारत के एक राज्य में हिन्दुओं के साथ क्या हुआ ?, यह भारतीयों को अभी तक यह ज्ञात नहीं हैै । वास्तव में, भारत के हिन्दुओं ने कश्मीरी हिन्दुओं के लिए कुछ नहीं किया; इसलिए अब तो हिन्दुओं को जागृत होकर कश्मीरी हिन्दुओं को न्याय दिलाना चाहिए ।
श्रीलंका ने भारत से अन्न आयात करने के लिए कर्ज की मांग की है । वह जैविक खेती के विषय में मार्गदर्शन भी मांगे, तो इसमें भारतीय किसान बंधु भी आनंद से सहभागी होंगे ।
तृतीय विश्वयुद्ध की अवधि साधकों की ईश्वरभक्ति पर निर्भर होगी । यह युद्ध भक्तों (धर्माचरण करनेवाले जीवों) और अनिष्ट शक्तियों (अधर्माचरण करनेवाली जीवों) के मध्य होनेवाला है; इसलिए इस युद्ध की अवधि बदल सकती है ।
‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ वैज्ञानिक परिभाषा में आध्यात्मिक शोध करने हेतु अद्वितीय कार्य करनेवाली संस्था है । इस विश्वविद्यालय के कुछ साधक संतों के मार्गदर्शन में विविध स्थानों पर यात्रा कर भारतीय संस्कृति की अनमोल धरोहर संग्रहित कर रहे हैं ।
बॉलीवुड में प्रतिवर्ष गुंडे, माफिया, ‘ड्रग्स पेडलर’, गंगूबाई जैसे वेश्यागृहों की मालकिन का उदात्तीकरण करनेवाले अनेक ‘ड्र्रामा फिल्म्स’ प्रदर्शित होती हैं । ऐसे चलचित्र देखने की अपेक्षा भारतीय ‘द कश्मीर फाइल्स’ देखना देशहितकारी सिद्ध होगा ।
इस फिल्म में पग-पग पर ‘पूरे विश्व को कश्मीरी हिन्दुओं की व्यथा ज्ञात हो’; इसके लिए किए भागीरथी प्रयास दिखाई देते हैं । जिहादी आतंकी और उनके संरक्षकों (उदा. राज्यकर्ता, निष्क्रिय अधिकारी, बुद्धिजीवी, धर्मनिरपेक्षतावादी इत्यादि) के विरुद्ध असंतोष जागृत करने में यह फिल्म सफल रही है ।