असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने किया विधानसभा में आवाहन
राज्य में ३५ प्रतिशत मुसलमान होने से उन्हें ‘अल्पसंख्यक’ कहा नहीं जा सकेगा, यह भी किया प्रतिपादन !
क्या अभी तक असम के किसी मुख्यमंत्री ने इतनी कठोरता से मुसलमानों को सुनाया था ? असम के हिन्दुओं की रक्षा करने के लिए सरमा कठोर कदम उठाएं, यही हिन्दुओं की भावना है ! – संपादक |
गुवाहाटी (असम) – असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने विधानसभा में यह वक्तव्य दिया है कि ‘असम की कुल जनसंख्या में से ३५ प्रतिशत जनसंख्या मुसलमान होने से इसके आगे उन्हें ‘अल्पसंख्यक’ माना नहीं जा सकेगा । उन्होंने यह भी कहा कि ‘वर्ष १९९० में कश्मीर में जो हिन्दुओं की हत्याएं हुईं, उसके लिए मुसलमान ही उत्तरदायी हैं ।’ अन्य समुदायों में ‘द कश्मीर फाइल्स’ इस फिल्म में दिखाए अनुसार असम की स्थिति होगी, यह जो भय है, उसे दूर करने का दायित्व मुसलमानों का है । इसलिए असम की स्थिति कश्मीर जैसी नहीं होगी, इसके लिए मुसलमान हिन्दुओं को आश्वस्त करें ।’
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने आगे कहा कि,
१. ‘जो कश्मीरी हिन्दुओं का हुआ, क्या वही असम के लोगों का होगा ?’, ऐसा मुझे अनेक लोग पूछते हैं । क्या १० वर्ष उपरांत भी असम में ऐसी ही स्थिति होगी ?
असम की स्थिति कश्मीर जैसी नहीं होगी; इसके लिए, मुसलमान हिन्दुओं को आश्वस्त करें !
अभी जैसा ‘द कश्मीर फाइल्स’ में दिखाया गया है, उसे देखते हुए हमारा भय दूर करना मुसलमानों का कर्तव्य है ।
२. आज मुसलमान समुदाय के लोग विपक्षीय दल के नेता और विधायक हैं । आदिवासी लोगों के अधिकारों की रक्षा होगी और उनके अधिकारों का हनन नहीं होगा, इसका दायित्व इन मुसलमान विधायकों को लेना चाहिए ।
३. आदिवासियों की प्रतिबंधित भूमि पर अतिक्रमण करने की कोई भी आवश्यकता नहीं है । यदि बोरा और कलिता (असमी लोग) उन भूमियों पर नहीं बसे हैं, तो इस्लाम और रहमान (मुसलमान), इन लोगों को भी इन भूमिओं पर वास्तव्य नहीं करना चाहिए ।
४. असम के लोग भय की छाया में जी रहे हैं । उन्हें ‘क्या हमारी संस्कृति और जीवनशैली पर आक्रमण होगा ?’, यह भय सता रहा है । उदारता दोनों पक्षों से होनी चाहिए । मुसलमान भी यदि संस्कारी और क्षत्रिय संस्कृति की रक्षा के विषय में बात करेंगे, तो यह उदारता बनी रहेगी ।
(१९.३.२०२२)