परात्पर गुरु डॉ. आठवलेजी के ओजस्वी विचार

परात्पर गुरु डॉ. जयंत बाळाजी आठवलेजी

बुद्धिप्रमाणवादियों की सीमा !

     बुद्धिप्रमाणवादियों को यह अहंकार होता है, ‘मानव ने विभिन्न यंत्रों का आविष्कार किया ।’ उन्हें यह ध्यान में नहीं आता कि ईश्वर ने जीवाणु, पशु, पक्षी ७० से ८० वर्ष चलनेवाला एक यंत्र अर्थात मानव शरीर जैसी अरबों वस्तुएं बनाई हैं । क्या उनमें से एक भी वैज्ञानिक बना पाए हैं ?

सनातन प्रभात नियतकालिक की अद्वितीयता !

     क्या कोई भी समाचार पत्र त्याग करना सिखाता है ? केवल सनातन प्रभात सिखाता है । इसलिए सनातन प्रभात के पाठकों की आध्यात्मिक प्रगति होती है; जबकि अन्य समाचार पत्रों के पाठक माया में फंस जाते हैं ।’

कहां आदर्श प्रभु श्रीराम और कहां आज के अकार्यक्षम नेता !

     कहां सहस्रों दावे लंबित होने पर भी कुछ न करनेवाली आज तक की सरकारें और कहां जनता में से एक व्यक्ति द्वारा केवल संदेह व्यक्त करने पर सीता का त्याग करनेवाले प्रभु श्रीराम ! इस कारण प्रभु श्रीराम अजर अमर हैं, जबकि नेताओं को जनता कुछ वर्षों में ही भूल जाती है ।’

– (परात्पर गुरु) डॉ. आठवले