महाकुंभनगरी में ‘महर्षि आध्यात्मिक विश्वविद्यालय’ की प्रदर्शनी शुरू !
श्रद्धालुओं को त्रिवेणी संगम, महाकुंभ मेला, गंगाजल आदि के बारे में आध्यात्मिक और वैज्ञानिक जानकारी मिलेगी !
श्रद्धालुओं को त्रिवेणी संगम, महाकुंभ मेला, गंगाजल आदि के बारे में आध्यात्मिक और वैज्ञानिक जानकारी मिलेगी !
महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ द्वारा ‘यू.ए.एस. (यूनिवर्सल ऑरा स्कैनर)’ उपकरण से किया गया वैज्ञानिक परीक्षण
वर्ष २०१४ से सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के मार्गदर्शन में ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ की ओर से आधुनिक वैज्ञानिक परिभाषा में अध्यात्म का महत्त्व विशद करने हेतु वैज्ञानिक स्तर पर शोधकार्य किया जा रहा है ।
प्राचीन भारतीय शास्त्रों के अनुसार कालचक्र के अनुसार विश्व ऊपर-नीचे होता रहता है । रज-तमोगुण की प्रबलता बढने के कारण उसका नकारात्मक प्रभाव पृथ्वी, आप, तेज, वायु एवं आकाश इन पंचमहाभूतों पर पडता है । उसके फलस्वरूप पृथ्वी पर प्राकृतिक आपदाएं बढती हैं ।
रंगोली ६४ कलाओं में से एक कला है । यह कला आज घर-घर पहुंच गई है । त्योहारों-समारोहों में, देवालयों में तथा घर-घर में रंगोली बनाई जाती है । रंगोली के दो उद्देश्य हैं – सौंदर्य का साक्षात्कार तथा मांगलिक सिद्धि ।
इन ग्रंथों को पढते समय साधक भावविभोर हो जाते हैं तथा भावविश्व में रम जाते हैं । अनेक लोगों ने इन ग्रंथों में प्रकाशित छायाचित्रों एवं लेखों से प्रचुर मात्रा में चैतन्य प्रक्षेपित होने की अनुभूति की है ।
भावसत्संगों के कारण अनेक साधकों को साधना में सहायता मिली है । ‘भावसत्संग लेना अथवा उसे सुनना, साधकों में व्याप्त सूक्ष्म ऊर्जा पर (‘ऑरा’ पर) इसके क्या परिणाम होते हैं ?, वैज्ञानिक दृष्टि से इसका अध्ययन करने हेतु एक परीक्षण किया गया । इस परीक्षण के लिए ‘यूनिवर्सल ऑरा स्कैनर’ उपकरण का उपयोग किया गया ।
‘संतों के पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक दृष्टि से क्या लाभ होता है ?’, इसके संदर्भ में महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय की ओर से ‘यू.ए.एस. (यूनिवर्सल ऑरा स्कैनर)’ उपकरण तथा लोलक के द्वारा शोध किया गया ।
ब्रह्मोत्सव से पूर्व वस्त्राभूषणों में १.५ से ३.३ सहस्र मीटर तक सकारात्मक ऊर्जा थी । परात्पर गुरु डॉक्टरजी के द्वारा ब्रह्मोत्सव में इन वस्त्राभूषणों को धारण किए जाने के उपरांत उनमें विद्यमान सकारात्मक ऊर्जा ४२ सहस्र से लेकर १ लख मीटर से भी अधिक हुई ।
‘व्यक्ति के द्वारा मंदिर जाकर भगवान के दर्शन करने से पूर्व तथा करने के उपरांत उसकी सूक्ष्म ऊर्जा पर (‘ऑरा’ पर) क्या परिणाम होता है ?’, वैज्ञानिक दृष्टि से इसका अध्ययन करने हेतु एक परीक्षण किया गया । इस परीक्षण के लिए ‘यूनिवर्सल ऑरा स्कैनर’, उपकरण का उपयोग किया गया ।