हिन्दू अधिवक्ता परिषद की राज्य सरकार से शिकायत !

मुंबई, २२ मार्च (वार्ता) – महाराष्ट्र सरकार के अधिपत्य में राज्य भर के सभी मंदिर अपनी ऑडिट रिपोर्ट अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करते हैं; हालांकि, महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड ने पिछले १७ वर्षों से सरकार को ऑडिट रिपोर्ट नहीं सौंपी है। दुर्भाग्यवश, राज्य सरकार ने इस बारे में वक्फ बोर्ड से पूछा तक नहीं है। राज्य में वक्फ बोर्ड द्वारा भूमि हड़पने के बारे में पिछले कुछ वर्षों में सामने आई अनेक शिकायतों को देखते हुए यह बहुत गंभीर मामला है। हिंदू विधिज्ञ परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अधिवक्ता वीरेंद्र इचलकरंजीकर ने महाराष्ट्र सरकार से लिखित शिकायत कर समय रहते इस ओर ध्यान देने का अनुरोध किया है।
Supersede the Waqf Board for failing to submit audit reports for 17 years! – Adv. Virendra Ichalkaranjikar, @ssvirendra Hindu Vidhidnya Parishad, demands action!
🔹 Hindu Vidhidnya Parishad files complaint with the Maharashtra government!
🔹 Clear signs of deep-rooted… pic.twitter.com/5strnfEH2E
— Sanatan Prabhat (@SanatanPrabhat) March 22, 2025
इस संबंध में अधिवक्ता इचलकरंजीकर ने राज्य के माननीय मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और अल्पसंख्यक विकास मंत्री माननीय दत्तात्रेय भरणे को पत्र लिखकर वक्फ बोर्ड को भंग करने की मांग की है ऐसी जाणकारी हिंदू विधिज्ञ परिषद ने एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से दी । (ऐसी मांग और शिकायत करने की क्या जरूरत है? प्रशासन को ही ऑडिट रिपोर्ट पेश न करने के कारण वक्फ बोर्ड को बर्खास्त कर देना चाहिए। – संपादक)
वक्फ बोर्ड के संबंध में हिंदू लीगल काउंसिल द्वारा सरकार को दर्ज की गई शिकायत की प्रति |
इस प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि महाराष्ट्र राज्य वक्फ बोर्ड के पास अनुमानतः एक लाख एकड़ जमीन है। इस बोर्ड को महाराष्ट्र सरकार द्वारा प्रतिवर्ष वित्त पोषित किया जाता है। कार्यालय व्यय, अधिकारियों के वाहनों के लिए ईंधन और कर्मचारियों के वेतन के लिए धन सरकारी खजाने से दिया जाता है। वक्फ बोर्ड अधिनियम, १९९५ के तहत सरकार को वार्षिक लेखापरीक्षा रिपोर्ट प्रस्तुत करना अनिवार्य है। सरकार को इसका अध्ययन कर इस पर आदेश जारी करना चाहिए; हालांकि, सूचना के अधिकार के तहत पता चला है कि २००८ से अब तक महाराष्ट्र राज्य वक्फ बोर्ड से एक भी ऑडिट रिपोर्ट प्राप्त नहीं हुई है। एक तरफ मंदिर का पैसा सरकारी योजनाओं के लिए इस्तेमाल होता है, वहीं दूसरी तरफ सरकार हर साल वक्फ बोर्ड को पैसा देती है। वक्फ बोर्ड को इतनी जमीन कहां से मिलती है? यह लगातार कैसे बढ़ता है? अधिवक्ता इचलकरंजीकर ने सवाल उठाया है कि अब इसका जवाब देने का समय आ गया है।
सूचना के अधिकार के माध्यम से वक्फ बोर्ड के बारे में जानकारी प्राप्त हुई ! |
महाराष्ट्र राज्य वक्फ बोर्ड के कामकाज में बिल्कुल भी पारदर्शिता नहीं है। यदि किसी वर्ष के खातों का ऑडिट किया जाता है तो अगले वर्ष भ्रष्टाचार की कोई गुंजाइश नहीं रहती। १० वर्षों के खातों का ऑडिट करते समय आंकड़े बदले जा सकते हैं या गायब किये जा सकते हैं। यह मामला बहुत गंभीर है. यदि वक्फ बोर्ड सरकार के आदेशों का पालन नहीं करता है तो वक्फ बोर्ड अधिनियम के समान प्रावधानों का उपयोग करते हुए बोर्ड को भंग कर दिया जाना चाहिए। यह शक्ति सरकार के पास है। सर्वोच्च न्यायालय और अन्य अदालतों में लाखों मामले लंबित हैं ? उनकी सुनवाई कब होगी? बेंच आदि के बारे में जानकारी वेबसाइट पर उपलब्ध कराई गई है। हालांकि, अधिवक्ता इचलकरंजीकर ने बताया कि महाराष्ट्र वक्फ प्राधिकरण की वेबसाइट पर उनके मामलों की जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई है।
संपादकीय भूमिकाइसका मतलब यह है कि यह कहने की गुंजाइश है कि वक्फ बोर्ड भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है। इसके अलावा, १७ वर्षों तक ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत न करना बहुत गंभीर अपराध है। इसलिए, वक्फ अधिनियम और वक्फ बोर्ड को निरस्त करना देश के सर्वोत्तम हित में है! |