सनातन के ‘देवताओं की उपासना’ ग्रन्थमाला के ग्रन्थ
श्रीकृष्ण के विविध नाम और उनका अर्थ, श्रीकृष्ण की गुण-विशेषताएं और कार्य इस संदर्भ मे पढिये ‘श्रीकृष्ण (लघुग्रन्थ)’ में
श्रीकृष्ण के विविध नाम और उनका अर्थ, श्रीकृष्ण की गुण-विशेषताएं और कार्य इस संदर्भ मे पढिये ‘श्रीकृष्ण (लघुग्रन्थ)’ में
कोई गुरु अथवा ईश्वर आकर हमसे हुई चूकोंका, पापोंका परिणाम नष्ट नहीं करेंगे, हमारा स्वभाव नहीं सुधारेंगे । हम भाग्यशाली हैं कि हमें ग्रंथोंसे, गुरुओंसे मार्गदर्शन मिला है । अब आगे हमें अपनी चित्तशुद्धि करनी है, हमें ही करनी है !
जीवनमें सुख तो जौ (यव) धान्य के एक दानेके बराबरका है, तो दु:ख पहाड जितना है । इन दु:खोंकी पुनरावत्तियां टालनेके लिये किसी साधनासे अंतिम यात्राकी सिद्धता की, तो ‘अनंत’में विलीन होकर जन्म-मृत्युकी यात्राओंका अंत होगा ।
संविधान की मूल प्रति के पृष्ठों पर कहीं पर भी मोहम्मद पैगंबर एवं यीशू के चित्र नहीं थे; अपितु केवल श्रीराम, श्रीकृष्ण एवं बुद्ध के चित्र थे ।
इस संदर्भ में अब आधुनिकतावादी यदि पेटदर्द होने पर इसकी आलोचना करें, तो आश्चर्य कैसा ?
जन्माष्टमी पर श्रीकृष्णतत्त्व प्रतिदिन की तुलना में १००० गुना अधिक कार्यरत होता है । इस तिथि पर ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ।’ नामजप तथा श्रीकृष्णजी की अन्य उपासना भावपूर्ण करने से श्रीकृष्णतत्त्व का अधिक लाभ मिलता है ।
इतने निचले स्तर पर जाकर हिन्दुओं के देवताओं का अपमान किया जाने पर भी ऐसों के विरोध में कार्यवाही करने के लिए, उन्हें कठोर दंड देने के लिए कठोर कानून नहीं बनाया जाता, यह हिन्दुओं के लिए लज्जास्पद !
हिन्दुओं को लगता है कि, ऐसा प्रश्न निर्माण होने के पूर्व ही केंद्र की भाजपा सरकार को इस दिशा में प्रयास करने चाहिए थे ! कम से कम अब तो प्रयास किए जाएंगे, ऐसी अपेक्षा है !
“सुबह भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को स्नान कराते समय हाथ उखड गया था ।” घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर निरंतर प्रसारित हो रहा है । लेखी सिंह गत ३० वर्षों से अर्जुन नगर के पथवारी मंदिर में पुजारी के पद पर कार्यरत हैं ।