श्रीराम नवमी एवं हनुमान जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं !

श्रीराम नवमी के दिन रामतत्त्व सामान्य की तुलना में १ सहस्र गुना सक्रिय रहता है । इस बढे हुए तत्त्व का लाभ लेने हेतु श्रीराम नवमी के दिन ‘श्रीराम जय राम जय जय राम ’ नामजप तथा प्रार्थना एवं श्रीराम की अन्य उपासना अधिकाधिक करें ।

श्रीराम नवमी एवं हनुमान जयंती के निमित्त उनके विषय में कुछ विशेष जानकारी…

देवताओं एवं अवतारों की जन्मतिथि पर उनका तत्त्व भूतल पर अधिक सक्रिय रहता है । श्रीरामनवमी के दिन रामतत्त्व सामान्य की तुलना में १ सहस्र गुना सक्रिय रहता है ।

नववर्षारंभ के निमित्त सनातन संस्था द्वारा प्रवचन

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ही ब्रह्मदेव ने ब्रह्मांड की निर्मिति की । उनके नाम से ही ‘ब्रह्मांड’ नाम प्रचलित हुआ । इसका महत्त्व क्या है तथा इसे कैसे मनाना चाहिए, इसके बारे में सनातन संस्था की ओर से यहां के नक्की घाट स्थित त्रिदेव मंदिर में श्रद्धालुओं को मार्गदर्शन किया ।

हिन्दू धर्म के त्योहारों का शास्त्र समझें और विकृतियों को दूर कर आनंद लें । – आनंद जाखोटिया

बगडी नगर में कलालो के पास स्थित शिव मंदिर में यह कार्यक्रम हुआ, जिसमें स्थानीय धर्मप्रेमी अपने परिवार सहित उपस्थित रहे ।

हिन्दू नववर्षारंभ (चैत्र शुक्ल प्रतिपदा) से व्यक्तिगत एवं सामाजिक जीवन में रामराज्य स्थापित करने का संकल्प करें !

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी का नववर्ष के अवसर पर संदेश

हिन्दुओं की अद्वितीय कालगणना की पद्धति की अलौकिकता का वर्णन करनेवाला…नवसंवत्सरारंभ !

जैसे हिन्दुओं का कोई भी त्योहार मौज-मस्ती का विषय नहीं, अपितु मंगलता, पवित्रता, चैतन्य एवं आनंद का समारोह है, वैसे ही चैत्र शुक्ल प्रतिपदा भी है ! इसकी एक और विशेषता यह है कि यह काल का प्रत्यक्ष भान कराकर जीव को अधिकाधिक अंतर्मुख बना देता है !

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर वर्षारंभ करने के प्राकृतिक, ऐतिहासिक एवं आध्यात्मिक कारण

ज्योतिष-शास्त्र अनुसार संवत्सरारंभ के आस-पास ही सूर्य वसंतविषुव (Vernal Equinox) पर आता है एवं वसंत ऋतु आरंभ होती है अर्थात सूर्य भ्रूमध्यरेखा को पार करता है तथा दिन-रात का मान समान होता है ।

आगामी हिन्दू वर्ष में हिन्दुओं का राजनैतिक, कूटनीतिक तथा तकनीकी सशक्तिकरण होगा ! – आचार्य डॉ. अशोक कुमार मिश्र

प्राच्य और ज्योतिषशास्त्रीय ग्रंथों में वर्णित है कि ब्रह्माजी के द्वारा सृष्टि की रचना चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को प्रारंभ किया गया और तभी से समय-गणना का विधान भी प्रारंभ हुआ ।

होली

इस वर्ष २४ मार्च को होली है । होली के दिन अग्निदेवता का तत्त्व २ प्रतिशत कार्यरत रहता है । इस दिन अग्निदेवता की पूजा करने से व्यक्ति को तेजतत्त्व का लाभ होता है ।

महाशिवरात्रि विशेष

शिव शब्द ‘वश्’ शब्द के व्यतिक्रम से अर्थात अक्षरों के क्रम परिवर्तित करने से बना है । ‘वश्’ अर्थात प्रकाशित होना, अर्थात शिव वह है जो प्रकाशित है । शिव स्वयंसिद्ध एवं स्वयंप्रकाशी हैं । वे स्वयं प्रकाशित रहकर संपूर्ण विश्व को भी प्रकाशित करते हैं ।