विश्व हिन्दू परिषद के झारखंड राज्यप्रमुख तथा उद्योगपति चंद्रकांत रायपत ने किया वाराणसी के सनातन आश्रम का अवलोकन !

विश्व हिन्दू परिषद के झारखंड राज्यप्रमुख तथा रांची के प्रसिद्ध उद्योगपति श्री. चंद्रकांत रायपत तथा उनके सहयोगियों ने कुछ ही दिन पूर्व वाराणसी के सनातन आश्रम का अवलोकन किया ।

पू. राम बालकदास महात्यागीजी के करकमलों से राजीम कुंभपर्व (छत्तीसगढ) में सनातन की ग्रंथ-प्रदर्शनी का उद्घाटन !

सनातन संस्था द्वारा राजीम कुंभपर्व में धर्म एवं अध्यात्म पर आधारित ग्रंथों की प्रदर्शनी लगाई गई, साथ ही धर्मशिक्षा फलकों की प्रदर्शनी भी लगाई गई । पाटेश्वरधाम के संत पू. राम बालकदास महात्यागीजी के करकमलों से दीपप्रज्वलन कर इस प्रदर्शनी का उद्घाटन किया गया ।

जमशेदपुर (झारखंड) में आयोजित स्वदेशी मेला में सनातन संस्था की ओर से ग्रंथ एवं उत्पाद प्रदर्शनी !

सनातन संस्था की प्रदर्शनी पर संस्था द्वारा प्रकाशित साधना, आचारधर्म, बालसंस्कार, आहार, हिन्दू राष्ट्र आदि कई विषयों पर ग्रंथ उपलब्ध है । साथ ही संस्था द्वारा निर्मित सात्त्विक उत्पाद तथा पूजासामग्री भी यहां उपलब्ध है ऐसी जानकारी संस्था द्वारा दी गई है ।

मुजफ्फरपुर (बिहार) में शिव जयंती के उत्सव में सनातन संस्था का रहा सहभाग

इस उत्सव में सनातन संस्था की ओर से मार्गदर्शन किया गया । इस अवसर पर सनातन संस्था की साधिका श्रीमती मनीषा मिश्रा ने ‘छत्रपति शिवाजी महाराज का आदर्श सामने रखकर कैसे कार्य करना चाहिए ?’, इस विषय में मार्गदर्शन किया ।

सनातन संस्था आनंदमय जीवन का मार्ग !

सनातन संस्था २२ मार्च २०२४ को उसकी स्थापना के २५ वर्ष पूर्ण कर रही है । सनातन संस्था की रजत जयंती (२५ वीं) महोत्सव के उपलक्ष्य में ‘सनातन संस्था के व्यापक कार्य का केवल प्राथमिक परिचय’ कही जाए, ऐसी जानकारी ‘सनातन संस्था का रजत जयंती महोत्सव’ विशेषांक में दी गई है ।

संपादकीय : सामर्थ्य… सनातन का !

‘केवल साधना ही करनी है’, ऐसा नहीं; अपितु ‘आध्यात्मिक प्रगति कर आनंदप्राप्ति करनी होती है’, यह समाज को बतानेवाली सनातन संस्था आध्यात्मिक संस्थाओं में से एक ‘आदर्श’ संस्था सिद्ध हुई है ।

सनातन धर्म का अस्तित्व बनाए रहने हेतु प्रयासरत सनातन संस्था !

वैदिक काल के ऋषि-मुनियों ने भौतिक एवं आध्यात्मिक, इन दोनों जीवनों का अच्छा मेल कर स्व-अनुशासित मानवीय समाज का निर्माण किया । ऐसे मानवीय समाज के निर्माण हेतु स्थल-काल का बंधन नहीं है, यह धर्म का मूलभूत सिद्धांत है ।

दिव्य, अलौकिक एवं एकमेवाद्वितीय सनातन संस्था !

‘आनंद (ईश्वर) प्राप्ति हेतु साधना सिखाना’ अध्यात्म का ज्ञान अगाध एवं अनंत है । सामान्य लोगों को वह कठिन लग सकता है अथवा उसमें दी गई उपासनाओं में से निश्चित रूप से कौनसी उपासना करनी चाहिए ?, यह प्रश्न उठता है ।

साधक की व्यक्तिगत आध्यात्मिक उन्नति तथा हिन्दू राष्ट्र की स्थापना ही सनातन संस्था का उद्देश्य है ! – (पू.) अधिवक्ता हरि शंकर जैन, सर्वाेच्च न्यायालय

‘भारतीय गणराज्य के क्षितिज पर वर्ष १९९० में जब अंधकार छाया हुआ था, उस समय सूरज की किरणें दिखने का आभास युगद्रष्टा परात्पर गुरु डॉ. जयंत आठवलेजी ने देश के कलुषित धर्मनिरपेक्षतावाद के विरोध में जनता को हिन्दू राष्ट्रवाद दिखलाने का कार्य किया ।

सनातन संस्था धर्म की रक्षा हेतु निरंतर संघर्ष करने का जो कार्य कर रही है, वह केवल अद्भुत एवं अद्वितीय !

भारत की आध्यात्मिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक परंपराओं की रक्षा करते हुए भारतीयों को सदैव कार्यरत अथवा जागृत बनाए रखने के लिए संघर्ष करनेवाली ‘सनातन संस्था’ रजत-महोत्सव मना रही है । हम सभी के लिए यह अत्यंत आनंद एवं सम्मान का क्षण है ।