सनातन संस्था की श्रीसत्‌शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी एवं श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी की दैवी एवं ऐतिहासिक प्रयागराज यात्रा !

तीर्थराज प्रयागराज

इस वर्ष १३ जनवरी से २६ फरवरी २०२५ की अवधि में हो रहे महाकुंभपर्व के उपलक्ष्य में प्रयागक्षेत्र में पूरे देश से साधु-संत पधारे हैं । उनमें सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी की उत्तराधिकारिणियां श्रीसत्‌शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी एवं श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी (सद्गुरुद्वयी) ने २१ एवं २२ जनवरी को तीर्थराज प्रयागराज की यात्रा की । इस यात्रा में उन्होंने विभिन्न स्थानों का अवलोकन किया । उनकी यह यात्रा दैवी तथा ऐतिहासिक सिद्ध हुई । इस विषय में संक्षेप में समझ लेते हैं ।

सद्गुरुद्वयी को हरिद्वार के श्री मनसादेवी की प्रतिमा भेंट करते अखिल भारतीय अखाडा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरीजी

सद्गुरुद्वयी ने कुम्भ क्षेत्र के सेक्टर २० में स्थित ‘श्री पंचायती निरंजनी अखाडे में जाकर अखिल भारतीय अखाडा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरीजी महाराज से भेंट की । इस अवसर पर अखाडे में उपस्थित अन्य श्रद्धालुओं तथा सेवकों के चेहरे पर ‘ये कोई भिन्न तथा दैवी व्यक्तित्व हैं’, यह भाव दिखाई दे रहा था । इस अवसर पर सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी की आध्यात्मिक उत्तराधिकारिणियां श्रीसत्‌शक्ति (श्रीमती) बिंदा नीलेश सिंगबाळजी एवं श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली मुकुल गाडगीळजी ने अखाडे के परिसर में घूमकर वहां चल रहे आध्यात्मिक कार्य के विषय में जिज्ञासापूर्वक जानकारी प्राप्त की ।

हिन्दू राष्ट्र-स्थापना के उदात्त उद्देश्य से त्रिवेणी संगम पर संकल्पपूजन !

त्रिवेणी संगम पर हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हेतु संकल्पपूजन होने के उपरांत बाईं ओर से श्रीसत्‌शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी

२१ जनवरी को श्रीसत्‌शक्ति (श्रीमती) सिंगबाळजी एवं श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) गाडगीळजी का कुम्भ क्षेत्र में आगमन हुआ । उसी दिन उनके करकमलों से भारत में विश्वकल्याण हेतु हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हो, साथ ही हिन्दू राष्ट्र-स्थापना के प्रेरणास्रोत सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी को स्वास्थ्यमय दीर्घायु प्राप्त हो, इस उद्देश्य से तीर्थराज प्रयागराज के महाकुम्भ पर्व में गंगा, यमुना एवं सरस्वती, इन नदियों के पवित्र त्रिवेणी संगम पर संकल्पपूजन एवं प्रार्थना की गई । इस अवसर पर ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ के सद्गुरु डॉ. मुकुल गाडगीळजी, हिन्दू जनजागृती समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी, समिति के धर्मप्रचारक सद्गुरु नीलेश सिंगबाळजी, सनातन के धर्मप्रचारक पू. प्रदीप खेमकाजी, उनकी धर्मपत्नी पू. (श्रीमती) सुनीता खेमकाजी की वंदनीय उपस्थिति थी । त्रिवेणी संगम पर जिस प्रकार श्रद्धालु गंगा, यमुना एवं सरस्वती, इन पवित्र नदियों से स्वयं के उत्कर्ष की मनौती मांगते हैं, उस प्रकार इन सद्गुरुद्वयी ने हिन्दू राष्ट्ररूपी समस्त हिन्दुओं के कल्याण की मनौती मांगी !

महाकुम्भ पर्व का ऐतिहासिक क्षण : ‘हिन्दू राष्ट्र पदयात्रा’

‘हिन्दू राष्ट्र पदयात्रा’ में सम्मिलित श्रद्धालुओं की ओर कृपावत्सलभाव से देखतीं सद्गुरुद्वयी !

२२ जनवरी को निकाली गई ‘हिन्दू राष्ट्र पदयात्रा’ तथा उसमें रथारूढ सद्गुरुद्वयी का सहभाग इस महाकुम्भ पर्व का ऐतिहासिक क्षण सिद्ध हुआ । इससे अनेक लोगों को वर्ष २०२२ में निकाले गए सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के रथोत्सव का स्मरण हुआ । रथारूढ सद्गुरुद्वयी अत्यंत तेजस्वी दिखाई दे रही थीं । उनका दैवी तेज देखकर ही पदयात्रा में मार्ग पर आ-जा रहे अनेक अनेक श्रद्धालु तथा साधु भी सद्गुरुद्वयी से अपरिचित होते हुए भी उन्हें मनोभाव से नमस्कार कर रहे थे । सद्गुरुद्वयी भी उन्हें हाथ जोडकर नमस्कार कर रही थीं । ऑटो, बस आदि में बैठे यात्री भी सद्गुरुद्वयी के छायाचित्र खींच रहे थे । इस रथोत्सव के मार्ग पर स्थित अखाडों के बाहर उपस्थित साधु-संत, नागा साधु आदि हाथ उठाकर हिन्दू राष्ट्र का जयघोष कर रहे थे । इससे यहां का पूरा वातावरण ही भगवामय बन गया था । यह ऐतिहासिक पदयात्रा ब्राह्मतेज एवं क्षात्रतेज का प्रतीक सिद्ध हुई !

‘इस्कॉन’के भव्य अन्नपूर्णा कक्ष का अवलोकन सिद्ध हुआ अविस्मरणीय !


इस वर्ष ‘इस्कॉन’ ने सुप्रसिद्ध ‘अदानी उद्योगसमूह’ के सहयोग से ‘मेगा किचन’ बनाया है । इस माध्यम से प्रतिदिन ३५ से ५० सहस्र श्रद्धालुओं को महाप्रसाद का वितरण किया जा रहा है । ‘इस्कॉन’ के भरूच, गुजरात के प्रमुख डॉ. मुरलीधर दास ने सद्गुरुद्वयी का स्वागत किया, साथ ही उन्हें इस्कॉन के शिविर में स्थित श्रीकृष्ण मंदिर, भागवद् कथा से संबंधित दृश्य, अन्नपूर्णा छत्र, साथ ही ‘मेगा किचन’ की विस्तृत जानकारी दी ।

एक ही समय ३५ से ५० सहस्र श्रद्धालुओं के लिए महाप्रसाद बनाने की व्यवस्था से सुसज्जित ‘इस्कॉन’ का ‘अन्नपूर्णा कक्ष’ !

इस अवसर पर डॉ. दास ने कहा, ‘‘इस्कॉन’ के भक्त नियमित रूप से सनातन के सात्त्विक उत्पादों का उपयोग करते हैं । ऐसे उत्पाद कहीं नहीं मिलते । इन उत्पादों का पूरे देश में प्रचार होने के लिए हम आपकी सहायता करेंगे ।’’

पदयात्रा के कारण कुम्भक्षेत्र बना भगवामय  !

पदयात्रा में सम्मिलित धर्मप्रेमियों द्वारा धारण किया भगवा वस्त्र, हाथ में पकडे हुए भगवा ध्वज, आकाश में गूंज उठा हिन्दू राष्ट्र का जयघोष आदि के कारण पूरा कुम्भक्षेत्र भगवामय बन गया था । इस अवसर पर उपस्थित धर्मप्रेमियों ने ‘जय श्रीराम, हिन्दू राष्ट्र की जय हो’, ‘लाना होगा लाना होगा, हिन्दू राष्ट्र लाना होगा’, ‘जो हिन्दूहित का काम करेगा, वही देश पर राज करेगा’, ‘हर हर महादेव’, ‘गंगा माता की जय हो’ आदि उत्स्फूर्त नारे लगाए । यह पदयात्रा हिन्दू राष्ट्र की स्थापना की आश्वस्तता दिलानेवाली सिद्ध हुई ।