तमिलनाडु की द्रमुक सरकार का मंदिरों का ‘स्थलपुराण’ बदलने का हिन्दूद्वेषी निर्णय !
‘स्थलपुराण’ यह संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ ‘प्रादेशिक इतिहास’ होता है । किसी एक परिसर, मंदिर अथवा क्षेत्र की ऐतिहासिक और धार्मिक जानकारी इनकी जानकारी होती है ।
‘स्थलपुराण’ यह संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ ‘प्रादेशिक इतिहास’ होता है । किसी एक परिसर, मंदिर अथवा क्षेत्र की ऐतिहासिक और धार्मिक जानकारी इनकी जानकारी होती है ।
राजनीति के प्रति उदासीनता हिन्दुओं में सामान्य है । महाभारत के समय अर्जुन भी इससे नहीं बच पाए थे । ठीक युद्ध के समय अर्जुन ने अपने हाथ के शस्त्र नीचे रख दिए थे । उनका मानना था कि राजनीति अप्रासंगिक है ।
हमने ‘धन विजय’ एवं ‘असुर विजय’ का अनुभव किया है । धन विजय का अर्थ है; स्थूल वस्तु से मिलने वाला आनंद किंतु उसमें हेतु योग्य नहीं ! यह आत्मकेंद्रित होने समान है ।
हिन्दुओं के त्योहारों के उपलक्ष्य में गहनों के विज्ञापन बनाकर हिन्दू संस्कृति के अनुसार महिलाओं को कुमकुम लगा हुआ न दिखाने वाले अनेक गहना व्यापारियों ने इस वर्ष सुधार करते हुए दिवाली के उपलक्ष्य में किए गहनों के विज्ञापनों में महिलाओं को कुमकुम लगा हुआ दिखाया है ।
एक स्थान पर हिंसक कहना और दूसरी ओर ‘हिन्दू संस्कृति सहिष्णु है’ कहना, यह जावेद अख्तर की अवसरवादिता है।
विवाहित स्त्रियां इस दिन अपने पति की दीर्घ आयु एवं स्वास्थ्य की मंगलकामना कर भगवान रजनीनाथ को (चंद्रमा) अर्घ्य अर्पित कर व्रत का समापन करती हैं ।
अमेरिका के सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने कहा कि श्री श्री रविशंकर पिछले ४० वर्षाें से ध्यान तथा योग के बलपर विश्व के लोगों को आंतरिक शांति हेतु मार्गदर्शन कर रहे हैं । जिससे विश्व में हिंसा की घटनाओं में कमी आ सकती है । विश्व में एक भी मुस्लिम धर्मगुरु एसा कार्य करता है क्या ?
इस दिन राजा, सामन्त एवं सरदार, अपने शस्त्रों-उपकरणों को स्वच्छ कर एवं पंक्ति में रखकर उनकी पूजा करते हैं । उसी प्रकार किसान एवं कारीगर अपने (कृषि हेतु उपयुक्त) उपकरणों एवं शस्त्रों की पूजा करते हैं । लेखनी व पुस्तक, विद्यार्थियों के शस्त्र ही हैं, इसलिए विद्यार्थी उनका पूजन करते हैं ।
मंदिर का नाम ‘शिवाला तेजा सिंह’ है । यह मंदिर खोलने के पश्चात मंदिर की शिल्पकारी देखकर श्रद्धालु चकित रह गए । यह मंदिर देखकर ‘इतना पुराना है’, ऐसा बिल्कुल नहीं लगता ।
आज विदेश में भौतिक सुख भले ही मिलता है, किंतु मन की शांति नहीं, यह स्पष्ट दिखाई दे देती है । नैतिकता का भी ह्रास हुआ है । ये दोनों बातें हिन्दू धर्म में हैं । भौतिक सुविधाएं निर्मित करने में भारत को अनेक वर्ष लग सकते हैैं; किंतु साधना के माध्यम से भारत विश्वगुरु हो सकता है ।