सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार
‘मुझे ‘यह चाहिए’, ‘वह चाहिए’, ऐसा शासनकर्ताओं से मांगनेवाले और ‘मुझे अपना मत दीजिए’, ऐसा जनता से मांगनेवाले नेता ईश्वर को प्रिय होंगे अथवा राष्ट्र एवं धर्म के लिए सर्वस्व का त्याग करनेवाले ईश्वर के प्रिय होंगे ?’