जैसा कि शिरडी में ‘महाराष्ट्र मंदिर ट्रस्ट परिषद’ में लिए निर्णय के अनुसार, सोलापुर से ‘मंदिर सामूहिक आरती’ आरंभ हो गई है !

राज्य की पहली ‘सामूहिक आरती’ सोलापुर के ‘श्री वैष्णव मारुति देवस्थान’ में गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में भावपूर्ण और भावनात्मक वातावरण में की गई ।

सोलापुर – हाल ही में शिरडी में ‘महाराष्ट्र मंदिर न्यास परिषद’ में सैकड़ों मंदिर ट्रस्टियों द्वारा एक निर्णय लिया गया की जहां मंदिर है वहा सामूहिक आरती की जायेगी , जिसमें मांग की गई कि मंदिरों और मंदिर की भूमि पर अतिक्रमण तुरंत हटाया जाए । इसके अनुसार, राज्य की पहली ‘सामूहिक आरती’ सोलापुर के ‘श्री वैष्णव मारुति देवस्थान’ में बड़े उत्साह और भावपूर्ण वातावरण में गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में की गई, यह जानकारी ‘मंदिर महासंघ’ के राष्ट्रीय आयोजक श्री. सुनील घनवट ने एक प्रेस विज्ञप्ति के द्वारा दी ।

 इस प्रेस विज्ञप्ति में श्री. घनवट ने आगे बताया कि,

१. सोलापुर में श्री वैष्णव मारुति देवस्थान, पुराने घरकुल में महाराष्ट्र मंदिर महासंघ और श्री वैष्णव मारुति देवस्थान के सहयोग से एक ‘सामूहिक आरती’ की गई । इस समय मंदिर संघ के राष्ट्रीय संगठक श्री. सुनील घनवट, श्री वैष्णव मारुति देवस्थान के अध्यक्ष श्री. भास्कर राउल, ट्रस्टी श्री. दीपक परदेशी, श्री. नारायण दुभाषी, श्री. रामकृष्ण संचू, श्री. श्रीनिवास कोट्टायम, श्री गणेश मंदिर के अध्यक्ष श्री. वेणुगोपाल म्याणा, श्री चौडेश्वरी मंदिर के पुजारी श्री. गोवर्धन म्याकल, ‘पद्मशाली पुरोहित संगठन’ के सदस्य श्री. वेंकटेश जिल्ला, ‘श्री परमेश्वरी देवस्थान’ के पुजारी श्री. विट्ठल पांढरे, हिंदुत्वनिष्ठ श्री. विजय इप्पाकायल, श्री. धन्य कुमार चिंदे, महाराष्ट्र मंदिर महासंघ के श्री. श्री विनोद रसाल, हिन्दू जनजागृति समिति के श्री संकेत पिसाल , श्री. गौरीशंकर कलशेट्टी, श्री. धनंजय बोकड़े एवं श्री. बलराज दोंतुल सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे ।

२. २४ और २५ दिसंबर को श्री साईं पालखी निवारा, नीमगांव, शिरडी में आयोजित तीसरे ‘महाराष्ट्र मंदिर ट्रस्ट सम्मेलन’ में पूरे महाराष्ट्र से ८७५ से अधिक आमंत्रित मंदिर ट्रस्टियों, प्रतिनिधियों, पुजारियों, अधिवक्ताओं और मंदिर विद्वानों ने भाग लिया । इसमें मुख्य रूप से मंदिरों और मंदिर की भूमि पर अतिक्रमण के विरुद्ध सप्ताह में एक बार जहां मंदिर वहां ‘सामूहिक आरती’ आयोजित करना, काशी और मथुरा तीर्थस्थलों का प्रकरण फास्ट-ट्रैक न्यायालय में चलाया जाना चाहिए, सरकार को राज्य के सभी मंदिरों का सरकारीकरण रद्द करना चाहिए और उन्हें भक्तों को सौंपें, मंदिर में भक्तों द्वारा चढ़ाए गए धन का उपयोग महाराष्ट्र सरकार द्वारा विकास कार्यों के लिए न किया जाए, उसकी घोषणा, मंदिर परिसर को शराब-मांस मुक्त बनाने के लिए सरकार अधिसूचना जारी करे जैसी प्रमुख मांगें शामिल हैं ‘, राज्य में मंदिरों के पुजारियों को मानधन देने का निर्णय आदि संकल्प के माध्यम से सरकार को अवगत कराया गया ऐसी मांग मंदिर महासंघ के श्री. घनवट द्वारा कि गयी ।