नेत्र कुंभ-2025 का उदघाटन समारोह संपन्न
प्रयागराज, ५ जनवरी (वार्ता)- परोपकारिता सनातन संस्कृति का सार है जबकि दान भारतीय संस्कृति की अभिव्यक्ति है, यह बात आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने यहां कही । वह महाकुंभ पर्व के अवसर पर सेक्टर ६ में आयोजित ‘नेत्र कुंभ’ अर्थात नेत्र चिकित्सा उपक्रम के उद्घाटन पर बोल रहे थे । इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डाॅ. कृष्ण गोपाल, इस्कॉन के अध्यक्ष स्वामी गौरांग दास प्रभु तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे ।
स्वामी अवधेशानंद गिरि ने आगे कहा, “नेत्र मानव शरीर का सबसे संवेदनशील भाग है । इसी के कारण हम इस संसार को देख पाते हैं । इस पहल ‘नेत्र कुंभ’ से लाखों लोगों का जीवन प्रकाशमान होगा । वे इंद्रधनुषी ब्रह्मांड को देख सकते हैं ।”
ऐसी गतिविधि का आयोजन सेवा का एक अच्छा उदाहरण है ! – स्वामी गौरांग दास प्रभु
स्वामी गौरांग दास प्रभु ने कहा, “हम अलग-अलग इंद्रियों के माध्यम से अलग-अलग चीजों को अनुभव कर सकते हैं । इंद्रियां लगातार विभिन्न वस्तुओं की तलाश में रहती हैं । नेत्रों के बिना मनुष्य प्रकाशमान संसार को नहीं देख पाता । इसलिए इस गतिविधि का आयोजन सेवा भावना का एक अच्छा उदाहरण है ।
दृष्टि बाधित लोगों के जीवन में आएगी रोशनी ! – डॉ. कृष्ण गोपाल
डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि नेत्र कुंभ के माध्यम से समाज में एक अच्छा संदेश जाएगा कि अब कोई भी दृष्टिहीन नहीं रहेगा । ऐसे लोगों के जीवन में उजाला आ सकता हैं ।
इस अवसर पर ‘श्री रणछोड़दास बापूजी ट्रस्ट’ के प्रबंध न्यासी श्री. प्रवीण बसानी एवं ‘सक्षम’ संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोविंद राज ने भी विचार व्यक्त किये । कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया । आयोजन समिति के महाप्रबंधक सत्य विजय सिंह, महासचिव सर्वज्ञ राम मिश्र, प्रसारमाध्यम समन्वयक डाॅ. कृतिका अग्रवाल, डाॅ. कमलाकर सिंह, सतपाल गुलाटी, सत्यवीर सिंह आदि ने अतिथियों का स्वागत किया । प्रास्ताविक ‘सक्षम’ संस्था के राष्ट्रीय संगठन मंत्री चन्द्रशेखर ने तथा कवीन्द्र प्रताप सिंह ने आभार प्रदर्शन किया ।
५ लाख से अधिक लोगों के नेत्रों की होगी जांच !‘नेत्र कुंभ’ में ५ लाख से अधिक लोगों के नेत्रों की जांच होगी तथा ३ लाख से अधिक चश्मे बांटे जाएंगे । इसके साथ ही भक्तों को निःशुल्क औषधियां तथा शस्त्रक्रिया की सुविधा भी प्रदान की जाएगी l |