(कहते हैं) ‘जिस देश में सत्य बोलने की क्षमता अल्प होती जा रही है, वहां बोलना महत्त्वपूर्ण होता है !’
यदि भारत में व्यक्ति स्वतंत्रता न होती, तो लैपिड को यह सोचना चाहिए कि वे अभी किसी कारागृह में होते ! भारतीय लोग जानते है कि साम्यवादियों ने भारत के विरुद्ध जो दुष्प्रचार आरंभ किया है, उसी के एक भाग के रूप में लैपिड हैं !