आनंदप्राप्ति के लिए साधना करना ही आवश्यक ! – वैभव आफळे, समन्वयक, हिन्दू जनजागृति समिति
‘‘प्रारब्धभोग भोगना तथा ईश्वरप्राप्ति करना ही मनुष्यजीवन का लक्ष्य है, उसे साध्य करने के लिए साधना करना ही आवश्यक है ।
‘‘प्रारब्धभोग भोगना तथा ईश्वरप्राप्ति करना ही मनुष्यजीवन का लक्ष्य है, उसे साध्य करने के लिए साधना करना ही आवश्यक है ।
दो दिन देशभर से, साथ ही इस्रायल में भारत के राजदूत की ओर से विरोध होने के उपरांत क्षमा मांगने वाले नदाव पर कार्यवाही होना आवश्यक है ! यदि कोई इस प्रकार के विधान करने के उपरांत क्षमा मांगे, तो ऐसी प्रथा ही चालू हो जाएगी । इस कारण ऐसों को दंड मिलना चाहिए !
यदि भारत में व्यक्ति स्वतंत्रता न होती, तो लैपिड को यह सोचना चाहिए कि वे अभी किसी कारागृह में होते ! भारतीय लोग जानते है कि साम्यवादियों ने भारत के विरुद्ध जो दुष्प्रचार आरंभ किया है, उसी के एक भाग के रूप में लैपिड हैं !
आनंदित, उत्साही एवं भूख-प्यास भूलकर मूर्तिकला के साथ एकरूप श्री सिद्धिविनायक मूर्ति के शिल्पी श्री. नंदा आचारी गुरुजी !
मंगलवार (८ नवंबर) के दिन भारत सहित संपूर्ण एशिया, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका के पूर्वी प्रदेश और संपूर्ण दक्षिण अमेरिका में ग्रहण दिखने वाला है । भारत में कहीं भी ग्रहणस्पर्श नहीं दिखेगा ।
मूलतः दुर्ग (छत्तीसगढ) के निवासी तथा सनातन के रामनाथी आश्रम में रह रहे सनातन के १८ वें संत पू. चत्तरसिंग इंगळेजी (आयु ९२ वर्ष) ने २९ सितंबर की रात ८ बजे देहत्याग किया ।
गोवा के राजकीय क्षेत्र में भारी उलटा-पलटी होने से काँग्रेस के ११ में से ८ विधायकों ने भाजप में प्रवेश किया है ।
महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय को श्रीलंका की अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक परिषद में ‘सर्वोत्कृष्ट’ पुरस्कार प्रदान ! शोधनिबंध के लेखक महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के संस्थापक – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी एवं सहलेखक – श्री. शॉन क्लार्क व श्रीमती श्वेता क्लार्क !
श्रीविष्णु स्वरूप सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के पावन निवास के कारण सनातन का रामनाथी आश्रम तो भूवैकुंठ ही बन गया है । इस आश्रम को विभिन्न देवताओं के आशीर्वाद प्राप्त हुए हैं ।
भगवान परशुराम ही गोवा के रक्षक हैं; इसलिए कथित संत फ्रान्सिस जेवियर को ‘गोंयचो सायब’ (गोवा का साहब) कहना अनुचित है । गोवा में क्रूरतापूर्ण तंत्र इन्क्विजिशन लाने के लिए फ्रान्सिस जेवियर ही पूर्ण रूप से उत्तरदायी था ।