(कहते हैं) ‘जिस देश में सत्य बोलने की क्षमता अल्प होती जा रही है, वहां बोलना महत्त्वपूर्ण होता है !’

इस्रायली चलचित्र निर्देशक नादव लैपिड के चलचित्र एवं भारत पर लगे आरोप सदैव जारी !

इस्रायली चलचित्र निर्देशक नदाव लैपिड (दाईं ओर)

पणजी (गोवा) – इस्रायली चलचित्र निर्देशक नदाव लैपिड ने कहा है, ‘मेरे लिए ‘द कश्मीर फाइल्स’ चलचित्र के विषय में बोलना एवं राजनीतिक वक्तव्य देना सरल न था । मुझे पता था कि यह एक ऐसी घटना है, जो भयंकर पद्धति से देश के साथ जुडी हुई है । वहां का (भारत का) प्रत्येक नागरिक सरकार की प्रशंसा कर रहा है । मैं वहां अतिथि के रूप में था,  मैं यहां ज्युरी के (परीक्षक मंडल के) अध्यक्ष के रूप में हूं । इसलिए मेरे साथ अच्छा वर्तन किया गया और मैंने वहीं उनके कार्यक्रम में उन पर टीका-टिपण्णी की । चलचित्र देखकर मैं विचलित हो गया था । कल का संपूर्ण दिन मैंने डर में बिताया । जिस देश में मन बातें अथवा सत्य बोलने की क्षमता अल्प हो रही है, उस देश में किसी के द्वारा यह बोलना महत्त्वपूर्ण था’ ।

गोवा में संपन्न ५३ वें अंतरराष्ट्रीय चलचित्र महोत्सव में लैपिड ने चलचित्र की आलोचना की थी । उनके इस वक्तव्य से उभरे विवाद के पश्चात उन्होंने अपना वक्तव्य दिया । उन्होंने आगे कहा था कि द कश्मीर फाइल्स चलचित्र देखकर हम सभी विचलित हो गए हैं । यह चलचित्र एक कडवा अनुभव है । यह चलचित्र हमें अश्लील एवं प्रचारक (प्रोपेगैंडा वाली) लगा । इतने प्रतिष्ठित चलचित्र महोत्सव में यह चलचित्र दिखाना उचित नहीं है । इस मंच से मैं अपनी भावनाएं खुले मन से प्रस्तुत कर सकता हूं । इसकी चर्चा होना आवश्यक ही है ।

संपादकीय भूमिका

यदि भारत में व्यक्ति स्वतंत्रता न होती, तो लैपिड को यह सोचना चाहिए कि वे अभी किसी कारागृह में होते ! भारतीय लोग जानते है कि साम्यवादियों ने भारत के विरुद्ध जो दुष्प्रचार आरंभ किया है, उसी के एक भाग के रूप में लैपिड हैं !