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जनहित याचिका पर गुजरात सरकार के उच्च न्यायालय में प्रतिपादन !
जनहित याचिका पर गुजरात सरकार के उच्च न्यायालय में प्रतिपादन !
पंचायत स्तर के चुनावों के लिए केंद्रीय बल को तैनात करना पडता है, यह तथ्य स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि बंगाल में कानून व्यवस्था की स्थिति कितनी बिगड चुकी है । इसलिए केंद्र सरकार को बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू करना चाहिए !
एक ही प्रकार का अपराध होते हुए भी अपराधियों को भिन्न दंड क्यों दिया जाता है ? उसके पीछे क्या कर्मफलसिद्धांत है ? जब एकाध द्वारा बलात्कार के समान अपराध होता है, तब उसके पीछे ‘काम’ एवं ‘क्रोध’ ये षड्रिपुओं के दोष समाहित होते हैं । क्या उसका अध्ययन नहीं होना चाहिए ?
‘हेट स्पीच’ की (विद्वेषपूर्ण वक्तव्य देने की) लाठी हिन्दुओं पर चलाई जाती है । हिन्दुओं पर प्रतिबंध लगाकर उन पर अभियोग प्रविष्ट किए जाते हैं । ‘हेट स्पीच’ में फंसाकर हिन्दुओं का दमन किया जाता है । यदि ऐसा है, तो ‘धर्मांधों’ एवं जिहाद का आवाहन करनेवाली पुस्तकों पर कब कार्यवाही की जाएगी ?
बर्लिन के न्यायालय ने भारतीय दंपति की २ वर्ष ३ माह की लडकी को उसके माता-पिता को सुपूर्द करने से मना कर दिया है । न्यायालय ने इस लडकी के पालन-पोषण का दायित्व ‘जर्मनी युथ वेलफेयर कार्यालय’को सौंपा है । वर्ष २०२१ से यह लडकी सरकार के नियंत्रण में है ।
चित्रपट के माध्यम से भगवान श्रीराम, सीतामाता, श्री हनुमान आदि को गलत ढंग से दिखाया
ऐसे लेनदेन में पैसे का स्रोत महत्त्वपूर्ण सिद्ध होता है; परंतु निर्णायक नहीं ! कोलकाता उच्च न्यायालय ने एक प्रकरण की सुनवाई के समय ऐसा कहा ।
इस विवरण में आगे कहा गया है कि धारा ‘१२४ अ’ का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए, इसलिए उसमें सरकार को आवश्यक टिप्पणियां देनी चाहिए । तथापि वह निरस्त करने से देश की अखंडता एवं सुरक्षा पर परिणाम हो सकता है ।
देश में समान नागरिकता कानून लागू करने की हिन्दुओं की विगत अनेक वर्षों से मांग थी । वह अब पूरी होते नजर आ रही है । मान्यताप्राप्त धार्मिक संगठनों को ३० दिनों में मत भेजने का आवाहन
यहां के बेस्ट बेकरी प्रकरण के संदर्भ में मुंबई सत्र न्यायालय ने परिणाम घोषित किया है । सबल प्रमाण के अभाव में न्यायालय ने हर्षद रावजीभाई सोलंकी तथा मफत मणिलाल गोहिल ऐसे दो अपराधियों को निर्दोष मुक्त किया गया है ।