सबल प्रमाण के अभाव में १० वर्ष के उपरांत अपराधी निर्दोष मुक्त !

गुजरात के बेस्ट बेकरी प्रकरण का परिणाम

गुजरात – यहां के बेस्ट बेकरी प्रकरण के संदर्भ में मुंबई सत्र न्यायालय ने परिणाम घोषित किया है । सबल प्रमाण के अभाव में न्यायालय ने हर्षद रावजीभाई सोलंकी तथा मफत मणिलाल गोहिल ऐसे दो अपराधियों को निर्दोष मुक्त किया गया है । ये दोनों गत १० वर्षों से कारागृह में थे । १३ दिसंबर २०१३ को उन्हें न्यायालयीन कोठरी में भेजा गया था । यह प्रकरण २१ वर्ष प्राचीन है तथा गुजरात के २०२२ के दंगे से संबंधित है ।

क्या है प्रकरण ?

वर्ष २००२ में गोधरा घटना के उपरांत गुजरात में उभरे दंगे में जमाव के आक्रमण में वडोदरा की बेस्ट बेकरी जला दी गई थी । उसमें १४ लोगों की मृत्यु हो गई थी । बेकरी जलाने से पूर्व वहां लूटपाट भी की गई थी । इस प्रकरण में बेकरी के मालिक की लडकी जहिरा शेख के परिवाद करने पर २१ लोगों के विरुद्ध अपराध प्रविष्ट किया गया । वर्ष २००३ में द्रुतगति न्यायालय ने प्रमाण के अभाव में सभी अपराधियों को निर्दोष मुक्त कर दिया था । इस अभियोग में जहिरा शेख के साथ अनेक साक्षी को न्यायालय ने ‘फितूर’ के रूप में घोषित किया था । पश्चात सत्र न्यायालय का यह परिणाम गुजरात उच्च न्यायालय ने भी स्थाई रखा था । सामाजिक कार्यकर्ता तिस्ता सेटलवाड की सहायता से जहिरा ने इस परिणाम को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी । सर्वोच्च न्यायालय ने इस प्रकरण में पुन: अभियोग चलाने का आदेश देते हुए यह प्रकरण गुजरात के बाहर चलाने के आदेश दिए । तत्पश्चात यह प्रकरण मुंबई में वर्ग किया गया था ।

हर्षद रावजीभाई सोलंकी तथा मफत मणिलाल गोहिल के साथ अन्य दोनों को अन्वेषण तंत्र ने अजमेर बम विस्फोट के प्रकरण में भी बंदी बनाया था । मुंबई में चलाए अभियोग में दोनों ही अपराधियों को लापता घोषित किया गया था । मुंबई न्यायालय ने इस प्रकरण में २१ में ९ लोगों को अपराधी निश्चित करते हुए आजीवन कारावास का दंड सुनाया, जबकि ८ अपराधियों को निर्दोष मुक्त किया । यह परिणाम आनेतक अनेक अपराधियों की मृत्यु हो गई थी । वर्ष २०१२ में आजीवन कारावास का दंड सुनाए गए ९ लोगों में ५ लोगों को मुक्त किया गया, जबकि २०१३ में नियंत्रण में लिए ४ अपराधियों में २ की मृत्यु हो गई । शेष दोनों हर्षद रावजीभाई सोलंकी तथा मफत मणिलाल गोहिल कारागृह में ही थे । अब वे भी मुक्त हो गए हैं ।